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700 साल पुराने मल्लीनाथ पशुमेले का आगाज, दिखेगा ऊंटो का करतब, लूनी नदी में गूंजेगी घोड़ो की टॉप 

तिलवाड़ा में आयोजित होने वाले इस मेले की शुरुआत से पहले कलेक्टर समेत सभी जिम्मेदार अधिकारियों ने बैठक आयोजित की. इस दौरान उन्होंने मेले में पानी, दवाई और पशुओं के चारे संबंधित अन्य जरूरी चीजों के उपलब्धता सुनिश्चित करवाने के निर्देश दिए.

700 साल पुराने मल्लीनाथ पशुमेले का आगाज, दिखेगा ऊंटो का करतब, लूनी नदी में गूंजेगी घोड़ो की टॉप 
फाइल फोटो

Rajasthan News: बालोतरा जिले में लूनी नदी में एक बार फिर घोड़ों की टॉप और ऊंटों के करतब देखने को मिलेंगे. तिलवाड़ा गांव के लूनी नदी में आयोजित होने वाले मल्लीनाथ पशु मेले को लेकर प्रशासन की तैयरियां शुरू हो गई है. करीब 700 साल से चले आ रहे मेले में राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों से पशुपालक तिलवाड़ा के पशु मेले में पहुंचेगे.

प्रसिद्व श्री मल्लीनाथ पशु मेला तिलवाड़ा में 5 अप्रैल से 19 अप्रैल तक आयोजित किया जाएगा. इस राज्य स्तरीय पशु मेले की व्यापक तैयारियों और समुचित व्यवस्थाओं को लेकर प्रशासन ने तैयारियों शुरू कर दी है.

कलेक्टर मीटिंग कर दिए जरूरी निर्देश

रविवार को पंचायत समिति सभागार में जिला कलेक्टर सुशील कुमार यादव की अध्यक्षता में श्री मल्लीनाथ पशु मेला प्रबंधकारिणी की प्रथम बैठक आयोजित हुई. इस अवसर पर जिला कलेक्टर सुशील कुमार यादव ने 05 अप्रैल से शुरू होने वाले श्री मल्लीनाथ पशु मेले की समुचित व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए. उन्होंने मेला मैदान को समतल करते हुए जल भराव क्षेत्रों में मिट्टी डालने और मेला मैदान में जल को हटाने के निर्देश दिए. साथ ही उन्होंने मेले में आने वाले पशु और दर्शनाथियों के लिए पर्याप्त पेयजल व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए. उन्होंने मेला परिसर में आवश्यक दवाइयों के साथ मेडिकल टीम मय एंबुलेंस उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए.

भोजन पानी की व्यवस्था के निर्देश

जिला कलेक्टर ने मेले के दौरान वित्तीय सुविधा प्रदान करने के लिए अस्थाई बैंक स्थापित करने के निर्देश दिए. साथ ही मेले के दौरान कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए पुलिस बल तैनात करने और दर्शनार्थियों के आने-जाने वाले मार्ग को दुरुस्त करने के निर्देश दिए. मेले में दर्शनार्थियों को सस्ता भोजन उपलब्ध हो इसके लिए श्री अन्नपूर्णा रसोई व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए.

पशुओं के लिए पर्याप्त मात्रा में चारा उपलब्ध करवाने के लिए ग्राम सेवा सहकारी समिति को चारा डिपो खोलने के निर्देश दिए. उन्होंने मेला मैदान के आगजनी घटनाओं की रोकथाम के लिए मेला अवधि के दौरान अग्नि शमन वाहन उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए. उन्होंने पशु पालकों को उचित मूल्य पर दूध उपलब्ध करवाने के लिए डेयरी बूथ स्थापित करने के भी निर्देश दिए.

1 अप्रैल से शुरू हो जाएगा कार्यक्रम

इस दौरान पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. राजेश शर्मा ने मेले की तिथियों और बजट का अनुमोदन किया. उन्होंने बताया कि मेला परिसर में दुकानों की नीलामी 14 और 15 मार्च को की जाएगी. 01 अप्रैल को चौकी की स्थापना और 05 अप्रैल को झंडारोहण किया जाएगा. जिसके साथ ही मेले का शुभारंभ होगा, 06 और 07 अप्रैल को पशु प्रतियोगिताओं का आयोजन तथा 05 से 08 अप्रैल को खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा.

मेले का 700 साल पुराना है इतिहास

तिलवाड़ा में आयोजित होने वाले इस मेले की शुरुआत विक्रम संवत 1431 में मालानी के राव मल्लीनाथ जी ने थी. मल्लीनाथ जी के राजपाट सम्भालने पर तिलवाड़ा की लूनी नदी में एक विशाल समारोह का आयोजन हुआ, जिसमें साधु संतों के साथ दूर-दूर से लोग शामिल हुए थे. आयोजन की समाप्ति पर वापस लौटने से पहले लोगों ने अपनी सवारी के लिए ऊंट, घोड़ा और अलग अलग नस्ल के बैलों का आपस में आदान-प्रदान किया जाएगा. तभी यह मेला रावल मल्लीनाथ मन्दिर के पास लूनी नदी की तलहटी में हर वर्ष चैत्र महीने में आयोजित होता है.

1958 से इस मेले की बागडोर पशु पालन विभाग ने संभाली तब से यह मेला अनवरत रूप से जारी है. इस मेले में राजस्थान, गुजरात, पंजाब, हरियाणा के पशुपालक शामिल होते है.

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