Rajasthan News: अजमेर की राजनीति में कभी गुरू-चेले के रूप में पहचानी जाने वाली वासुदेव देवनानी-धर्मेंद्र गहलोत की जोड़ी इन दिनों चर्चा के केंद्र में है. राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी की पत्नी इंदिरा देवनानी के हाल ही में हुए निधन पर पूरा राजनीतिक और सामाजिक वर्ग शोक व्यक्त करने पहुंचा, लेकिन भाजपा नेता और पूर्व महापौर धर्मेंद्र गहलोत की अनुपस्थिति ने सभी को हैरान कर दिया. सालों तक एक-दूसरे के भरोसेमंद साथी और राजनीतिक हमराज रहे दोनों नेताओं के बीच कब और क्यों इतनी गहरी खाई बन गई, यह सवाल अभी भी अजमेर में चर्चा का विषय बना हुआ है.
सोशल मीडिया पर जारी किया वीडियो संदेश
इंदिरा देवनानी के बारहवें की रस्म पूरी होते ही धर्मेंद्र गहलोत ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो संदेश जारी किया, जो अब पूरे शहर में वायरल है. वीडियो में गहलोत ने न केवल देवनानी के घर शोक व्यक्त करने न पहुंचने की वजह बताई, बल्कि अपने और देवनानी के रिश्तों पर कई तीखी टिप्पणियां भी कीं. उन्होंने कहा कि 2003 में जब देवनानी अजमेर आए थे, तब उन्हें शहर में कार्यकर्ताओं से मिलाने और राजनीतिक तौर पर स्थापित करवाने में उनकी भूमिका अहम रही.
'मेरा कॉल रिसीव नहीं किया'
गहलोत ने दावा किया कि अगर उन्होंने मुझ पर दो बार अहसान किया, तो मैंने उन पर पांच बार अहसान किया. उन्होंने यहां तक कहा कि दोनों के बीच ‘गुरू-चेले' का रिश्ता जनता ने भले माना हो, पर वास्तविकता अलग है. वीडियो में गहलोत ने शोक प्रकट न करने की मुख्य वजह भी साझा की. उन्होंने बताया कि जनवरी में देवनानी बीमार थे, तब उन्होंने कुशलक्षेम पूछने के लिए फोन किया, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुआ.
धोखेबाज जैसे शब्द सुनने पड़े
बाद में देवनानी के नंबर से आए एक ऑडियो संदेश में उन्हें ‘धोखेबाज' जैसे शब्द सुनने पड़े, जिसने उन्हें आहत किया. इसी आशंका से उन्होंने इंदिरा देवनानी के निधन पर व्यक्तिगत रूप से शोक व्यक्त करने नहीं जाने का फैसला लिया. हालांकि गहलोत ने कई आरोपों और किस्सों का ज़िक्र किया, लेकिन वह ‘असल वजह' अभी भी राज ही रही जिसने इस पुराने रिश्ते को दरकाकर दोनों नेताओं को विपरीत ध्रुवों पर ला खड़ा किया है.
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