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This Article is From Jul 27, 2023

'केशव डकैत गैंग' का सफाया करने वाले IPS धर्मेंद्र सिंह, अब CM के जिले की कानून व्यवस्था संभाल रहे हैं

आईपीएस धर्मेंद्र सिंह मूल रूप से बिहार राज्य के पटना जिले के पालीगंज गांव से हैं. जहां वर्ष 2013 में यूपीएससी की परीक्षा पास करने के बाद आईपीएस अधिकारी के रूप में 2014 में राजस्थान कैडर मिला.

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'केशव डकैत गैंग' का सफाया करने वाले IPS धर्मेंद्र सिंह, अब CM के जिले की कानून व्यवस्था संभाल रहे हैं

राजस्थान की न्यायिक राजधानी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले के ग्रामीण क्षेत्र में कानून व्यवस्था की कमान भारतीय पुलिस सेवा के 2014 बेच के आईपीएस अधिकारी धर्मेंद्र सिंह यादव के कंधे पर है. जोधपुर ग्रामीण पुलिस का क्षेत्र पुलिस कमिश्नरेट के क्षेत्र से भी व्यापक है. आईपीएस धर्मेंद्र सिंह मूल रूप से बिहार राज्य के पटना जिले के पालीगंज गांव से हैं. जहां वर्ष 2013 में यूपीएससी की परीक्षा पास करने के बाद आईपीएस अधिकारी के रूप में 2014 में राजस्थान कैडर मिला. जहां उनकी कहीं महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियां हुई.

अलवर जिले से प्रोबेशन के साथ सेवाएं शुरू की. जिसके बाद भरतपुर में ASP रहने के बाद राजस्थान के राज्यपाल के ADC के रूप में नियुक्ति मिली. जिसके बाद जोधपुर में DCP (ईस्ट) रहे व SP सिरोही,SP धौलपुर के पद पर रहने बाद अब वर्तमान में जोधपुर ग्रामीण पुलिस अधीक्षक(SP) के रूप में कार्य कर रहे हैं. अपने इन सभी कार्यकाल में बड़ी उपलब्धि के रूप में का धर्मेंद्र सिंह यादव कहते हैं कि धौलपुर एसपी रहते हुए धौलपुर के डांग क्षेत्र में केशव डकैत और उसकी पूरी गैंग का सफाया करने को मानते हैं.

उनका कहना है कि केशव डकैत नाम का जो डकैत था उसने धौलपुर के डांग इलाके पर कब्जा कर रखा था और जहां वह कोई भी सरकारी, प्राइवेट या पंचायत का काम नहीं होने देता था. लोगों में भी भय का माहौल रहता था. उस डकैत पर मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सहित तीन राज्यों से लगभग सवा लाख का इनाम था. इस पूरी गैंग का सफाया किया और पुलिस एनकाउंटर में केशव डकैत के पैर में गोली लगी थी. उसके बाद से पूरे डांग क्षेत्र में शांति और अमन का माहौल स्थापित हुआ था. जहां आईपीएस धर्मेंद्र सिंह कहते है कि इनके अब तक के कार्यकाल में यह एक बड़ी उपलब्धि मानते हैं.

NDTV से खास बातचीत करते हुए जोधपुर ग्रामीण पुलिस अधीक्षक धर्मेंद्र सिंह यादव ने अपनी शिक्षा से जुड़े  प्रश्न का जवाब देते हुए बताया कि उनकी परवरिश और स्कूली शिक्षा झारखंड राज्य की हजारीबाग से हुई है. जहां दसवीं तक की पढ़ाई हजारीबाग की सेंट पॉल स्कूल से ग्रहण की उसके बाद 12वीं की पढ़ाई रांची के शामली से की. इसके बाद आईआईटी एंट्रेंस एग्जाम देकर आईआईटी बीएचयू से बी.टेक(मेटलर्जिकल्स इंजीनियरिंग) से किया. जिसके बाद टाटा स्टील कंपनी में 3 साल प्रोजेक्ट मैनेजर के रूप में भी कार्य किया और 1 साल बिहार के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में भारत सरकार के प्रोजेक्ट के तहत पीएमआरडीएफ भी रहे.

