
Success story: राजस्थान के बारां जिला मुख्यालय से 8 किलोमीटर दूर स्थित एक छोटे से गांव भाड़सुई की आबादी सिर्फ़ 600-700 है. इसी गांव के एक युवा बेटे ने अपने परिवार का नाम रोशन किया है. जिले में हिंदी माध्यम से पढ़ाई करने वाले मोनू मीणा ने नीट 2025 में अपनी श्रेणी में 748वीं रैंक हासिल की है, जिसके बाद अब वह सरकारी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई कर डॉक्टर बनेगा.
छोटे के सपनों के लिए बड़े भाई ने दी कुर्बानी
मोनू के पिता का लंबी बीमारी के बाद 2011 में निधन हो गया था. उसके परिवार में उसकी मां और एक बड़ा भाई है. उसकी मां कलावती बाई अपने छोटे से खेत पर काम करके परिवार का पेट पालती हैं. और मोनू के बड़े भाई अजय मीणा, जिन्होंने बायोलॉजी से 12वीं पास की है. उनका भी डॉक्टर बनने का सपना था, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति इसकी इजाजत नहीं देती थी. साथ ही उनकी मां के पास इतनी आमदनी भी नहीं थी कि वे दोनों बेटों को कोचिंग करा सकें. ऐसे में बड़े भाई अजय ने बीएससी की. और डॉक्टरी बनने का सपना अपने छोटे भाई के नाम कर दिया जिससे कि घर का एक बेटा तो डॉक्टर बन सके.
कोचिंग के लिए अड़ी थी बात
मोनू ने भी अपने बड़े भाई की इस कुर्बानी को बेकार नहीं जाने दिया. अपनी लगन और कड़ी मेहनत से उसने 10वीं में 91.50% अंक लाकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया. लेकिन जब कोचिंग की बात आई, तो आर्थिक स्थिति एक बड़ी बाधा बन गई. लेकिन थोड़ा सी कोशिश से उसमें भी बात गई.
मुख्यमंत्री अनुप्रति कोचिंग योजना से मोनू को मिली मदद
दरअसल मोनू की मां ने कोटा के एक निजी कोचिंग संस्थान से नीट की कोचिंग के लिए संपर्क किया. वहां उन्हें राजस्थान सरकार की मुख्यमंत्री अनुप्रति कोचिंग योजना जैसे एक स्कॉलरशिप प्रोग्राम के बारे में पता चला, जिसके तहत कोई भी बिना किसी शुल्क के 2 साल तक कोचिंग और रहने की सुविधा प्राप्त कर सकता है. इसके बाद उन्होंने बेटे मोनू के लिए इसका आवेदन कर दिया.
डॉक्टर बनने की ओर मोनू
मोनू के अच्छे अंकों के आधार पर उसका चयन भी हो गया और फिर कोटा की गलियों में उसने दो साल खूब जी तोड़ मेहनत की. इसके बाद साल 2025 में NEET 2025 में श्रेणीगत 748 वीं रैंक पाई और अब वह डॉक्टर बनने जा रहा है.
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