Haryana Election Result 2024: जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव के नतीजे आ गए हैं. हरियाणा में जीत की हैट्रिक बनाते हुए बीजेपी लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है तो जम्मू-कश्मीर में भी बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया है. हालांकि, उसे बहुमत नहीं मिला. हरियाणा चुनाव में दिलचस्प बात देखने को मिली है. इस बार के नतीजों ने पोल पंडितों और तमाम एक्जिट पोल को गलत साबित कर दिया. हरियाणा के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 37 सीटों पर जीत के साथ कुल 39.09 प्रतिशत वोट हासिल किए हैं, जोकि 2019 के विधानसभा चुनाव में मिले 28.08 प्रतिशत से ज्यादा है.
पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रसे पार्टी ने कुल 90 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें 31 सीटों पर जीत मिली थी. वहीं, बीजेपी ने पिछले चुनाव में 90 में से कुल 40 सीटों पर जीत हासिल की थी. 2019 के चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर 36.49 प्रतिशत था, जो इस बार बढ़कर 39.94 प्रतिशत हो गया. बीजेपी ने पिछले चुनाव से 8 सीटें इस बार ज्यादा जीतीं हैं. पिछले चुनाव की तुलना में इस बार वोट शेयर ज्यादा रहने के बावजूद हरियाणा की सत्ता में कांग्रेस की 10 साल बाद वापसी की राह आसान नहीं हो पाई.
हरियाणा में चाहे किसान का मुद्दा रहा हो या अग्निवीर. हर स्तर पर माना जा रहा था कि लोगों में बीजेपी के प्रति नाराजगी है. इसके बावजूद कैसे कांग्रेस का पूरा खेल खराब हो गया.
आम चुनाव में BJP की लीड
सतीश पूनिया बीजेपी की जीत पर कहते हैं कि लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचारित किया गया कि बीजेपी के बजाय कांग्रेस क्लीन स्वीप करके 10 की 10 सीटें जीतेगी. हमने 5 सीटें जीतीं, लेकिन 5 सीटों का असेंबली वाइस एनालिसिस यह था कि हमने 44 सेगमेंट पर लीड किया था. 37 पर हम लोग रनरअप थे. यह इंडिकेशन था कि जो नरेटिव्स चलाए गए, संविधान को और आरक्षण को लेकर भ्रम फैलाए गए. उसके बावजूद अगर बीजेपी 44 सेगमेंट पर लीड कर रही थी तो यह तय था कि हरियाणा में अच्छा परफॉर्म करेंगे.
कांग्रेस पार्टी में गुटबाजी
हरियाणा में कांग्रेस पार्टी का स्ट्रक्चर बिखरा हुआ था, खुद ये तय नहीं कर पाए कि लीडर कौन होगा. लास्ट तक उनमें कंफ्यूजन थी कि हुड्डा होंगे, शैलजा होंगी या सुरजेवाला होंगे. टिकट बंटवारे के दौरान भी पार्टी में बड़ी गुटबाजी देखने को मिली थी. पूनिया हरियाणा में बीजेपी की जीत का एक फैक्टर शैलजा कुमारी को भी मानते हैं. वह कहते हैं कि कांग्रेस में जिस तरीके से शैलजा को साइडलाइन किया गया था.
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शैलजा कुमारी ने बिगाड़ा खेल!
शैलजा का अपना समर्थक वर्ग या शुभचिंतक मंडली थी. जो एक एस्पिरेशन रखती थी कि कहीं शैलजा भी मुख्यमंत्री की दावेदार हो सकती थीं. पर कांग्रेस ने उनके बारे में कभी कुछ क्लेरिटी रखी ही नहीं. अंत तक वह कंफ्यूज रहे और उस कन्फ्यूजन के कारण जो पोलराइजेशन हो सकता था, उसका लाभ स्वाभाविक तौर पर बीजेपी को मिलना ही था.
हर जाति का BJP को साथ
जाट वोटों के मुद्दें पर सतीश पूनिया कहते हैं कि हमें हर जाती वोट मिला है. कांग्रेस का सिर्फ फैलाया हुआ भ्रम था कि कोई जाति विशेष बीजेपी के खिलाफ है. पार्लियामेंट के पोलिंग बूथ देखेंगे तो हर जाति के लोगों ने बीजेपी को वोट किया है. बीजेपी जाट बाहुल्य इलाकों में सेध लगाने में कामयाब रही है. जाटों के गढ़ में बीजेपी 7 नई सीटें जीतने में सफल रही है.
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ग्राउंड पर BJP का काम
इन सबके अलावा माना जाता है कि एंटी इंकम्बेंसी और किसान, जवान तथा पहलवान से जुड़े तमाम मुद्दों को साधते हुए बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व और स्थानीय नेता पर्दे के पीछे से जीत की स्क्रिप्ट लिखी है. लोकसभा में 5 सीटें हाथ से जाने के बाद बीजेपी ने ग्राउंड स्तर पर बारीकी से काम किया. पीएम मोदी ने पूरे चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का चेहरा ही आगे रखा. सैनी के अपने व्यवहार और मिलने जुलने से तीन से चार प्रतिशत लोग अलग से जुड़े.
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