धर्मेंद्र सिंह

IPS

दैनिक दिनचर्या के सवाल का जवाब देते हुए एसपी धर्मेंद्र सिंह यादव ने कहा कि जनरल पुलिस का जो काम है उसमें लेट नाईट तक जगना पड़ता है. अमूमन वह काफी लेट सोते हैं और प्रतिदिन अपने जिले के क्राइम की रिपोर्टिंग भी लेते हैं. पूरे जिले में कहां क्या रहा? लॉ एंड ऑर्डर? शाम की और रात की गस्त में क्या एक्टिविटी है? इसके अलावा कोशिश करता हूं कि सप्ताह में दो या तीन बार रात के समय जिले के किसी भी थाने या चौकी की सरप्राइज विजिट हो जाए. इसी कारण लेट सोता हूं और सुबह मॉर्निंग में जल्दी उठने के बाद हल्की स्ट्रैचिंग करने के साथ ही वाकिंग करने के बाद ऑफिस आता हूं. पूरा समय ऑफिस में देने के साथ ही ज्यादा से ज्यादा जनसुनवाई करने को प्राथमिकता देता हूं और जिले से आने वाले हर एक फरियादी से व्यक्तिगत रूप से मिलता हूं. उसके बाद का जो समय है उसमें फील्ड विजिट करता हूं.

सरकारी विभागों में वर्क कल्चर के सवाल का जवाब देते हुए जोधपुर ग्रामीण एसपी धर्मेंद्र सिंह यादव ने कहा कि पुलिस काफी स्ट्रेस वाला जॉब है और सामान्यतौर पर भी सरकारी विभाग जो है क्योंकि हम लोग एक डेवलपिंग इकोनामी है और हमेशा एक सवाल उठता है कि पुलिस का पापुलेशन रेश्यो जो है वह डवलप कंट्रीज की तरह भारत में नहीं है खासकर राजस्थान में भी कम है तो इस कारण काफी स्ट्रेस रहता है क्योंकि जितनी जनसंख्या और क्राइम है उससे हमें अगर डील करना है तो उस कारण हमें ज्यादा समय देना पड़ता है जिस कारण वर्क एनवायरमेंट काफी स्ट्रेसफुल रहता है बाकी इस एनवायरमेंट में भी पुलिसकर्मी अपना शत-प्रतिशत से भी ज्यादा देने की कोशिश करते हैं ऑलऑवर अगर बात करें तो पुलिस महकमा यूनिफॉर्म और डिसिप्लिन वाला विभाग है तो हमें हमारे स्ट्रक्शन को नीचे पहुंचाने में दिक्कत नहीं आती और मेरा मानना है कि अन्य सिविल विभागों की तुलना में पुलिस विभाग का वर्क कल्चर काफी अच्छा है.


आईपीएस अधिकारी धर्मेंद्र सिंह यादव से जब पूछा गया उनके सामने आने वाली परेशानियों से कैसे निपटते हैं तो इस प्रश्न का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि कई बार ऐसा होता है कि बड़ी घटना होने की स्थिति में बिना सोए, खाए, पीए 24 से 48 घंटे तक देने पड़ते हैं. सच में कहीं बार खाने क़ा समय भी नहीं मिलता तो कहीं बार 48 घंटे तक नींद भी नसीब नहीं होती. हाल ही में ओसिया के चिरईगांव में सामूहिक हत्याकांड का जिक्र करते हुए धर्मेंद्र सिंह ने कहा कि इस प्रकरण में काफी डिफिकल्ट परिस्थितियां थी अर्ली मॉर्निंग कॉल और उसमें लॉ एंड ऑर्डर भी संभालना है. इसके साथ इन्वेस्टिगेशन भी देखना है ब्लाइंड मर्डर केस का तो उस मर्डर को ट्रेस करना है एक चैलेंज  सिचुएशन था. इसके अलावा जैसे मैंने बताया की धौलपुर के डांग क्षेत्र में जब ऑपरेशन चलते हैं उसमें लगातार 12 घंटे पैदल चलकर ऑपरेशन करना काफी चैलेंजिंग एनवायरमेंट था.

