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सांचौर के बाद अब शाहपुरा में जिला बचाने के लिए आंदोलन, गहलोत राज में बने छोटे जिलों पर लटक रही तलवार

Shahpura District Protest: राजस्थान में जिला बचाने का आंदोलन तेज हो गया है. पूर्ववर्ती गहलोत सरकार के समय बने नए जिलों को खत्म करने की अटकलें तेज होने के बाद सांचौर, शाहपुरा सहित कई अन्य जिलों में प्रदर्शन शुरू हो गया है.

सांचौर के बाद अब शाहपुरा में जिला बचाने के लिए आंदोलन, गहलोत राज में बने छोटे जिलों पर लटक रही तलवार
Shahpura District Protest: शाहपुरा जिला को बचाने का आंदोलन शुरू.

Shahpura District Protest: राजस्थान में गहलोत राज में बने नवगठित जिलों को बनाए रखने के लिए विरोध के स्वर मुखर होने लगे हैं. नवगठित जिलों के पुनर्मूल्यांकन के बाद कुछ जिलों को हटाए जाने की बात अभी धरातल पर भी नहीं आ पाई लेकिन उससे पहले ही लोगों का विरोध शुरू हो गया है. सांचौर में पूर्व राज्य मंत्री सुखराम बिश्नोई के नेतृत्व में आंदोलन चल रहा है. इस बीच अब रियासत कालीन शहर शाहपुरा में भी विरोध के स्वर की शुरुआत हुई है.

ग्रामीणों ने बीती रात को विरोध प्रदर्शन किया और आज कस्बे में वाहन रैली निकालकर कलेक्टर को ज्ञापन सौपा. इसके लिए बाकायदा सभी समुदाय सभी संगठनों की बैठक में जिला बचाओ संघर्ष समिति का गठन किया गया है.

बाइक रैली निकाल लोगों के किया प्रदर्शन

प्रदेश में नवगठित जिलों के पुनर्मूल्यांकन और स्वरचित मापदण्डों पर खरा नहीं उतरने पर कुछ जिलो को वापस हटाये जाने को लेकर समीक्षा जारी है. इस बीच शाहपुरा से भी जिला का दर्जा छीने जाने की चर्चा चल रही है. ऐसे में अब अलग-अलग संगठनों ने शहर के महलों के चौक से बाइक रैली निकालकर विरोध प्रदर्शन किया.

शाहपुरा कलक्टर दफ्तर.

शाहपुरा कलक्टर दफ्तर.

शाहपुरा जिले से छेड़छाड़ हुई तो होगा उग्र आंदोलन

रैली शाहपुरा कलेक्टर कार्यालय पहुंचने के बाद ज्ञापन का वाचन किया गया. शाहपुरा जिले को यथावत रखने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर राजेंद्र सिंह शेखावत को ज्ञापन दिया गया. जिला बचाओ संगत समिति के सचिव अविनाश शर्मा ने कहा कि यदि शाहपुरा जिले से छेड़छाड़ की गई, हटाया गया तो उग्र आंदोलन होगा. 

उन्होंने आगे बताया कि आंदोलन की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी. इसको लेकर जल्द बड़ी बैठक का आयोजन किया जा रहा है. इसमें उग्र आंदोलन को लेकर रणनीति बनाई जाएगी. आंदोलन को तेज किया जाएगा.

एसपी तबादला सूची ने बढ़ाया तापमान

दरअसल नई सरकार गठन के बाद से ही लगातार शाहपुरा जिले में बदलाव की सुगबुगाहट चल रही थी. इस बीच सरकार ने पुनर्मूल्यांकन के लिए कमेटी का गठन किया. तब तक भी मामला सामान्य था मगर दो दिन पूर्व जारी हुई आईपीएस की तबादला सूची में शाहपुरा का जिक्र नहीं था. 

शाहपुरा कलक्टर को ज्ञापन सौंपते लोग.

शाहपुरा कलक्टर को ज्ञापन सौंपते लोग.

भीलवाड़ा एसपी को मिला शाहपुरा का प्रभार

शाहपुरा जिले के एसपी राजेश कावट का तबादला कर दिया. गया मगर शाहपुर पुलिस अधीक्षक का पद खाली रखा गया. भीलवाड़ा पुलिस अधीक्षक धर्मेंद्र सिंह यादव को ही शाहपुरा का चार्ज दे दिया गया. तब से ही आंदोलन की आंच तेज हो गई. आंदोलन की आम लोगों में दबी जुबान चल रही चर्चा को हवा मिल गई और शाहपुरा की सियासत का तापमान गरमा गया.

शाहपुरा का इतिहास, 1950 तक जिला था

इतिहास के पन्नों को पलटने पर यह ज्ञात होता है कि संपूर्ण भारत में शाहपुरा ही एकमात्र ऐसी स्वतंत्र रियासत थी जिसने आजादी से एक दिन पूर्व ही स्वतंत्र होने घोषणा कर दी थी. साथ ही सरदार पटेल के आव्हान पर बिना किसी शर्त के अखंड भारत में अपने विलय की घोषणा की थी. 

आजादी के बाद 1950 तक जिला बना रहे शाहपुरा से उसका जिले का दर्जा छीन लिया गया. गत साल जब पुनः 73 वर्षों के इनतजार के बाद जिला बना फिर जिला दर्जा छीनने का बाद लोगों ने सरकार की समीक्षा पर सवालिया निशान खड़े करना शुरू कर दिए है.

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