Barmer Woman Death Case: राजस्थान हाईकोर्ट ने बाड़मेर में एक महिला की संदिग्ध परिस्थितियों के मौत के मामले में पुलिस द्वारा बरती गई खामियों को लेकर सवाल खड़े किए है. जस्टिस फरजंद अली की एकलपीठ ने इस मामले में पुलिस की अडियल रवैय और गलतियों को लेकर सवाल खड़े किए हैं. साथ ही बाड़मेर महिला थानाधिकारी पुलिस निरीक्षक सत्यप्रकाश, महिला थाने के एएसआई लादूराम और जांच अधिकारी पुलिस निरीक्षक सोमकरण से इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा है. पुलिस अधीक्षक बाड़मेर से एक शपथ पत्र मांगा है कि इस मामले की जांच किसी अन्य जांच एजेंसी या अन्य पुलिस रेंज के किसी वरिष्ठ अधिकारी को क्यों न सौंपी जाए.
याचिकाकर्ता जोरावर सिंह की ओर से अधिवक्ता मुक्तेश माहेश्वरी ने याचिका पेश करते हुए पूरे मामले में निष्पक्ष जॉच की मांग की गई. याचिका में बताया गया कि याची की पुत्री को ससुराल पक्ष ने जलाकर मार दिया है. याची जोजावरसिंह ने इस मामले में 26 जुलाई 2024 को मुकदमा दर्ज कराया था.
जलने से हुई महिला की मौत
अधिवक्ता माहेश्वरी ने कोर्ट को बताया कि 19 जुलाई 2024 को शाम करीब साढ़े 4 बजे महिला के जलने की घटना हुई थी. महिला का पति आरोपी नरेन्द्रसिंह उसे बाड़मेर के अस्पताल लेकर गया और वहां बताया कि गैस वाल्व लीकेज होने से जल गई है. गंभीर हालत को देखते हुए वहा के डॉक्टर ने हायर सेंटर ले जाने के लिए सलाह दी.
ऐसे में आरोपी का कहना था कि वह जोधपुर के निजी अस्पताल लेकर गया जबकि उसी दिन रात्रि में 11 बजे के करीब महिला को मृत बताकर वापस बाड़मेर ले गए. अगले दिन मृतका के पति ने FIR दर्ज कराई उसमें बताया कि महिला ने पेट्रोल डालकर आत्महत्या कर ली है.
निष्पक्ष जांच की याचिका पेश
पुलिस ने इस मामले में चश्मदीद गवाह मृतका की बेटी (09) के टाइप सुदा बयान दर्ज किए थे. पूरे मामले में पुलिस जांच पर सवाल खड़े किए गए. पहले भी आरोपी नरेन्द्र की जमानत याचिका के दौरान भी जस्टिस कुलदीप माथुर ने जमानत स्वीकार करते हुए पुलिस जांच पर सवाल खड़े किए थे.
पुलिस अधीक्षक बाडमेर को पूरे मामले में निष्पक्ष जॉच के लिए निर्देश दिए थे. हाईकोर्ट में जमानत याचिका पर आदेश के बावजूद इस मामले में निष्पक्ष जांच नहीं होने और आरोपियों को बचाने का प्रयास करने के आरोप के साथ निष्पक्ष जांच के लिए याचिका पेश की गई.
जांच पर हाईकोर्ट ने जताया संदेह
हाईकोर्ट ने निष्पक्ष जांच को लेकर दायर याचिका में पूर्व में जमानत याचिका में उठाए गए, सवाल गंभीर नहीं होने पर असंतोष जताया. कोर्ट ने कहा कि पुलिस ऐसे मामलों में संवेदनशील और गंभीर नहीं है. ना ही बाड़मेर से जोधपुर आने के सबूत शामिल किए गए. ऐसे में पूरी जांच पर हाईकोर्ट ने संदेह जताया है.
तीनों पुलिस अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा है कि क्यों नहीं उनके खिलाफ कारवाई की जाए. साथ ही पुलिस अधीक्षक बाड़मेर से भी शपथ पत्र मांगा है कि क्यों ना जांच किसी अन्य को भेजी जाए. अब इस मामले में अगली सुनवाई 17 दिसम्बर को होगी.
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