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भारत में नजर आया रमजान का चांद,12 मार्च को रखा जाएगा पहला रोजा

रमजान का चांद नजर आते ही मुस्लिम समाज में खुशी की लहर दौड़ गई. शाम के समय युवक, महिलाएं एवं बच्चे चांद देखने के लिए घरों की छतों पर पहुंच गए.

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भारत में नजर आया रमजान का चांद,12 मार्च को रखा जाएगा पहला रोजा
रमजान का चांद दिखा.

Ramadhan: रमजान मुस्लिम समुदाय के लिए सबसे पवित्र महीना होता है. रमजान का महिला इस्लामी साल हिजरी का नौवां महीना होता है जो बेहद खास होता है. रमजान का महीना चांद दिखने के बाद शुरू होता है जो 11 मार्च की शाम को देखा जा चुका है. सऊदी अरब में जिस दिन रमजान का चांद नज़र आता है, आम तौर पर उसके अगले दिन भारत में चांद का दीदार होता है. वहीं अरब में चांद दिखने के बाद भारत में भी चांद दिख चुकी है ऐसे में 12 मार्च से रोजा रखा जाएगा. 

इस पूरे महीने में 29 या 30 रोजे होते हैं और इनके पूरा होने पर ईद-उल-फ़ित्र का त्यौंहार मनाया जाता है. इस्लाम में ये मान्यता है कि सन् 610 ई में पवित्र ग्रंथ कुरआन मुकम्मल हुआ था, इसलिए ये महीना मुस्लिमों के लिए बेहद एहम होता है.

मुस्लिम समुदाय में खुशी की लहर

रमजान का चांद नजर आते ही मुस्लिम समाज में खुशी की लहर दौड़ गई. शाम के समय युवक, महिलाएं एवं बच्चे चांद देखने के लिए घरों की छतों पर पहुंच गए. चांद का दीदार करने के बाद बड़े और बच्चों ने दुआ की. ईशा की नमाज के बाद मस्जिदों में तरावीह की नमाज अदा की गई. चांद नजर आते ही बाजार में रौनक बढ़ गई.

जैसे ही चांद के दीदार हुए, एक दूसरे को मुबारकबाद देने का सिलसिला शुरू हो गया. वहीं, एक दूसरे को मोबाइल पर फोन व मैसेज के जरिए रमजान की आमद की मुबारकबाद दी. उलेमाओं द्वारा चांद दिखने की पुष्टि करते हुए मस्जिदों से रमजान की आमद का ऐलान कर दिया गया. दीनी ऐलान के अब्दुल सलीम कादरी ने शहर वासियों को रमजान की मुबारकबाद पेश की एवं सुख समृद्धि एवं सौहार्द की दुआ की. मंगलवार को रमजान का पहला रोजा होगा. 

अब्दुल सलीम कादरी ने बताया इस्लामी कैलेंडर के अनुसार रमजान का महीना नौवां महीना होता है, जिसे सबसे पाक और खास माना जाता है. इस पूरे महीने मुसलमान सुबह से लेकर शाम तक यानी सूर्योदय होने से लेकर सूर्यास्त तक उपवास (Fast) रखते हैं और कुरआन की तिलावत व पंजवक्ता नमाज पढ़ कर इबादतों में मशगूल रहते हैं.

बिना खाये-पाए रखते हैं रोजा

रोजे के दौरान लोग पूरी तरह अनुशासन का पालन करते हैं और बिना कुछ खाए-पिए रहते हैं. रमजान का महीना इस्लमी साल शाबान के महीने के बाद आता है. ये इस्लामी साल का नौवां महीना है. रोज़ सुबह सूरज निकलने से पहले कुछ खा कर शुरू किया जाता है, जिसे सेहरी कहते हैं. उसके बाद दिन भर खाने और पीने पर बन्दिश रहती है. उसके बाद शाम को सूरज डूबने के बाद इफ़्तार किया जाता है. जिसे रोज़ा खोलना भी कहते हैं.

रमज़ान महीने के 30 दिन के रोज़ों को तीन अशरों यानी हिस्सों में बांटा गया है. रमज़ान के पहले 10 दिन रेहमत के, दूसरे 10 दिन बरकत के और आख़िरी 10 दिन मग़फ़िरत के कहे जाते हैं. 

यह भी पढ़ेंः रमजान के महीने की खासियत और क्या करें क्या नहीं

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