मानसिक स्वास्थ्य के लिए आमजन को जागरूक करने के मक़सद से रविवार को वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे के मौके पर कोटा शहर पुलिस और निजी कॅरियर इंस्टीट्यूट प्राइवेट लिमिटेड के संयुक्त तत्वावधान में एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसमें आत्महत्याओं जैसी घटनाओं में कमी लाने के प्रयासों पर विस्तार से चर्चा हुई.
गौरतलब है विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से हर साल 10 सितंबर को वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे निर्धारित किया गया है, जिसके तहत इस वर्ष की थीम ‘क्रीएटिंग होप थ्रू एक्शन' रखी गई है.
काउंसलर्स से मिलकर अपनी समस्या बताएं
मानव विज्ञान एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. निमेष.जी. देसाइ ने कहा कि, सुसाइड सिर्फ कोटा की नहीं बल्कि पूरे देश की समस्या है. आज कल समाज और परिवार के दबाव में स्टूडेंट्स मानसिक दबाव महसूस करते हैं. इसके लिए सबसे जरूरी है कि विद्यार्थी समाज में अपनी भागीदारी दिखाएं. परिवार व अपने आस-पास के लोगों से जुड़ें.मैं स्टूडेंट्स से कहना चाहूंगा कि मनोवैज्ञानिक, मनोचिकित्सक या काउंसलर से बात करना बुरी बात नहीं है. आप उनसे मिलें और अपने मन की बातें साझा करें.
स्टूडेंट्स सामाजिक गतिविधियों से जुडें
कोटा रेंज पुलिस के महानिदेशक प्रसन्न कुमार खमेसरा ने कहा कि, दिमाग में अस्थिरता की वजह से अलग-अलग ख़्याल आते हैं. जिसकी वजह से कई बार निगेटिव ख्याल आते हैं और यही वजह है कि लोग सुसाइड जैसी अप्रिय घटनाओं को अंजाम देते हैं. कॉम्पिटिशन की वजह से अकेलापन इस वक्त सबसे बड़ा इश्यू है. ऐसे में बच्चों को सामाजिक गतिविधियों से जुड़ना चाहिए. राजस्थान सरकार एवं राजस्थान पुलिस के द्वारा कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. इसमें से एक है स्टूडेंट्स सेल भी है, जिसका गठन एसपी कोटा शरद चौधरी द्वारा किया गया है. इस समस्या से निजात पाने के लिए सभी का सहयोग मिलना जरुरी है.
पेरेन्ट्स बच्चों की काउंसलिंग अवश्य कराएं
मनोचिकित्सक डॉ. विनोद दड़िया ने कहा कि कई बच्चे भावनात्मक रूप से कमजोर होते हैं, ऐसे में पेरेन्ट्स को चाहिए अगर उनका बच्चा भावनात्मक रूप से कमजोर है तो वे पहले उसकी काउंसलिंग कराएं. सबसे जरूरी बात है कि सुसाइड जैसी घटनाओं के वीडियो सोशल मीडिया पर काफी जल्दी वायरल होते हैं. ऐसे में अन्य स्टूडेंट्स जो पहले से ही नकारात्मकता से घिरे रहते हैं, वे भी ऐसा कदम उठाने के लिए प्रेरित हो जाते हैं.
समय रहते समस्या का निदान समझना होगा
मनोचिकित्सक डॉ. एमएल अग्रवाल ने कहा कि सुसाइड एक यूनिवर्सल प्रॉब्लम है. हर 40 सेकंड में एक सुसाइड होता है. WHO का मानना है कि यह 99 फीसदी मानसिक स्वास्थ्यकी समस्या से ऐसा होता है. जो कि पहचान में नहीं आ पाता. सही समय पर स्टूडेंट्स के व्यवहार में होने वाले बदलावों को समझना जरूरी है.
सुसाइड करने वाला व्यक्ति अपनी दैनिक दिनचर्या में कुछ इशारे ऐसा देता है, जिससे उसके मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जानकारी मिल सकती है. अगर किसी के सामान्य व्यवहार में बदलाव दिखे तो उस व्यक्ति से बात कर उसकी समस्या को समझने का प्रयास करना होगा और उसे समय रहते साइकोलॉजिस्ट के पास भेजना होगा. तभी ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है.
मिलकर काम करना होगा
कार्यक्रम में कोटा सिटी एसपी शरद चौधरी और साध्वी अनादि सरस्वती ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए. कोटा सिटी एसपी ने कहा कि कोटा का नाम बनाए रखना होगा. किसी विद्यार्थी का सुसाइड करना काफी दुखद होता है. उसके अभिभावकों की पीड़ा का आप और हम नहीं समझ सकते. हमें इस पर मिलकर काम करना होगा. ताकि कॅरियर सिटी में ऐसी घटनाएं नहीं हो.
इस परिचर्चा में कोटा रेंज पुलिस महानिरीक्षक प्रसन्न कुमार खमेसरा, कोटा शहर पुलिस अधीक्षक शरद चौधरी, कोटा मेडिकल कॉलेज प्रिंसीपल डॉ. संगीता सक्सेना, मानव विज्ञान एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. निमेष.जी. देसाई, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कोटा डॉ. जगदीश सोनी, मनोचिकित्सक डॉ. एमएल अग्रवाल, डॉ. विनोद दड़िया एवं साध्वी अनादि सरस्वती ने अपने विचार रखे. इस मौके पर कोटा पुलिस के सभी वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे.