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मलावी में भारत के हाई कमिश्नर बने IFS अमराराम गूजर, राजस्थान में कभी चराते थे बकरियां

Pride of Rajasthan: अमराराम गूजर बचपन में अपने पिता के साथ बकरियां चराने जाया करते थे. उनके माता-पिता अनपढ़ थे, लेकिन उन्होंने कभी स्कूल की तरफ बढ़ते कदमों को नहीं रोका और वे 2008 में IFS अधिकारी बन गए.

मलावी में भारत के हाई कमिश्नर बने IFS अमराराम गूजर, राजस्थान में कभी चराते थे बकरियां
राजस्थान के IFS अमराराम गूजर को मलावी में बड़ी जिम्मेदारी मिली है. (फाइल फोटो)

Rajasthan News: भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी अमराराम गूजर (IFS Amararam Gujar) को मंगलवार शाम दक्षिण-पूर्वी अफ्रीका के देश मलावी (Malawi) में भारत का अगला हाई कमिश्नर नियुक्त किया गया. कुमार वर्तमान में रोम में मिशन के डिप्टी चीफ के रूप में काम कर रहे हैं. विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को एक आधिकारिक बयान जारी कर इसकी पुष्टि की है. उनके शीघ्र ही कार्यभार संभालने की उम्मीद है.

1964 से राजनयिक संबंध

विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत और मलावी के बीच सौहार्दपूर्ण और मैत्रीपूर्ण द्विपक्षीय संबंध हैं. भारत ने 1964 में अपनी स्वतंत्रता के तुरंत बाद मलावी के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए. इसके बाद, मलावी में एक निवासी मिशन स्थापित किया गया. हालांकि, कुछ प्रशासनिक कारणों से, मलावी में उच्चायोग 1993 में बंद कर दिया गया था. लेकिन भारत के मलावी के साथ राजनयिक संबंध जारी रहे. मलावी को फरवरी 2012 तक जाम्बिया में भारत के मिशन के साथ-साथ मान्यता दी गई थी. मार्च 2012 में निवासी मिशन को पुनः खोला गया. मलावी ने फरवरी 2007 में दिल्ली में अपना मिशन खोला.

राजस्थान के पाली में जन्में

अमराराम गुर्जर की कहानी संघर्ष और मेहनत की एक प्रेरणादायक गाथा है. राजस्थान के पाली जिले के गुड़ा रामसिंह गांव में जन्मे अमराराम ने अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया और हर बार हार नहीं मानी. अमराराम का जन्म एक साधारण पशुपालक व किसान परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम घीसाराम गुर्जर और मां तीजा देवी है. अमराराम ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के एक सरकारी स्कूल से पूरी की, जहां उन्हें नंगे पैर 10 किमी का सफर तय करना पड़ता था. इसके बाद उन्होंने 15 किमी दूर बगड़ी के एक स्कूल से आगे की पढ़ाई पूरी की.  स्कूल की छुट्टी वाले दिन वे अपने पिता के साथ बकरियां चराने जाते थे.

2007 में पास की UPSC परीक्षा

अमराराम के परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी, जिसके कारण उन्हें कई बार पढ़ाई छोड़नी पड़ी. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपने लक्ष्य की ओर पूरे फोकस के साथ जुटे रहे. पिता की मौत के बाद परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा, लेकिन अमराराम ने अपनी मेहनत और लगन से आगे बढ़ते रहे. अमराराम ने टीचर्स ट्रेनिंग का कोर्स पूरा किया और दिल्ली एमसीडी के स्कूल में टीचर के रूप में भर्ती हो गए. इसके बाद उन्होंने राजस्थान पुलिस में सब-इंस्पेक्टर की नौकरी जॉइन की. लेकिन उनका अंतिम लक्ष्य यूपीएससी की परीक्षा पास करना था. वर्ष 2006 में अपने पहले प्रयास में वे इंटरव्यू तक पहुंचे लेकिन सफल नहीं हो पाए। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और साल 2007 में दूसरे प्रयास में पूरे भारत में 140वीं रैंक पाकर आईएफएस अधिकारी बन गए.

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