चूरु जिले में इन दिनों शिक्षकों की भारी कमी है. जिले के अधिकांश सरकारी स्कूलों में शिक्षक नहीं होने के चलते छात्र छात्राओं की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा है. चुरू जिले के अंतिम गांव धीरासर हाडान के राजकीय उच्च माध्यमिक विघालय महज 3 शिक्षकों के सहारे चल रहा है. ऐसे में यहां पर पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं का भविष्य अंधकार में है. शिक्षकों के पद रिक्त होने के चलते 247 विघार्थियों की पढाई प्रभावित हो रही है. स्कूल में लंबे समय से शिक्षकों की कमी से विद्यार्थी परेशान हैं. स्कूल में चल रहे रिक्त पदों को भरने के लिए कई बार ग्रामीणों ने एसडीएम व शिक्षा अधिकारियों को ज्ञापन देकर रिक्त पदों को भरने की मांग की लेकिन कोई सुनवाई नहीं होने पर ग्रामीणों को सोमवार को स्कूल के मुख्य गेट पर तालाबंदी करते हुए शिक्षा विभाग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.
गांव के महावीर सिंह हाड़ा ने बताया कि इस स्कूल में प्रधानाचार्य सहित 21 पद स्वीकृत होने चाहिए लेकिन यहां पर मात्र प्रधानाचार्य सहित 4 शिक्षक ही कार्यरत है. प्रधानाचार्य भी मेडिकल की छुट्टी पर चले गए हैं. ऐसे में यहां पर पढ़ने वाले छात्रों का भविष्य अंधकार में है.
आंदोलन कर रहे ग्रामीणों ने बताया कि वर्तमान के प्रधानाचार्य श्यामलाल स्कूल में नहीं आ रहे हैं जबकि मेडिकल लेकर छुट्टी पर चल रहे है. अगर समय रहते हुए रिक्त पदों को नहीं भरा गया तो एसडीएम कार्यालय का घेराव किया जायेगा. शिक्षको के पद रिक्त होने के चलते विघार्थियों सहित ग्रामीणों ने शिक्षा विभाग के प्रति भारी रोष है. बच्चो के अभिभावको ने बताया कि समय रहते हुए रिक्त पदो को नही भरा गया तो स्कूल के तालाबंदी जारी रखते हुए सभी विधार्थियों की टीसी कटवाते हुए निजी स्कूलों में एडमिशन करवाया जायेगा.
ग्रामीणों ने बताया कि एक तरफ तो सरकार शिक्षा को बढावा देने के लिए सरकारी स्कूलों में नामाकंन बढाने का दावा कर रही है. दूसरी तरफ स्कूलो में रिक्त पदों को नहीं भरने से बच्चो का भविष्य खराब हो रहा है. ग्रामीणों की कोई सुनवाई तक नही कर रहे है. हालाकि सीबीईओ कार्यालय के द्वारा दो शिक्षको का डेपूटेशन जरूर किया है. इनमें से एक शिक्षक ड्यूटी जरूर दे रहा है जबकि एक शिक्षक तो मात्र दो ही दिन आया था. ग्रामीणों ने कहा कि शिक्षक नहीं होने के चलते गत वर्ष विद्यालय का परीक्षा परिणाम निराशाजनक रहा था. दसवीं में आधे से ज्यादा बच्चे फेल हो गए थे. वहीं इस विद्यालय में ज्यादातर लड़कियां ही अध्ययन कर रही हैं. यदि शिक्षक नहीं लगाएंगे तो मजबूरन हमें उनकी स्कूल छुड़वानी पड़ेगी.