
Maharaja Surajmal Brij University Vice Chancellor: राजस्थान के भरतपुर जिले में महाराजा सूरजमल बृज विवि के कुलपति प्रो. रमेश चंद्र को निलंबित किया गया है. संभागीय आयुक्त भरतपुर द्वारा प्रथम दृष्टियां उनके विरुद्ध आरोप प्रमाणित पाए गए.
साथ ही इन्हीं की जांच रिपोर्ट के आधार पर राज्यपाल हरिभाऊ बागडे द्वारा राज्य सरकार के परामर्श के बाद निलंबित किया गया है. आपको बता दें कि कुलपति प्रो. रमेश चंद्र पहले भी चर्चाओं में रहे हैं. जब विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र ने इन पर उसकी डिग्री कैंसिल करने का गंभीर आरोप लगाया था.
फर्जीवाड़ा और भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप
हालांकि छात्र संगठन ने लगातार विरोध प्रदर्शन कर बृज विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार के मामलों को उठा रहे थे. कुलपति प्रोफेसर रमेश चंद्र पर आरोप था कि उन्होंने बृज विश्वविद्यालय में नियुक्तियों में फर्जीवाड़ा किया है. साथ ही विश्वविद्यालय में कराए जा रहे कार्यों में लगातार भ्रष्टाचार की शिकायतों को लेकर छात्र संगठनो ने कई बार राज्यपाल को ज्ञापन भी सौंपा था.

सस्पेंड लेटर.
2 साल पहले किया था नियुक्त
जानकारी के मुताबिक, प्रो. रमेश चंद्र को राज भवन के आदेश के अनुसार 8 मार्च 2023 को बृज विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया गया था. महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय भरतपुर के कुलपति द्वारा अवैधानिक तरीके से महाविद्यालय की संबंधता निस्तीकरण अधिसूचना को बालिका हित में रद्द करवाने और श्री एसएन कॉलेज हरियाणा के विरुद्ध कार्रवाई रुक्मणी के संबंध में जांच का रिपोर्ट प्रस्तुत करने हेतु. इस सचिवालय की ओर से 1जनवरी 2025 को एक लेटर संभागीय आयुक्त भरतपुर को निर्देशित किया गया था.
जांच में प्रथम दृष्टा पाए गए दोषी
संभागीय आयुक्त भरतपुर द्वारा 18 मार्च 2025 को प्रेषित प्रकरण से संबंधित जांच रिपोर्ट में प्रोफेसर रमेश चंद्र कुलपति विरुद्ध प्रथम दृष्टा आरोप प्रमाणित पाए गए. साथ ही प्रोफेसर रमेश चंद्र पर विभिन्न शिकायतों की विस्तृत जांच हेतु इस सचिवालय के आदेश 7 मार्च 2025 के द्वारा संभागीय आयुक्त भरतपुर की अध्यक्षता में गठित जांच समिति की जांच करवाई प्रक्रियाधीन है.
राज्यपाल को छात्र कर रहे थे लिखित शिकायत
राजस्थान राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े महाराजा सूरजमल राज्य सरकार के परामर्श से प्रोफेसर रमेश चंद्र कुलपति महाराजा सूरजमल विश्वविद्यालय पद से तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है. छात्र संगठन लगातार कुलपति पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. जिसके लिए कई बार राज्यपाल को लिखित में शिकायत भी की जा रही थी.
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