Foreign Birds in Tonk: भारत के कई राज्य इन दिनों साइबेरियन पक्षियों से गुलजार हैं. राजस्थान के भी कई जिलों में सात समंदर पार से पहुंचे विदेशी पक्षियों का कलरव जारी है. जिसे देखने के लिए लोग भी जुट रहे हैं. बात टोंक जिले की करें तो यहां बीसलपुर, ईसरदा बांध, बनास नदी के साथ-साथ छोटे-बड़े बांधों ओर तालाबों में भी बड़ी संख्या में साइबेरियन पक्षियां जुटी हैं. यहां 30 से अधिक प्रजाति के देसी-विदेशी परिंदे नजर आ रहे हैं. इससे पक्षी प्रेमियों में गजब का उत्साह देखने को मिल रहा है. इन विदेशी परिदों की कुछ तस्वीरें भी सामने आई है. जो स्थानीय वन अधिकारियों ने अपने कैमरे में कैद की है. इन तस्वीरों में विदेशी पक्षियों का कलरव देखते ही बन रहा है.
वन अधिकारियों ने बताया कि जिले के भरनी, अन्नपूर्णा, सजिया, सरौली, भीखापुरा, टोरडी सागर बांध, बीसलपुर बांध के डूब क्षेत्र में नेगडिया सहित लगभग डेढ़ दर्जन पानी वाले स्थानों पर किए गए सेंसस में फ्लेमिंगो, नदर्न शावलर, नदर्न पिन टेल, यूरिशियन विगन, केस्पियन गुल, गॉडविन, ब्रॉंच विंग्ड जकाना, परपल स्वनफेन, कॉमन पॉचार्ड, कॉमन ग्रीन शेंक, नॉब बिल्ड डक, ग्रेगनी जैसे विदेशी परिंदों के अलावा कई लॉकल माईग्रेटरी बर्ड्स भी नज़र आए हैं.
वन अधिकारियों ने बताया कि टोंक का मौसम विदेशी परिंदों के आश्रय के लिए अनुकूल है. उचित वातावरण और जल की उपलब्धता के कारण यहां इस मौसम में बड़ी संख्या में विदेशी पक्षियां पहुंचती है. जिले में बहती बनास के साथ ही छोटे-बड़े बांधों ओर तालाबों के साथ ही अरावली पर्वत शृखलाएं और वन क्षेत्र की मौजूदगी है. ऐसे में यहां हर साल विदेशी पक्षियां बड़ी संख्या में पहुंचती है.
सर्दियों के मौसम के शुरू होने के साथ ही जिले के कई तालाबों वह बनास नदी के किनारों या टापुओं पर देसी-विदेशी परिंदों का आगमन होता है. ऐसे स्थान इन परिंदों की जलक्रीड़ाओं से गुलजार होते है. सबसे महत्वपूर्व बात यह कि ये परिंदें बसंत ऋुतु के आगमन या उसके बाद भी यहां मिलने वाले पर्याप्त भोजन के चलते डेरा जमाये रखते है.
इन्हीं देसी-विदेशी परिंदों की मौजूदगी को सूचीबद्ध करने के लिये इस बार वन विभाग द्वारा पक्षी प्रेमियों व पक्षी विशेषज्ञों की मदद से टोंक जिले में 13 जलस्रोतों पर एशियन बर्ड सेंसस 2024 का कार्य किया जो कि 31 जनवरी से 5 फरवरी तक चलेगा.
राजस्थान के जाने-माने पक्षी विशेषज्ञ एमएल मीणा, पूर्व वन्य जीव प्रतिपालक राजस्थान, देवेंद्र भारद्वाज,पक्षी विशेषज्ञ व पूर्व उप वन संरक्षक, प्रख्यात बर्ड वॉचर व छायाकार किशन मीणा,प्रख्यात पक्षी विशेषज्ञ व प्रकृति प्रेमी अमित कोटिया,पक्षी विशेषज्ञ डॉ0श्वेता क्षौत्रिय व प्रकति प्रेमी मनोज तिवारी ने वनकर्मियों के साथ मिलकर अलग-अलग जलस्रोतों में मौजूद देशी विदेशी परिंदों का डाक्यूमेंटेशन किया. साथ वहां मौजूद लोगों को पक्षियों की पहचान व मानव जीवन में उनके महत्व के बारे में जागरूक किया. बताया गया कि लगभग 30 प्रजाति के परिंदों को सूचीबद्ध किया गया.
भरनी के मॉडल तालाब पर मनाया गया वर्ड वेटलेंड डे भी
टोंक जिले में सर्वाधिक देसी-विदेशी परिंदों की पसंद बन चुके भरनी गांव के मॉडल तालाब पर वर्ड वेटलेंड डे का आयोजन किया गया. वन विभाग व दादू दयाल पर्यावरण संस्थान रानीपुरा द्वारा संयुक्तरूप से रखे गए. इस आयोजन में उपवन संरक्षक मरिय शाईन ए., वन रेंज देवली के रेंजर गौरव राठी,गौरैया संरक्षण अभियान चला रहे शिवराज कुर्मी,पर्यावरणविद् महावीर मीणा,पर्यावरणप्रेमी नूर मोहम्मद कलंदर भगवान जाट,सत्यनारायण धाकड़,लोकेश मीणा, शंकर लाल व आसिफ खान ने मौजूद छात्र छात्राओं को तालाब में नज़र आये देशी व विदेशी परिंदों के बारे में जानकारी दी.
वन विभाग के डीसीएफ मरिय शाईन ने क्या कहा
टोंक वन विभाग के डीसीएफ मरिय शाईन ने बताया कि टोंक का भौगोलिक क्षेत्र और जलवायु सर्दी के मौसम में देशी ओर विदेशी परिंदों के लिए शानदार प्राकृतिक आवास ओर प्रजनन स्थल साबित हो रहे है. ऐसे में जिले के पानी वाले कई तालाबो पर इन पक्षियों को देखा जाना एक अच्छा संकेत होने के साथ ही जिले में ईको ट्यूरिजम की संभावनाओ को दर्शाता है, ऐसे में हम सब को भी इन सभी वेट लेंड्स को संरक्षित व स्वच्छ बनाये रखना सभी की पहली जिम्मेदारी होनी चाहिए.
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