
Bal Sarpanch In Rajasthan: ग्राम पंचायत द्वारा गांव के विकास के लिए मंथन किया जाता है, लेकिन इसमें बच्चों की सुविधाओं और आवश्यकताओं को नजरंदाज किया जाता है. इसको देखते हुए पंचायत राज विभाग द्वारा राजस्थान में ग्राम पंचायत के अनुसार ही "बाल पंचायत" का गठन कर बाल सरपंच और उप सरपंच निर्वाचित किए जाएंगे. इसको लेकर पंचायत राज विभाग ने जिला कलेक्टर और जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को निर्देश जारी किए हैं,
एक बार जब ग्राम पंचायत स्तर पर बाल पंचायत का गठन हो जाता है (प्रत्येक वार्ड से दो बाल प्रतिनिधि शामिल होते हैं) तो बाल पंचायत अध्यक्ष (बाल सरपंच) और उपाध्यक्ष (बाल उप-सरपंच) सभी नामांकित सदस्यों और कम से कम एक द्वारा चुने जाएंगे. दो में से दो पद लड़कियों के लिए आरक्षित होंगे.
बाल पंचायत के गठन के समय यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कम से कम एक दिव्यांग बच्चे को बाल पंचायत सदस्य के रूप में नामित किया जाएगा. इसमें अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य कमजोर समूहों का उचित प्रतिनिधित्व भी बनाए रखा जाएगा. यह सुनिश्चित करने के लिए भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि स्कूल में और स्कूल से बाहर दोनों तरह के बच्चों को बाल पंचायत का हिस्सा बनने का उचित अवसर दिया जाए.
रिपोर्ट के मुताबिक बाल पंचायत का गठन सरपंच एवं ग्राम विकास अधिकारी के मार्गदर्शन में किया जाएगा. इस प्रक्रिया में वे साथिनों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, आशा, स्कूल शिक्षकों, स्वयं सहायता समूहों के पदाधिकारियों, एनजीओ प्रतिनिधियों आदि का समर्थन ले सकते हैं. विशेष रूप से साथिनों से अपेक्षा की जाती है कि वे बाल पंचायत को उनके उचित कामकाज में समर्थन दें.
गौरतल है बाल पंचायत अध्यक्ष, बाल पंचायत उपाध्यक्ष और बाल पंचायत सदस्यों के विषयगत पोर्टफोलियो का चयन बाल पंचायत की पहली बैठक में सरपंच, साथिन और ग्राम विकास अधिकारी के मार्गदर्शन में किया जाएगा. ग्राम पंचायत को यह सुनिश्चित करना होगा कि बाल पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को महिला सभा और ग्राम सभा में आमंत्रित किया जाए.
बाल पंचायत के सदस्य के रूप में चयन के लिए पात्रता बाल पंचायत के सदस्यों के रूप में नामांकित बच्चे ग्राम पंचायत के सामान्य निवासी होने चाहिए और उनकी आयु 10-18 वर्ष के बीच होनी चाहिए.
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