
Rajasthan News: राजस्थान में भरतपुर के अपना घर आश्रम ने एक बार फिर इंसानियत की मिसाल पेश की है. 24 साल पहले मानसिक अवसाद के कारण घर से बिछड़ी पश्चिम बंगाल की रूपाली हेमब्रम को उनके परिवार से मिलवाया गया. चार साल पहले जयपुर से रेस्क्यू होकर आश्रम पहुंची रूपाली ने जब अपने गांव का पता बताया, तो आश्रम की टीम ने उनके बेटे से संपर्क किया. 48 घंटे का सफर तय कर बेटा और विधायक भरतपुर पहुंचे, जहां मां-बेटे का मिलन देख हर आंख नम हो गई.
24 साल पहले बिछड़ी थी मां
पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के लाबपुर गांव की रूपाली हेमब्रम 16 जुलाई 2001 को मानसिक अस्वस्थता के कारण घर छोड़कर चली गई थीं. उनके पांच बेटों और परिवार ने उन्हें हर जगह ढूंढा, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला.
निराश होकर परिवार ने उन्हें मृत मान लिया. चार साल पहले 3 अगस्त 2021 को जयपुर के झोटवाड़ा में रूपाली मिलीं, तब उनकी मानसिक हालत ठीक नहीं थी. अपना घर आश्रम जयपुर ने उन्हें भर्ती किया और बाद में भरतपुर शिफ्ट किया.
आश्रम की मेहनत ने जगाई उम्मीद
आश्रम में इलाज के बाद रूपाली धीरे-धीरे ठीक होने लगीं. वे सिर्फ बंगाली भाषा बोलती थीं, इसलिए उन्हें बंगाल के लोगों के साथ रखा गया. जब उनकी मानसिक स्थिति स्थिर हुई, तो उन्होंने अपने गांव का पता बताया.
आश्रम की टीम ने गूगल से लाबपुर के एक होटल मालिक का नंबर ढूंढा और परिवार तक बात पहुंचाई. बेटे श्रीष्टि हेमब्रम को यकीन नहीं हुआ कि उनकी मां जिंदा हैं. वीडियो कॉल पर बात हुई, लेकिन श्रीष्टि, जो मां के जाने के वक्त सिर्फ 5 साल का था, उन्हें ठीक से नहीं पहचान सका.
मिलन का भावुक पल
लाबपुर के विधायक अभिजीत सिन्हा ने श्रीष्टि के साथ भरतपुर का सफर तय किया. आश्रम में मां को देखकर बेटा गले लगकर रो पड़ा. रूपाली ने भी अपने घर जाने की इच्छा जताई. कागजी कार्यवाही के बाद उन्हें बेटे और विधायक के साथ पश्चिम बंगाल भेजा गया. विधायक ने आश्रम की सेवा की तारीफ की और संस्थापक डॉ. बीएम भारद्वाज को बंगाल आने का न्योता दिया.
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