Sunita Williams News: पिछले सात महीने से अंतरिक्ष में रहीं सुनीता विलियम्स (Sunita Williams) की वापसी को लेकर चर्चाएं लगातार तेज हो रही हैं. 4 जून 2024 को वह सिर्फ 8 दिनों के लिए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र गई थीं, लेकिन उन्हें वापस लाने वाला बोइंग स्टारलाइनर अंतरिक्ष (Boeing Starliner) यान अचानक खराब हो गया, जिसके बाद उनका धरती पर लौटना मुश्किल हो गया. तब से उनका आना टलता जा रहा है. ऐसे में उनके फरवरी 2024 महीने में उनके आने की उम्मीद जताई जा रही है. इसके बाद सात महीने से अंतरिक्ष में रहीं एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स कई दिनों से धरती से संपर्क में नहीं हैं. ऐसे में धरती पर आने के बाद से ही उनकी शारीरिक और मानसिक फिटनेस को लेकर बातें हो रही हैं कि एक बार वापस लौटने के बाद वह कितने दिनों में फिट हो जाएंगी.
12 अंतरिक्ष यात्रियों पर की गई रिसर्च
इसको लेकर फ्रंटियर न्यूरल सर्किट द्वारा 'ब्रेन्स इन स्पेस- इफेक्ट ऑफ स्पेसलाइट ऑन ह्यूमन ब्रेन' नाम की एक स्टडी सामने आई है. इस रिसर्च में अंतरिक्ष से लौटे एस्ट्रोनॉट्स के दिमाग पर पड़ने वाले असर पर रिसर्च की गई. जिसमें 12 अंतरिक्ष यात्रियों (Astronaut) पर रिसर्च की गई जो 6 महीने से ज्यादा समय तक अंतरिक्ष में रहे थे. यह रिसर्च इस मकसद से की गई थी कि पता चले कि लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों पर किस तरह के असर होते हैं. जिसमें यह बात सामने आई है कि अंतरिक्ष से लौटने के बाद इनके दिमाग पर कई तरह के असर होते हैं.
परियां और एलियंस देते थे दिखाई
अंतरिक्ष यात्रियों पर हुए शोध में पता चला कि अंतरिक्ष (Space) से लौटने पर उन्हें बोलने, चलने और लोगों से मिलने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. उनकी आंखें कमजोर हो जाती हैं. 12 अंतरिक्ष यात्रियों में से एक डोनाल्ड पेटिट ने कहा था कि आंख बंद करते ही उन्हें परियां और एलियन नजर आते थे. अंतरिक्ष यात्रा के बाद कई अंतरिक्ष यात्रियों को तेज रोशनी या आवाजें आने की शिकायत रही है. इसके अलावा उन पर मनोवैज्ञानिक असर भी होता है. लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने और वापस लौटने के बाद लोग लंबे समय तक डिप्रेशन में रहते हैं. वे कई बार हिंसक हो जाते हैं. खुद से ही बातें करने लगते हैं. आसपास कुछ न होने की वजह से वे कई बार चिड़चिड़े भी हो जाते हैं.
क्यों होती है ये हालत
अंतरिक्ष की चरम स्थितियों के कारण मस्तिष्क अलग तरह से व्यवहार करने लगता है. ऐसा लगता है जैसे शरीर का वजन वहां गायब हो जाता है. क्योंकि अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण बल शून्य होता है जिसके कारण इंसान का वजन पृथ्वी के वजन का एक चौथाई माना जाता है. ऐसे में धरती पर आने के बाद उन्हें खुद को संभालने में एक नहीं बल्कि कई महीने लग जाते हैं.
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