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स्कूलों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं?

देव शर्मा
  • विचार,
  • Updated:
    नवंबर 05, 2025 17:09 pm IST
    • Published On नवंबर 05, 2025 17:05 pm IST
    • Last Updated On नवंबर 05, 2025 17:09 pm IST
स्कूलों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं?

सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन-सीबीएसई द्वारा स्कूलों की एकेडमिक परफॉर्मेंस रिपोर्ट का तैयार किया जाना निश्चित तौर पर एक ऐतिहासिक एवं प्रशंसनीय कदम है. किंतु स्कूल एकेडमिक परफॉर्मेंस रिपोर्ट का सिर्फ और सिर्फ संबंधित संस्था प्रधान/स्कूल-हेड को ही उपलब्ध कराया जाना अभिभावकों एवं आमजन के अधिकारों का स्पष्ट हनन है, भारतीय संविधान द्वारा दिए गए मौलिक अधिकार पर कुठाराघात है. एक अभिभावक के लिए जानना अत्यंत आवश्यक है कि जिस स्कूल में उसके बच्चे पढ़ रहे हैं वह राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर किस पायदान पर है? 10वीं एवं 12वीं बोर्ड की परीक्षा में स्कूल के विद्यार्थियों द्वारा अर्जित किए गए औसत-अंक राज्य तथा राष्ट्रीय मानकों के आंकड़ों से  बेहतर हैं या कमतर हैं?

यह हो सकता है कि संबंधित स्कूल के विद्यार्थियों द्वारा अर्जित किए गए अंक उस राज्य तथा राष्ट्रीय औसत की तुलना में महत्वहीन हों या अत्यंत महत्वपूर्ण हों, यह जानना तो अभिभावकों का अधिकार है ही. अतः विद्यालय के शैक्षणिक-स्तर की जांच परख हेतु इन आंकड़ों का स्कूल एकेडमिक परफॉर्मेंस-रिपोर्ट के माध्यम से सार्वजनिक किया जाना अत्यंत आवश्यक है.

परफॉर्मेंस रिपोर्ट की प्रासंगिकता

अनुभव बताता है कि कई विद्यालयों में 10वीं कक्षा तक का शैक्षणिक-स्तर उच्च कोटि का होता है किंतु सीनियर-सेकेंडरी स्तर पर बेहतर शिक्षकों की अनुपलब्धता के कारण शैक्षणिक-स्तर को उच्च-कोटि का बनाए रखना संभव नहीं हो पाता. स्थिति यह हो जाती है कि कुछ विद्यालयों का वाणिज्य संकाय बेहतर है, किंतु विज्ञान-संकाय की स्थिति बेहद खराब है, कला-संकाय में नाम-मात्र विद्यार्थियों का नामांकन है. 

स्कूल एकेडमिक परफॉर्मेंस रिपोर्ट में उपलब्ध आंकड़ों के विश्लेषण से संकायों की स्थिति अभिभावकों एवं आमजन को आसानी से उपलब्ध हो जाएगी,अभिभावक तार्किक तौर पर यह निर्णय ले सकेंगे कि किस संकाय में प्रवेश हेतु कौन सा स्कूल बेहतर है?

शैक्षणिक सुविधाओं के राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर पर तुलनात्मक आंकड़ों के उपलब्ध होने से स्कूल-प्रशासन मनमर्जी से फीस निर्धारित नहीं कर पाएंगे. फीस, परफॉर्मेंस आधारित हो जाएगी. मोटी-फीस लेंगे तो सुविधाओं के साथ बेहतरीन शिक्षा की व्यवस्था करना स्कूल प्रशासन की नैतिक-जिम्मेदारी हो जाएगी. फीस-निर्धारण एकेडमिक-परफॉर्मेंस रिपोर्ट द्वारा स्वत: ही हो जाएगा, जो बेहतर होगा वह टिकेगा, और टिकना है तो बेहतर होना होगा. 

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सिर्फ पढ़ाई का ही हाल नहीं बताएगी रिपोर्ट 

बालिका शिक्षा को लेकर अभिभावक निश्चित तौर पर अधिक सजग होते हैं. अभिभावक की जिज्ञासा रहती है कि स्कूल में बालिकाओं की संख्या कितनी है? बालिकाओं की एकेडमिक-परफॉर्मेंस कैसी है? किंतु  यह आंकड़े सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं होते, ऐसी स्थिति में अभिभावकों को प्रवेश संबंधित निर्णय लेने में बड़ी परेशानी होती है.

स्कूल एकेडमिक परफॉर्मेंस रिपोर्ट के माध्यम से स्कूल में बालिकाओं के नामांकन एवं उनकी शिक्षा के स्तर से संबंधित सभी आंकड़े अभिभावकों एवं आमजन को उपलब्ध होंगे ऐसी स्थिति में अभिभावक बालिकाओं की शिक्षा को लेकर बेहतर निर्णय ले पाएंगे और स्कूल प्रशासन भी बालिकाओं की शिक्षा को लेकर अधिक सजग रहेगा.

स्कूल एकेडमिक परफॉर्मेंस-रिपोर्ट में सिर्फ और सिर्फ शैक्षणिक-उपलब्धियां के आंकड़े ही उपलब्ध नहीं है अपितु खेल संबंधी सभी आंकड़े भी राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर तुलनात्मक-विश्लेषण के साथ उपलब्ध हैं. ऐसी स्थिति में खेलों में रुचि रखने वाले विद्यार्थियों/अभिभावकों को यह निर्णय लेने में आसानी होगी की खेलों के माध्यम से ही कैरियर बनाना है तो कौन सा स्कूल बेहतर रहेगा? 

यहां तक कि एथलेटिक्स,तैराकी, शूटिंग इत्यादि खेलों में स्कूल के खिलाड़ियों की स्थिति क्या है, उपयुक्त है अथवा उपयुक्त नहीं है यह निर्णय भी विद्यार्थी एवं अभिभावक आसानी से ले सकेंगे.

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क्या खास है स्कूल एकेडमिक परफॉर्मेंस-रिपोर्ट कार्ड में?

स्कूल एकेडमिक परफॉर्मेंस रिपोर्ट-कार्ड में 10वीं तथा 12वीं-बोर्ड के विद्यार्थियों के आंकड़ों का विश्लेषण तीन मुख्य शीर्षकों के आधार पर किया गया है-

1.10वीं एवं 12वीं बोर्ड में स्कूल के विद्यार्थियों द्वारा अर्जित ओसत अंकों का राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर पर तुलनात्मक-विश्लेषण

2.नामांकित विद्यार्थियों का जेंडर के आधार पर तुलनात्मक-विश्लेषण

3.10वीं तथा 12वीं बोर्ड में अध्ययनरत स्कूल के विद्यार्थियों द्वारा विषयवार अर्जित औसत-अंको का राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर पर तुलनात्मक विश्लेषण

4.खेलकूद-प्रतियोगिताओं में स्कूली-विद्यार्थियों की भागीदारी एवं प्रदर्शन के आधार पर राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर तुलनात्मक-विश्लेषण

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लेखक परिचयः देव शर्मा  कोटा  स्थित इलेक्ट्रिकल इंजीनियर और फ़िज़िक्स के शिक्षक हैं.  उन्होंने 90 के दशक के आरंभ में कोचिंग का चलन शुरू करने में अग्रणी भूमिका निभाई. वह शिक्षा संबंधी विषयों पर नियमित रूप से लिखते हैं.

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.

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