
एक बार फिर राजस्थान में सियासी ड्रामा शुरु हो चुका है, लेकिन इस बार का यह सियासी नाटक सचिन पायलट और गहलोत गुट बीच नहीं बल्कि निर्दलीय विधायक राजेंद्र गुढ़ा को मंत्री पद से बर्खास्त करने के बाद शुरू हुआ. दरअसल शुक्रवार को राजेंद्र गुढ़ा को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया गया था. इसके बाद गुढ़ा लगातार सरकार पर हमला बोल रहे हैं. आज विधानसभा पहुंचने पर विधायक गुढ़ा ने एक बार फिर लाल डायरी का जिक्र छेड़ दिया.
गुढ़ा को मंत्री पद से किया गया बर्खास्त
बीते दिनों दिल्ली में हुई आलमकमान की बैठक में ये फैसला लिया गया था कि कोई भी मंत्री, विधायक अगर पार्टी लाइन के विपरीत बयान देता है तो उसके खिलाफ पार्टी कठोर कार्यवाही करेगी. ऐसे में विधायक राजेंद्र गुढ़ा ने विधानसभा में महिला अपराध को लेकर अपनी ही सरकार को घेरा था. जिसके बाद पार्टी लाइन के मुताबिक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तुरंत बर्खास्त करने का पत्र राज्यपाल को भेज दिया.
आज विधनसभा में राजेंद्र गुढ़ा पहुंचे तो विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी से अपनी सीट की मांग कर रहे थे. जिसके बाद विधानसभा में हंगामा शुरू हो गया. इसी बीच गुढ़ा ने लाला डायरी को टेबल करने की मांग की, जिसके बाद विपक्ष ने भी इसका समर्थन किया. इस पूरे घटनाक्रम के बाद विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने विधानसभा को स्थगित कर दिया.
इस पूरे मामले पर राजेंद्र गुढ़ा ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, "हमारे राजस्थान में महिला सुरक्षित नहीं है. उनके साथ दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ रही हैं. हमारी सरकार को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए. मुझे बिना नोटिस दिए मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया गया. मैं जब विधनसभा में पहुंचा तो मुझे मंत्री-विधायकों ने लात -घूंसों से मारा, मेरे ऊपर 30-40 लोगों ने एक साथ हमला किया. मुख्यमंत्री और उनकी पूरी टीम भ्रष्ट है. सरकार को बचाने के लिए करोड़ों रुपए मुख्यमंत्री ने बांटे हैं. मुख्यमंत्री के कांड लाल डायरी में कैद है. मुझे खुद लाल डायरी लेकर आने के लिए कहा था, ये डायरी धर्मेंद्र राठौड़ के सिविल लाइन आवास पर थी, जिसको हम गेट तोड़कर लेकर आए थे, मेरे साथ धीरज गुर्जर भी थे. आज तो शायद वह भी मना कर दें"
इस मामले पर नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा, "इस तरह की घटनाएं मैंने मेरे संसदीय कार्यकाल में पहली बार देखी है. जब किसी विधानसभा सदस्य के साथ ऐसा व्यवहार किया गया हो. यदि राजेंद्र गुढ़ा के पास वो लाल डायरी है तो संबंधित जांच एजेंसियों को इसकी जानकारी देकर पूरे मामले में दूध का दूध और पानी का पानी करना चाहिए."