
राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा किया गया अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए 27 फ़ीसदी आरक्षण के साथ-साथ छह फ़ीसदी एक्स्ट्रा आरक्षण देने का वादा विधानसभा चुनाव में OBC वर्ग को साधने का सीधा प्रयास है. विश्व जनजाति दिवस के मौके पर बुधवार को बांसवाड़ा में हुई कांग्रेस की रैली में अशोक गहलोत ने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के बीच पार्टी का जनाधार मज़बूत करने के उद्देश्य से न सिर्फ़ OBC आरक्षण कोटा में छह फ़ीसदी की बढ़ोतरी कर उसे 27 फ़ीसदी करने का वादा किया, बल्कि यह घोषणा भी की कि उनकी सरकार जाति-आधारित जनगणना के पक्ष में है.
कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में अशोक गहलोत ने कहा, "आप (राहुल गांधी) जातिगत जनगणना के पक्ष में है और राजस्थान भी ऐसा ही करवाना चाहता है, ताकि जाति की जनसंख्या के मुताबिक उन्हें सब कुछ मिल सके... इसके अलावा, राजस्थान में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को ज़्यादा आरक्षण देने की लम्बे वक्त से चली आ रही मांग को हम पूरा करेंगे..."
राजस्थान में वर्तमान में जारी अन्य पिछड़े वर्ग (OBC) के लिए 21% आरक्षण के साथ 6% अतिरिक्त आरक्षण दिया जाएगा जो OBC वर्ग की अति पिछड़ी जातियों के लिए रिजर्व होगा।
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) August 9, 2023
OBC वर्ग में अति पिछड़ी जातियों की पहचान के लिए OBC आयोग द्वारा सर्वे किया जाएगा एवं आयोग समयबद्ध तरीके से रिपोर्ट…
सरकारी सूत्रों ने आंतरिक रिपोर्टों के हवाले से बताया कि राजस्थान में OBC की जनसंख्या आधे से कुछ ज़्यादा है, यानी वे बहुसंख्यक हैं. सूबे में OBC वर्ग में जाट समुदाय सबसे ज़्यादा मज़बूत वर्ग है और पिछले साल OBC आरक्षण में विसंगतियों को हटाने की मांग भी उठी थी. मुख्यमंत्री के कैबिनेट सहयोगी हरीश चौधरी ने ही यह मांग उठाई थी, और फिर मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप से ही मामला शांत हो सका था.
गौरतलब है कि अगर राजस्थान में OBC आरक्षण 27 फ़ीसदी किया जाता है, तो सूबे में कुल आरक्षण 70 फ़ीसदी से ऊपर चला जाएगा. इस वक्त राजस्थान में 64 फ़ीसदी आरक्षण दिया जा रहा है, जिसमें OBC को 21 फ़ीसदी, अनुसूचित जाति (SC) को 16 फ़ीसदी, अनुसूचित जनजाति (ST) को 12 फ़ीसदी, आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (EWS) को 10 फ़ीसदी तथा अतिपिछड़े वर्ग (MBC या मोस्ट बैकवर्ड क्लास) को 5 फ़ीसदी आरक्षण दिया जा रहा है.
राजनीतिक मंच से आरक्षण की घोषणा करना काफ़ी आसान होता है, लेकिन क़ानूनी पेचीदगियों के चलते उसे लागू करवाना मुश्किल हो सकता है. लम्बे समय तक चले गुर्जर आरक्षण आंदोलन के बाद उन्हें MBC कोटा में 4 फ़ीसदी अतिरिक्त आरक्षण दिया गया था. अब अगर सरकार OBC आरक्षण कोटा बढ़ाती है, तो जो समुदाय आरक्षण से बाहर रह जाएंगे, तो वे इसे क़ानूनी चुनौती दे सकते हैं., सो, यह वास्तव में लागू हो पाएगा या सिर्फ़ चुनावी वादा बनकर रह जाएगा, भविष्य ही बताएगा.