Republic Day Parade 2024: भारतीय थलसेना की सिख रेजिमेंट की एक टुकड़ी ने मेजर सरबजीत सिंह की अगुवाई में शुक्रवार को 75वें गणतंत्र दिवस परेड के दौरान यहां कर्तव्य पथ पर मार्च किया. सिख रेजिमेंट की स्थापना ‘शेर-ए-पंजाब' महाराजा रणजीत सिंह के सिपाहियों ने 1846 में की थी. इसने उत्तर-पश्चिमी सीमांत प्रांत (ब्रिटिश भारत का एक प्रांत) और प्रथम विश्व युद्ध के दौरान टोफ्रेक (1885), सारागढ़ी (1897), ला बस्सी (1914) और न्यूवे चैपल (1914) जैसी कई लड़ाइयों और अभियानों में अहम भूमिका निभाई. आजादी के बाद सिख रेजिमेंट ने श्रीनगर (1947), टिथवाल (1948), बुर्की (1965), राजा (1965), पुंछ (1971) और परबत अली (1971) की लड़ाइयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
अब तक मिले कई सम्मान
रेजिमेंट को अब तक 82 युद्ध सम्मान, 16 थिएटर सम्मान, 10 विक्टोरिया क्रॉस, 21 ‘इंडियन ऑर्डर ऑफ मेरिट', दो परमवीर चक्र, तीन अशोक चक्र, एक पद्म विभूषण, दो पद्म भूषण, 11 परम विशिष्ट सेवा पदक, 14 महावीर चक्र, 12 कीर्ति चक्र और दो उत्तम विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया जा चुका है. इसके अलावा, रेजिमेंट को 72 शौर्य चक्र, एक पद्मश्री, 19 अति विशिष्ट सेवा पदक, आठ वीर चक्र, नौ युद्ध सेवा पदक, 293 सेना पदक, 61 विशिष्ट सेवा पदक और सात अर्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है.
🇮🇳March Past by Sikh Regiment led by Led by Major Sarabjeet Singh.
— All India Radio News (@airnewsalerts) January 26, 2024
▪️Sikh Regiment was raised in 1846, from the remnant of 'Sher-e-Punjab Maharaja Ranjit Singh's army.
Motto: 'Nische Kar Apni Jeet Karon.
War Cry: 'Bole So Nihal, Sat Sri Akal.#RepublicDay2024 #RepublicDay… pic.twitter.com/RcGlBd1z0w
‘सारे जहां से अच्छा, हिंदुस्तान हमारा'
सिख रेजिमेंट के बाद ‘आर्मी एयर डिफेंस (एएडी) कॉलेज एंड सेंटर', डोगरा रेजिमेंट सेंटर और भारतीय सेना सेवा कोर (एएससी) सेंटर (उत्तर) के संयुक्त बैंड ने ‘सारे जहां से अच्छा, हिंदुस्तान हमारा' की धुन पर कर्तव्य पथ पर मार्च किया. संयुक्त बैंड में 72 संगीतकार शामिल थे और इसका नेतृत्व एएडी कॉलेज एंड सेंटर के सूबेदार एम राजेश ने किया. डोगरा रेजिमेंट सेंटर के सूबेदार मेजर मोती लाल और एएससी सेंटर (उत्तर) के नायब सूबेदार परबेंद्र सिंह ने उनकी सहायता की.
कैप्टन चिन्मय शेखर तपस्वी के नेतृत्व में कुमाऊं रेजिमेंट का मार्च
यह पहली रेजिमेंट है जिसने आजादी के बाद जम्मू-कश्मीर में अभियान को अंजाम दिया था. इस अभियान में मेजर सोमनाथ शर्मा बडगाम में श्रीनगर हवाई क्षेत्र की रक्षा करते हुए शहीद हो गए थे. उन्हें मरणोपरांत देश का पहला परमवीर चक्र मिला. ‘पराक्रमो विजयते' के आदर्श वाक्य पर चलने वाली इस रेजिमेंट ने भारतीय सेना को तीन प्रमुख दिए हैं. इसे दो परमवीर चक्र, चार अशोक चक्र, 13 महावीर चक्र, 13 कीर्ति चक्र, 82 वीर चक्र, दो पदम भूषण और कई अन्य वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है.
#WATCH | Marching forward is of the Kumaon Regiment led by Captain Chinmay Shekhar Tapaswi of 22 Battalion of the Kumaon Regiment.
— DD India (@DDIndialive) January 26, 2024
The Kumaon Regiment has a rich history of over two hundred years. After Independence, it was the first regiment to see action in J&k, where Major… pic.twitter.com/cDL32uJtre
अगली टुकड़ी मराठा लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंट सेंटर, जाट रेजिमेंटल सेंटर और आर्मी ऑर्डनेंस कोर सेंटर (एओसी) के 72 संगीतकारों का एक संयुक्त बैंड थी. इस बैंड का नेतृत्व एओसी सेंटर के सूबेदार अजय कुमार एन ने किया, जिनकी सहायता मराठा लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंट के सूबेदार मेजर राजू भजंत्री और जाट रेजिमेंटल सेंटर के नायब सूबेदार किशन पाल सिंह ने की.
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