Rajasthan News: राजस्थान के विभिन्न जिलों में कांग्रेस पार्टी ने अरावली पर्वतमाला को बचाने के लिए जोरदार अभियान चलाया. इस अभियान के तहत पैदल मार्च निकाले गए और सरकार की नीतियों का विरोध किया गया. कार्यकर्ताओं ने पर्यावरण संरक्षण की मांग उठाई और कहा कि अरावली केवल पहाड़ नहीं बल्कि जीवन की रक्षा करने वाली महत्वपूर्ण श्रृंखला है. केंद्र और राज्य सरकार पर खनन माफियाओं के साथ मिलकर इसे नष्ट करने के आरोप लगाए गए.
यह आंदोलन पूरे प्रदेश में फैला और हजारों लोग इसमें शामिल हुए. अरावली में खनन की नई परिभाषा का विशेष विरोध हुआ जिसमें 100 मीटर तक की पहाड़ियों को खनन योग्य माना गया है. इससे पर्यावरण को बड़ा नुकसान पहुंचने की आशंका जताई गई.
डीडवाना में सड़कों पर उतरे कांग्रेस कार्यकर्ता
डीडवाना जिले में कांग्रेस कमेटी ने हॉस्पिटल चौराहे से जिला कलेक्ट्रेट तक पैदल मार्च निकाला. पूर्व विधायक चेतन डूडी के आवास से शुरू हुए इस मार्च में जिलेभर से पदाधिकारी और कार्यकर्ता पहुंचे. उन्होंने अरावली की रक्षा के नारे लगाए और सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए.

चेतन डूडी ने कहा कि नई परिभाषा से खनन गतिविधियां तेज होंगी जिससे जल स्तर गिरेगा और भविष्य की पीढ़ियां प्रभावित होंगी. उन्होंने अरावली को क्षेत्र की जीवन रेखा बताया और पर्यावरण संतुलन बनाए रखने की अपील की. मार्च में कार्यकर्ताओं ने केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और खनन माफियाओं से सांठगांठ का आरोप लगाया.
बूंदी में सनातन संस्कृति से जोड़ा अभियान
बूंदी जिले में कांग्रेस ने अरावली बचाओ के साथ मनरेगा के नाम बदलने का भी विरोध किया. पैदल मार्च में बड़ी संख्या में नेता और कार्यकर्ता शामिल हुए. कांग्रेस नेता प्रह्लाद गुंजल ने कहा कि अरावली हमारे जीवन पर्यावरण और संस्कृति का हिस्सा है. इसे बचाना राजनीति से ऊपर नैतिक दायित्व है. उन्होंने सनातन परंपरा की बात की और कहा कि असली सनातनी बनने के लिए प्रकृति की रक्षा जरूरी है न कि सिर्फ नारे लगाने से. मार्च में प्रदर्शनकारियों ने अरावली को जीवनरेखा बताया और सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए.

डूंगरपुर में जन जागरण की पदयात्रा
डूंगरपुर जिले में कांग्रेस ने अरावली बचाओ जन-आंदोलन के तहत शहर में पदयात्रा निकाली. विधायक गणेश घोघरा और जिलाध्यक्ष के नेतृत्व में नया बस स्टैंड से शुरू हुई यह यात्रा कलेक्ट्रेट पहुंची जहां धरना दिया गया. पूर्व सांसद ताराचंद भगोरा पूर्व विधायक सुरेंद्र बामनिया भरत नागदा और नरेंद्र खोड़निया जैसे नेता शामिल हुए.
कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया और अरावली की नई परिभाषा वापस लेने की मांग की. उन्होंने कहा कि खनन से पर्यावरण बिगड़ेगा और स्थानीय लोगों का जीवन प्रभावित होगा.
झुंझुनू में बैनरों से सजा मार्च
झुंझुनू में कांग्रेस ने विद्यार्थी भवन से कलेक्ट्रेट तक पैदल मार्च निकाला. जिला अध्यक्ष और मंडावा विधायक रीटा चौधरी के नेतृत्व में यह आंदोलन चला. कार्यकर्ताओं ने बैनर पोस्टर लेकर अरावली बचाने के नारे लगाए.
उन्होंने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि वह अरावली को खनन माफियाओं के हवाले कर रही है. मार्च गांधी चौक और रोड नंबर-1 से गुजरा और केंद्र राज्य नीतियों का विरोध किया गया. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के निर्देश पर यह कार्यक्रम हुआ जिससे जन जागरण फैला.
नागौर में सीमित लेकिन सशक्त प्रदर्शन
नागौर जिला मुख्यालय पर कांग्रेस कार्यालय से गांधी चौक तक दो किलोमीटर का पैदल मार्च निकाला गया. कार्यकर्ता कांग्रेस झंडे और सेव अरावली की तख्तियां लेकर चले. जिलाध्यक्ष हनुमान बांगड़ा और पूर्व मंत्री मंजू मेघवाल ने नेतृत्व किया. हालांकि कम संख्या में लोग आए जिससे यह खानापूर्ति जैसा लगा लेकिन अभियान की भावना मजबूत रही. प्रदेश भर में आज ही कांग्रेस ने ऐसे मार्च निकाले और अरावली संरक्षण की मांग की.
करौली में पर्यावरण संतुलन की पुकार
करौली में कांग्रेस ने मासलपुर मोड़ से सिटी पार्क तक पैदल मार्च निकाला. जिला कमेटी के तहत यह जन-जागरण रैली हुई जहां प्रदर्शनकारियों ने भाजपा सरकारों पर खनन को बढ़ावा देने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि इससे पर्यावरण संतुलन और प्रदेश की पहचान खतरे में है. मार्च में अरावली संरक्षण की मांग जोरदार तरीके से उठाई गई और केंद्र राज्य सरकारों के खिलाफ नारेबाजी हुई.
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