
राजस्थान में सड़क सुरक्षा और आपातकालीन सेवाओं को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है. स्टेट हाईवे नंबर-3 पर बीकानेर से श्रीगंगानगर के बीच इंसिडेंट डिटेक्शन सिस्टम आईडीएस लगाया जा रहा है, जो दुर्घटना या ट्रैफिक जाम जैसी स्थितियों में तुरंत अलर्ट जारी करेगा, और राहत दल को मौके पर भेजेगा. इस तकनीक की मदद से ना केवल दुर्घटनाओं में तेजी से सहायता पहुंच पाएगी, बल्कि यातायात की व्यवस्था को भी चुस्त-दुरुस्त किया जा सकेगा.
200 मीटर दूर तक निगरानी करने में सक्षम
बीकानेर से श्रीगंगानगर तक तकरीबन 92.95 किलोमीटर लंबे मार्ग पर ये प्रणाली 5 स्थानों पर स्थापित की गई है. बीकानेर में पूगल रोड आरओबी समाप्त होने के बाद करणी इंडस्ट्रियल एरिया की ओर, लाखूसर, मोतीगढ़ और श्रीगंगानगर में पदमपुर से रायसिंहनगर के बीच दो स्थानों पर उच्च रेजोल्यूशन वाले कैमरे लगाए गए हैं. ये कैमरे करीब 200 मीटर की दूरी तक निगरानी करने में सक्षम हैं, और विशेष रूप से दुर्घटना संभावित क्षेत्रों में लगाए गए हैं.
कैमरे कंट्रोल रूम को करते हैं अलर्ट
इस सिस्टम कार्यप्रणाली अत्यन्त उन्नत है. जब किसी स्थान पर सड़क दुर्घटना, ट्रैफिक जाम या वाहनों की गलत पार्किंग जैसी घटना घटती है, तब कैमरे अपने सेंसर के माध्यम से घटना को पहचानते हैं और तुरन्त आईडीएस कंट्रोल रूम को अलर्ट भेजते हैं. कन्ट्रोल रूम से निकटवर्ती टोल प्लाजा पर तैनात स्टाफ को सूचना मिलती है, जिससे पेट्रोलिंग गाड़ी, एम्बुलेन्स और क्रेन तुरन्त मौके पर पहुंचा दी जाती है. इससे दुर्घटना में फंसे लोगों को जल्द सहायता मिलती है, और ट्रैफिक जाम जैसी स्थिति भी जल्दी नियंत्रित की जा सकती है.
ई-चालान के लिए लगाए गए कैमरे
इस परियोजना को वर्ल्ड बैंक के सहयोग से क्रियान्वित किया जा रहा है. कुल 210.11 करोड़ रुपये के बजट से स्टेट हाईवे 3 के बीकानेर से सत्तासर और श्रीगंगानगर में पदमपुर से रायसिंहनगर तक के मार्ग का निर्माण, सड़क सुरक्षा, ई-चालान व्यवस्था आदि के लिए खर्च किया गया है. तीन जगहों पर ओवरस्पीडिंग की निगरानी के लिए भी विशेष कैमरे लगाए गए हैं, जिससे नियम तोड़ने वालों के खिलाफ तुरन्त ई-चालान जारी हो सकेगा.
"ग्रामीण क्षेत्रों को मिलेगा लाभ"
स्टेट हाईवे ऑथोरिटी के एईएन अकील उस्ता के अनुसार, इस निर्माण से ग्रामीण क्षेत्रों को भी बड़ा लाभ होगा. बेहतर सड़क संपर्क से आवागमन आसान होगा और समय की भी बचत होगी. ये परियोजना न केवल एक तकनीकी नवाचार है बल्कि लोगों के जीवन और सुरक्षा से सीधा जुड़ा हुआ एक बेहतरीन मानवीय प्रयास भी है. ये पहल सड़क हादसों को कम करने, त्वरित सहायता पहुंचाने और ग्रामीण विकास को गति देने में मील का पत्थर साबित हो सकती है.
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