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अंतरिक्ष में भारत की बड़ी छलांग, ISRO के Aditya L1 ने सूरज के दरवाजे पर दी दस्तक, PM मोदी ने दी बधाई

Aditya L1 Solar Mission: भारत ने अंतरिक्ष में एक और बड़ी छलांग लगाई है. इंडियन स्पेस रिसर्च ओर्गनाइजेशन (ISRO) ने नया इतिहास रच दिया है. इसरो का पहला सूर्य मिशन-आदित्य एल1 ने सूरज के दरवाजे पर दस्तक दे दी है. इस खास मौके पर पीएम मोदी ने वैज्ञानिकों को बधाई दी है.

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अंतरिक्ष में भारत की बड़ी छलांग, ISRO के Aditya L1 ने सूरज के दरवाजे पर दी दस्तक, PM मोदी ने दी बधाई
ISRO का आदित्य एल-1 मिशन.

Aditya L1 Solar Mission: अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भारत ने शनिवार को एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) का पहला सूर्य मिशन आदित्य एल1 ने सूरज के दरवाजे पर दस्तक दे गई है. स्पेस साइंस के लैंग्वेंज में कहे तो आदित्य एल-1 शनिवार (6 जनवरी) को लैग्रेंज प्वाइंट में दाखिल हो गया है. इसका यहां तक पहुंचना भारत की बड़ी कामयाबी बताई जा रही है. इस विशेष मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया एक्स पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि भारत ने एक और माइलस्टोन हासिल किया है. मालूम हो कि आदित्य एल1 को सितंबर 2023 में आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था. आज यह अपनी आखिरी और बेहद जटिल प्रक्रिया से होकर सफतलापूर्वक  गुजरा.

यह वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाणः पीएम मोदी

इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा, "भारत ने एक और माइलस्टोन हासिल किया है. भारत की पहली सोलर ओबजर्वेटरी आदित्य-एल 1 अपनी मंजिल तक पहुंच गई. यह सबसे जटिल अंतरिक्ष मिशनों में से एक को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है. मैं देशवासियों के साथ इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करता हूं. हम मानवता के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाते रहेंगे."

जानिए क्या है लैंग्रेज प्वाइंट?

लैग्रेंज प्वाइंट वह क्षेत्र है, जहां पृथ्वी और सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण निष्क्रिय हो जाएगा. सोलर मिशन के लिए भेजे गए किसी भी यान को यहां तक पहुंचना बड़ी कामयाबी मानी जाती है. हेलो कक्षा में  एल1 प्वाइंट के चारों ओर सैटेलाइट के जरिए सूर्य को लगातार देखा जा सकता है. इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव के जानकारी मिलेगी.

क्या है आदित्य एल-1 मिशन का उद्देश्य?

इसरो के आदित्य एल1 मिशन का लक्ष्य सूर्य का अध्ययन करना है. यह मिशन सात पेलोड लेकर गया था, जो अलग-अलग वेव बैंड में फोटोस्फेयर (प्रकाशमंडल), क्रोमोस्फेयर (सूर्य की दिखाई देने वाली सतह से ठीक ऊपर) और सूर्य की सबसे बाहरी परत (कोरोना) पर रिसर्च करने में मदद करेंगे.
 

इस मिशन के जरिए सौर वातावरण में गतिशीलता, सूर्य के परिमंडल की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंप, सूर्य के धधकने से जुड़ी गतिविधियों और उनकी विशेषताओं और अंतरिक्ष में मौसम संबंधी समस्याओं को बेहतर ढंग से समझना है.

सूर्य की स्टडी इतना टफ क्यों?

सूर्य अध्ययन करना काफी चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि इसके सतह का तापमान लगभग 9,941 डिग्री फारेनहाइट है. अब तक सूरज के बाहरी कोरोना का तापमान भी मापा नहीं जा सका है. इसी को देखते हुए आदित्य एल1 पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी के लगभग एक प्रतिशत दूरी 15 लाख किलोमीटर पर मौजूद एल1 की पास की कक्षा में स्थापित किया गया है.

यह भी पढ़ें - आदित्य-एल1 ने अंतिम कक्षा में किया प्रवेश, PM ने कहा- "भारत के लिए एक और मील का पत्थर"
 

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