रात 10 बजे से ऑपरेशन शुरू होता जो अगले दिन 2 बजे तक ऑपरेशन चलता डांग में जिसमें आपको अपना लोकेशन सेटेलाइटमेंटेन करते हुए अपराधिक के लोकेशन तक पहुंचना होता है उस परिस्थिति में आप अगर कोई वाहन यूज़ करते हैं तो खुला इलाका होने के कारण अपराधी तक लाइट की रोशनी पहुंच जाती है जिससे वह सतर्क हो जाते हैं और वह एक फिजिकली और टैक्टिकली चैलेंजिंग सिचुएशन था साथ ही वैसे अपराध जिसमें कानून व्यवस्था भी प्रभावित होने का खतरा रहता है अभी हाल ही में जो चिराई गांव में घटना हुई ऐसे में हर एंगल से फाइट कर रहे होते हैं जिसमें मीडिया मैनेज करना, ग्राउंड मैनेज भी करना होता है, लॉ एंड ऑर्डर, साथी साथ एक अलग टीम लगानी पड़ती है जो इस केस पर वर्क करें अमूमन ऐसा होता है कि लॉ एंड ऑर्डर जब होता है तो आपका दिमाग इन्वेस्टिगेशन से हट जाता है इस तरह काफी चैलेंजिंग सिचुएशन आते हैं.

धर्मेंद्र सिंह

IPS


जोधपुर ग्रामीण एसपी धर्मेंद्र सिंह यादव ने बताया कि चुनौतियों से निपटने के लिए टीमवर्क बहुत ही महत्वपूर्ण है. अकेले आप कुछ नहीं कर सकते. आप अगर सोचेंगे कि सब कुछ आप ही कर लें तो यह संभव नहीं कि पूरी टीम पर भरोसा रखना होता है. जिले की टीम को इकट्ठा करके उसमें वर्क का डिवीजन करना होता है जिससे आपके वरिष्ठ एडिशनल एसपी और डिप्टी एसपी है उनको टास्क बताते हुए ट्रस्ट करते डि-सेंट्रलाइज करते हो तब कहीं जाकर जो बड़ा और चैलेंजिंग टास्क है. वह सफल हो पाता है टीम,डिविजन, टास्क स्पेसिफिकेशन करने से आप बड़े चैलेंजिंग को भी डील कर पाएंगे.


पुलिस अधीक्षक जोधपुर ग्रामीण धर्मेंद्र सिंह यादव ने कार्य व्यस्तता के साथ मिलने वाले अवकाश के प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि छुट्टियां तो वैसे कम ही मिलती है. लेकिन जब भी छुट्टियां मिलती है तो कोशिश करता हूं कि इस साल 2 साल में एक बार फैमिली के साथ छुट्टी पर जा पाऊं. मुझे और मेरी पत्नी को ट्रैकिंग करना काफी पसंद है हिल स्टेशन पर घूमना मुझे काफी पसंद है. साथ ही खानपान से जुड़े क्षेत्रों में जाकर वहां के ट्रेडिशनल फूड खाना भी पसंद करता हूँ.

अपने कार्यकाल में कुछ अच्छी यादों का जिक्र करते हुए धर्मेंद्र सिंह यादव ने बताया कि कोरोना काल के विकट समय में वह जोधपुर में पुलिस उपायुक्त पूर्व के पद पर नियुक्त थे. इस विकट परिस्थितियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उस समय जनता से मिल भी नहीं सकते थे. लेकिन फिर भी जनता के बीच में जाना और उनकी समस्याओं को डील करना आज जब वह जोधपुर ग्रामीण एसपी के रूप में वापस आए हैं. तब लोग उनसे मिलते हैं प्रेम भाव के साथ मिलते हुए उस समय की यादों को साझा करते हैं जो उन्हें अच्छा लगता है.


जोधपुर ग्रामीण पुलिस अधीक्षक के रूप में अपने जिले की आगे की कार्य योजना का जिक्र करते हुए धर्मेंद्र सिंह यादव ने बताया कि अगर आप जोधपुर ग्रामीण क्षेत्र का अध्ययन करेंगे तो यहां सबसे बड़ा मुद्दा ड्रग्स, एनडीपीएस है और उसी के इर्द-गिर्द हर तरह का क्राइम यहां होता है. जो गैंग्स है वह आपस में गैंगवार करते हैं. और फिर धीरे-धीरे भूमाफिया में कन्वर्ट हो जाते हैं. यह माफिया लोकल इलेक्शन को भी प्रभावित करने का प्रयास करते हैं और यह बड़ा मुद्दा है और हम लगातार इस पर काम कर रहे हैं.
 

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