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This Article is From Dec 27, 2023

Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में विराजे रामलला के 'स्वर्ण नेत्र' की कहानी, 1100 KM दूर यहां हुआ था निर्माण

Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी बड़े जोर-शोर से जारी है. 22 जनवरी को नए मंदिर के गर्भ गृह में प्राण-प्रतिष्ठा होनी है. राम मंदिर के निर्माण में राजस्थान का भी अहम रोल है. साथ ही भगवान श्री राम की मौजूदा प्रतिमा से भी प्रदेश का गहरा नाता है.

Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में विराजे रामलला के 'स्वर्ण नेत्र' की कहानी, 1100 KM दूर यहां हुआ था निर्माण
अयोध्या स्थित श्रीरामजन्मभूमि पर विराजित भगवान श्री रामलला की प्रतिमा और उनके स्वर्णनेत्र.

Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में भगवान श्री राम के नए मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारी जारी है. यहां 70 एकड़ में मंदिर का निर्माण कार्य अंतिम दौर में चल रहा है. 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में भगवान श्री राम की प्राण-प्रतिष्ठा होगी. इस प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में देश-विदेश से लोग पहुंचेंगे. जिसमें अपने-अपने क्षेत्र के कई नामचीन शख्सियत भी मौजूद रहेंगे. बुधवार को श्री राम जन्मभूमि मंदिर ट्रस्ट (Shri Ram Janmabhoomi Mandir Trust) के महासचिव चंपत राय (Champat Rai) ने मंदिर और उसके निर्माण से जुड़ी कई जानकारियां साझा की है. राम जन्मभूमि का मैप दिखाते हुए चंपत राय ने बताया कि 70 एकड़ ज़मीन में मंदिर बन रहा है. पूरे परिसर के उत्तरी हिस्से में मंदिर बन रहा है. 

राजस्थान के भरतपुर जिले से मंगाए गए है पत्थर

मंदिर में राजस्थान के भरतपुर के बंसी पहाड़पुर से पत्थर मंगाए गए है. लगभग 5 लाख पत्थर मंदिर में लगाए जा रहे हैं. मंदिर का फर्श मकराना मार्बल है. गर्भ गृह के अंदर पूरा मकराना मार्बल से काम किया गया है. 22 जनवरी को प्राण-प्रतिष्ठा गर्भ गृह में होगी, इसका काम लगभग पूरा हो गया है. मंदिर की उम्र लगभग 1000 साल रहेगी. 

रामलला की मूर्ति 5 साल के भगवान राम की होगी. मूर्ति की ऊंचाई 51 इंच होगी. ललाट के ऊपर का हिस्सा अलग है. मूर्ति खड़ी होगी. मूर्ति 3 कलाकार बना रहे हैं. तीनों में जो सबसे अच्छी मूर्ति होगी, उसे चयनित किया जाएगा. मूर्ति खड़ी मुद्रा में भगवान राम की होगी. मूर्ति भी मकराना के पत्थरों की हो सकती है.

भगवान श्रीराम के स्वर्णनेत्र.

भगवान श्रीराम के स्वर्णनेत्र.

मौजूदा रामलला के स्वर्णनेत्र की कहानी जानिए

मालूम हो कि अयोध्या में  भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर पहले से भगवान श्री राम एक प्रतिमा रखी गई है. जिसका दर्शन-पूजन करने सालों भर श्रद्धालु पहुंचते हैं. भगवान श्री राम की मौजूदा प्रतिमा भी उनके बाल्यकाल की है. इस प्रतिमा में भगवान श्री राम का नेत्र सोने से बना है. भगवान श्री राम के स्वर्ण नेत्र की कहानी बड़ी अनोखी है. इस नेत्र का निर्माण अयोध्या से करीब 1100 किलोमीटर दूर राजस्थान में हुआ था. आइए जानते हैं भगवान श्री राम के स्वर्ण नेत्र की कहानी. 
 

अयोध्या में बन रहे भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर में राजस्थान का पुराना नाता रहा है. राजस्थान के पत्थरों से भगवान श्री राम का नया भव्य मंदिर बन रहा है. वहीं जोधपुर के 6 सौ किलो घी से इस बार भगवान श्री राम की पहली आरती होगी.


इसी बीच अयोध्या में विराजे भगवान श्री राम की प्राचीन प्रतिमा में भी जोधपुर का बड़ा योगदान रहा है. जहां राजस्थान की सांस्कृतिक राजधानी कही जाने वाली जोधपुर में बने सोने के नेत्र से भगवान श्री राम आज भी निहार रहे हैं. अयोध्या में भगवान श्री राम लाल की प्राचीन प्रतिमा के लिए सोने के नेत्र जोधपुर में तरासे गए और बीकानेर में मीनाकारी के रंगों से निहारे गए है.

