
Barmer New Born story: समाज में बेटियों को बोझ समझकर त्यागने की कुप्रथा सदियों से चली आ रही है. लेकिन राजस्थान के बाड़मेर में इसके अलग ही पहलू देखने को मिल रहे हैं. पहले यहां के पालना गृह में सिर्फ बेटियों को ही छोड़ा जाता था, लेकिन अब यह बेटों के लिए भी आश्रय स्थल बनता जा रहा है. जिला बाल कल्याण इकाई के आंकड़ों के अनुसार, जिले के पालना गृह में अब तक 90 नवजात शिशुओं को छोड़ा जा चुका है, जिसमें 34% लड़के हैं. जो अब तक सबसे बड़ा आकंड़ा है. नवजात शिशुओं को एक नया और बेहतर जीवन देने के लिए यह पालना गृह निरंतर प्रयासरत रहता है जिसकी कोशिशें अक्सर दिख जाती है. इसी प्रयास में बाड़मेर जिला मुख्यालय पर संचालित हो रहे राजकीय शिशु गृह की एक बेटी को अमेरिका से आए एक दंपत्ति ने गोद लिया है, जिसके बाद इस पालना गृह में सभी के चेहरे खुशी से चमक रहे हैं.
बाड़मेर से तय करेगी अमेरिका तक का सफर
इस नवजात बच्ची की कहानी दिल को छू लेने वाली है, जिसे बाड़मेर के पालना गृह से एक अमेरिकी दंपति गोद लेने वाले हैं. जब यह बच्ची पालना गृह में आई थी, तब इसका वजन सिर्फ 1100 ग्राम था, जबकि सामान्य नवजात का वजन 1800 ग्राम होता है. पालना गृह के स्टाफ की बेहतर देखभाल से बच्ची का वजन बढ़ा और अब वह पूरी तरह स्वस्थ है. अब इस बच्ची को अमेरिका में रहने वाले एक भारतीय मूल के दंपति ने गोद लेने के लिए चुना है. दंपति 27 सितंबर को भारत आएंगे और कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद यह बच्ची अमेरिका में अपना नया जीवन शुरू करेगी.
90 नवजातों को मिला जीवन
सारण ने बताया कि राज्य सरकार ने 2017 में पालना गृह की शुरुआत की थी. इसका मुख्य उद्देश्य बेसहारा नवजातों को सुनसान जगहों पर छोड़ने के बजाय उन्हें सुरक्षित आश्रय प्रदान करना था. अब तक इस पहल के तहत 90 नवजात शिशु गृह में आ चुके हैं, जिनमें 37 बेटे और 53 बेटियां शामिल हैं. इनमें से 14 बच्चों की मृत्यु हो गई, जबकि 3 बच्चे अभी भी शिशु गृह में हैं. बाकी बच्चों को योग्य और इच्छुक दंपतियों को गोद दिया गया है, जो अब इन बच्चों के साथ खुशहाल जीवन जी रहे हैं.
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