Rajasthan News: राजस्थान में सरकार द्वारा प्रत्येक जिले में एक उपज, एक वानस्पति प्रजाति, एक उत्पाद, एक पर्यटन स्थल और एक खेल पर विशेष रूप से फोकस करते हुए पंच गौरव कार्यक्रम प्रारम्भ किया जा रहा है. इसी कड़ी में सवाई माधोपुर जिले को दख जाए तो इसके पंच गौरव अमरुद, उत्पाद मार्बल मूर्ति कला, प्रजाति नीम, खेल फुटबॉल और पर्यटन स्थल रणथंभौर जाना जाएगा. इसके लिए सम्बन्धित विभागीय अधिकारियों ने राज्य स्तर पर नाम भेजे हैं. जिसके बाद जिले के पंच गौरव चिंहित किए गए हैं.
फल: अमरूद
जिले का अमरूद अपनी की गुणवत्ता और उत्पादन के कारण राजस्थान ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण भारत में विशिष्ट पहचान रखता है. वर्तमान में करीब 8 हजार कृषक 12 हजार 500 हैक्टेयर में अमरूद की खेती कर रहे हैं. यहां लगभग 3 लाख 37 हजार 500 मैट्रिक टन अमरूदों का का उत्पादन प्रतिवर्ष होता है. अमरूदों की प्रचलित किस्में एल-49, इलाहबादी सफेदा, गोला/बर्फखान मुख्य रूप से यहां उगाई जा रही है.
उत्पाद: मार्बल मूर्तियां
जिला मुख्यालय से 67 किलोमीटर और बौंली तहसील से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर बांसटोरडा ग्राम में लगभग 35 से 40 हस्तशिल्पी परिवार मार्बल से विभिन्न देवी-देवताओं भगवान बुद्ध, भगवान महादेव, श्री कृष्ण, राधा-कृष्ण, हनुमान जी, भगवान महावीर, काली माता, दुर्गा मां, नव दुर्गा सहित महापुरूषों, विभिन्न जीव-जन्तुओं की छेनी-हथोड़े, औजारों से पत्थरों को तराशकर अपने हाथों से जीवन्त मूर्तियां बनाते है.
शिल्पी झिरी (दौसा), मकराना, (नागौर), भैंसलाना (जयपुर), चित्तौड़ अम्बाजी गुजरात, इटली तथा वियतनाम से भी कच्चा माल मंगाते है. अच्छी गुणवत्ता कम कीमत की मूर्तियां होने से जयपुर सहित राज्य के अन्य जिलों तथा पड़ौसी राज्यों हरियाणा, पंजाब, गुजरात आदि में वहां के स्थानीय बाजारों में विक्रय के लिए भेजा जाता है.
फुटबॉल: विश्व का सबसे प्रसिद्ध खेल
फुटबॉल का खेल जिले के युवाओं और बच्चों के बीच भी खासा लोकप्रिय है. यह खेल नियमित रूप से यहां के युवाओं और बच्चों द्वारा जिला खेलकूद प्रशिक्षण केन्द्र (दशहरा मैदान, छोटा राजबाग, बड़ा राजबाग, साहूनगर, चौथ का बरवाड़ा) के खेल मैदानों के साथ-साथ विभिन्न विद्यालयों और ग्रामीण स्तर पर युवाओं द्वारा खेला जाता है.
इस खेल की लोकप्रियता के कारण सवाई माधोपुर में फुटबॉल खेल अकादमी की स्थापना किया जाना अत्यन्त आवश्यक है. वहीं जिले के 15 खिलाड़ी राज्य स्तरीय फुटबॉल प्रतियोगिताओं में अपने खेल और कौशल का परिचय दे चुके हैं.
नीम: भारतीय मूल का एक पर्ण-पाती वृक्ष
जिले के नीम के पेड़ ने भी अपनी पहचान बनाई हुई है. नीम एक तेजी से बढ़ने वाला पर्णपाती पेड़ है, जो 15-20 मीटर (लगभग 50-65 फुट) की ऊंचाई तक पहुंच सकता है और कभी-कभी 35-40 मटरी (115-131 फुट) तक भी ऊंचा हो सकता है. यह वृक्ष भारतीय उपमहाद्वीप की भौगोलिक सीमा को लांघ कर अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, दक्षिण पूर्व एशिया, दक्षिण और मध्य अमरीका तथा दक्षिणी प्रशान्त द्वीपसमूह के अनेक उष्ण और उप-उष्ण कटिबन्धीय देशों में भी पाया जाता है. इसकी पत्ती हरी, स्वाद में कड़वी, फूल सफेद और सुगन्धित होते हैं और इसका फल नीमोली पकने पर मीठा और गुणकारी होता है.
रणथम्भौर टाईगर रिजर्व
जिला मुख्यालय से 14 किलोमीटर दूर रणथम्भौर टाईगजर रिजर्व सम्पूर्ण विश्व में बाघों के साथ-साथ अन्य जीव-जन्तुओं के लिए विश्व प्रसिद्ध है. यहां लगभग 160 देशों के साथ ही देशी पर्यटक भी वन्यजीवों को स्वछंद विचरण करते देखने प्रतिवर्ष आते है. इस वर्ष अक्टूबर तक कुल 5 लाख 47 हजार 770 पर्यटक आएं हैं. जिनमें 4 लाख 7 हजार 735 भारतीय और 1 लाख 40 हजार 19 विदेशी पर्यटक और 16 शोधार्थी छात्र भी शामिल है.
रणथम्भौर टाईगजर रिजर्व में कुल 10 जोन है, जिनमें से 1 से 5 जोन त्रिनेत्र गणेश मंदिर जाने वाले मार्ग पर स्थित है. जो 1 अक्टूबर से 30 जून तक पर्यटकों के लिए खुले रहते है. वहीं 6 से 10 जोन खण्डार जाने वाले मार्ग पर स्थित है. जो वर्ष पर्यन्त पर्यटकों के लिए खुले रहते है. यहां लगभग 73 बाघ, बाघिन और शावक हैं.
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