जोधपुर के पल्लव ने अपने हाथों से बनाए थे स्वर्ण नेत्र

अयोध्या में टेंट हाउस में विराजित भगवान श्रीरामलला की प्रतिमा के नेत्र जोधपुर के पल्लव ने अपने हाथों से सोने से बनाकर तैयार किये थे. उन्होंने बताया कि भगवान श्रीराम उनके आराध्य देव हैं. उनको यह सौभाग्य उनके चाचा के द्वारा मिला. भगवान श्रीराम के नेत्र सोने से बने. उसे बनाने में 3 दिन का समय लगा था.

जोधपुर में इस नेत्र को स्वरूप देने वाले पल्लव के पिता राजेश सोनी ने बताया कि पल्लव पर भगवान श्री राम का आशीर्वाद कितना रहा है कि  उसने 12 साल की उम्र में ही जड़ाई का काम करना शुरू हो गया था. भगवान श्री राम के नेत्र बनाने का काम मिला तो उसको बहुत खुशी हुई. नेत्र बनाने के लिए दिल लगाकर काम करता था और 3 दिन में सोने के नेत्र बनकर तैयार हो गए.

अयोध्या में विराजे भगवान श्रीराम की प्रतिमा.

अयोध्या में विराजे भगवान श्रीराम की प्रतिमा.

'नई प्रतिमा का नेत्र बनाऊं यह सौभाग्य की बात होगी'

रामलाल की प्राचीन प्रतिमा के बाद जोधपुर के पल्लव के पिता राजेश सोनी ने बताया कि अगर भगवान श्री राम की नई प्रतिमा के लिए नेत्र बनाने का काम उन्हें मिलता है तो यह उनके लिए सौभाग्य की बात होगी. वह निशुल्क भगवान श्री राम लाल की नई प्रतिमा सोने से बने नेत्र लगाएंगे.

वीरेंद्र सोनी को पुजारी ने दिया था काम, उन्होंने खुद किया था मीनाकारी का काम

वहीं इस नेत्र पर मीनाकारी का काम पल्लव के चाचा वीरेंद्र सोनी ने किया है. वीरेंद्र सोनी अक्सर अयोध्या जाते रहते हैं. उन्हें ही स्वर्ण नेत्र बनाने का काम मिला था. जिसे उन्होंने अपने भाई और भतीजा को सौंप दिया था. वीरेंद्र सोनी का कहना है कि मेरे लिए यह सौभाग्य की बात है.

उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि मुझे याद है 16 जून 2017 की पहली बार अयोध्या गया था. तब भगवान श्रीराम टेंट में विराजमान थे, बाद में अक्सर दो-तीन महीने में एक बार अयोध्या रामजी के चरणों में शीश झुकाने चला जाता हूं. रामजी के आशीर्वाद से इन 7 सालों मेरा जीवन बदल चुका है. 

वीरेंद्र सोनी ने आगे कहा कि कला की साधना करते हुऐ मैंने कई मंदिरों की मूर्तियों के नेत्र बनाए. अयोध्या के रामलला की आंखें बनाने की प्रबल इच्छा थी, कुछ दिन पहले जब अयोध्या गया तो ये बात मैंने पुजारी जी से प्रकट की, क्योंकि मुझे सटीक नाप चाहिए था, सैंपलरूपी शक्ति नेत्र मैंने गले में पहना हुआ था.

वो पुजारी संतोष तिवारी जी को दिखाया, शायद उनको एक नजर में मेरी कलाकारी पसन्द आई तुरन्त मेरे मोबाइल नंबर लिए. अगले दिन पुजारी जी राम लला के पुराने उतारे हुऐ नेत्र लेकर स्वयं उस गेस्ट हाऊस पर आकर मुझे सौंप कर गए. 

प्रभु श्री राम के पुराने नेत्र अब भी वीरेंद्र के पास ही

वीरेंद्र ने आगे बताया कि अभी तो प्रभु के पुराने नेत्र मेरे पास है तो सौभाग्य शाली महसूस करता हूं. स्वयं को पूर्ण रूप से सौभाग्यशाली उस समय मानूंगा, जिस समय मेरे हाथों से बने हुऐ सोने के नेत्रों से दुनिया को देखते हुऐ भगवान राम सम्पूर्ण भारत में अपना आशीर्वाद प्रदान करेंगे.

11 अप्रैल को सोने से बने नेत्र तैयार हो गए थे. 15 जुलाई को मैंने अयोध्या के पुजारी संतोष तिवारी जी को भगवान श्री राम लाल के नेत्र सौपे  और 17 जुलाई को भगवान श्री राम लाल के मेरे हाथों से बने नेत्र लगाए गए. मैंने मेरे भतीजे को सोने की जड़ाई के नेत्र बनाने के लिए बोला था. मुझे भगवान श्री रामलीला के नेत्र पेंटिंग कर निहार कर तैयार करने में करीब 5 दिन लगे थे. 

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