शाहपुरा की स्थापना 1629 में मुगल बादशाह शाहजहां के नाम पर की गई थी. यह पहले एक छोटा सा गांव था, लेकिन जल्द ही यह एक महत्वपूर्ण शहर बन गया. शाहपुरा सिसोदिया वंश की रियासत थी. यह स्थान राजस्थान केसरी के नाम से प्रसिद्ध, कवि केसर सिंह बारहठ के जन्म स्थान के रूप में भी जाना जाता है. राजस्थान में स्वतंत्रता आंदोलन से सभी वर्गों को जोड़ने के लिए उन्होंने वीर भारत सभा की स्थापना की थी. 1957 में इस सीट पर पहली बार चुनाव हुए थे. तब यहां कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. शाहपुरा ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
शाहपुरा की संस्कृति
शाहपुरा की संस्कृति राजस्थानी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यहां की लोक संस्कृति, संगीत, नृत्य, और कला सभी राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करती हैं. शाहपुरा अपने मंदिरों और रामस्नेही संप्रदाय की पीठ के लिए मशहूर है, जो इसे एक धार्मिक केंद्र भी बनाते हैं.
शाहपुरा का नया जिला
राजस्थान सरकार द्वारा शाहपुरा को एक नए जिले के रूप में घोषित करना एक महत्वपूर्ण कदम है. यह शाहपुरा और उसके लोगों के लिए विकास और समृद्धि के नए अवसरों को खोल सकता है. रियासतकाल में यहां हाईकोर्ट थी, वहीं शाहपुरा में नगरपालिका 1933 से है.
नए जिले के लाभ
शाहपुरा के नए जिले के गठन से निम्नलिखित लाभ हो सकते हैं:
- 1. विकास और समृद्धि के नए अवसर: शाहपुरा को एक नए जिले के रूप में घोषित करने से इसमें विकास और समृद्धि के नए अवसर पैदा होंगे. सरकार द्वारा इस क्षेत्र में बुनियादी ढांचे, शिक्षा, और स्वास्थ्य सेवाओं के विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.
- 2. रोजगार के अवसर: नए जिले के गठन से शाहपुरा में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे. सरकार द्वारा इस क्षेत्र में उद्योगों और व्यवसायों को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.
- 3. सामाजिक न्याय और विकास: शाहपुरा के नए जिले का गठन सामाजिक न्याय और विकास को बढ़ावा देगा. सरकार द्वारा इस क्षेत्र में सभी वर्गों के लोगों को समान अवसर प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.
शाहपुरा विधानसभा सीट
राजस्थान की शाहपुरा विधानसभा सीट पहले भीलवाड़ा जिले के अंतर्गत आता था. अब शाहपुरा जिला हो चुका है. 2018 से पहले इस सीट से जीतने वाली पार्टी राजस्थान में सरकार बनाती थी, लेकिन 2018 में यह मिथक टूट गया. 2018 में इस सीट ने भाजपा के कैलाश मेघवाल ने जीत दर्ज की थी. यह जीत विधानसभा चुनाव की सबसे बड़ी जीत थी. कैलाश मेघवाल ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के महावीर प्रसाद को करीब 75 हजार मतों से पराजित किया.
2018 में कांग्रेस के दो बागी उम्मीदवार मैदान में थे. कांग्रेस के बागी निर्दलीय उम्मीदवार राजकुमार बैरवा तीसरे स्थान पर रहे थे. वहीं एक और बागी गोपाल केसावत आम आदमी पार्टी से मैदान में थे. गोपाल पिछले दिनों आरपीएससी की परीक्षा पास कराने के बदले 18 लाख रुपये घूस लेते हुए गिरफ्तार हुए थे. कैलाश 2013 में भी बड़े अंतर से चुनाव जीते थे. तब उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार को 43000 मतों के अंतर से हराया था.
परिसीमन के बाद बदली स्थिति
2008 में हुए परिसीमन के बाद भीलवाड़ा की बनेड़ा तहसील शाहपुरा विधानसभा में शामिल की गई और यह सीट अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के लिए सुरक्षित घोषित की गयी. 2011 की जनगणना के अनुसार, यहां अनुसूचित जाति की आबादी 19.65% है, जबकि अनुसूचित जनजाति की आबादी 8.54% है. अनुसूचित जाति में रैगर समुदाय के मतदाता सबसे अधिक हैं. गुर्जर, कायमखानी मुसलमान, जाट भी यहां चुनावों पर असर डालते हैं.
वोटिंग पैटर्न
2018 में इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 2,35,137 थी. यहां 72.27% पोलिंग हुई थी और 1,69,927 मतदाताओं ने वोट डाले थे. एकमात्र उम्मीदवार कैलाश मेघवाल को छोड़कर सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गयी थी.
शाहपुरा के भविष्य
शाहपुरा के नए जिले का गठन इस शहर और उसके लोगों के लिए एक नए युग की शुरुआत है. यह शाहपुरा को विकास और समृद्धि के नए अवसर प्रदान कर सकता है. शाहपुरा के लोगों को इस अवसर का लाभ उठाकर अपने शहर को एक विकसित और समृद्ध शहर बनाने में योगदान देना चाहिए.
शाहपुरा एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक शहर है, जिसका गौरवशाली इतिहास और समृद्ध संस्कृति इसे एक विशेष स्थान प्रदान करती है. हाल ही में, शाहपुरा को राजस्थान सरकार द्वारा एक नए जिले के रूप में घोषित किया गया है. यह शाहपुरा और उसके लोगों के लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक है. नए जिले के गठन से शाहपुरा को विकास और समृद्धि के नए अवसर मिल सकते हैं. शाहपुरा के लोगों को इस अवसर का लाभ उठाकर अपने शहर को एक विकसित और समृद्ध शहर बनाने में योगदान देना चाहिए.