Barmer Lok Sabha Seat: बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी की मुश्किलें थमती नजर नहीं आ रही है. रविंद्र भाटी के निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरने के ऐलान के बाद इस सीट से भाजपा के उम्मीदवार कैलाश चौधरी पिछले कई दिनों से बाड़मेर विधानसभा से निर्दलीय विधायक प्रियंका चौधरी को मनाने में जुटे हुए थे. लेकिन विधानसभा चुनाव में भाजपा से बागी होकर विधायक बनी प्रियंका चौधरी ने अपने समर्थकों के साथ राय मशवरा कर भाजपा को समर्थन देने की शर्त रखी थी. जिसके बाद आज बाड़मेर शहर के सिणधरी रोड पर स्थित एक निजी फार्म हाउस में प्रियंका चौधरी ने अपने समर्थकों की बैठक हुई. इस बैठक में घंटे लंबी चर्चा के बाद केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री एवं बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी कैलाश चौधरी को भी बुलाया गया था.
बैठक में प्रियंका चौधरी और कैलाश चौधरी के बीच सुलह के संकेत देने की बात सामने आई थी. लेकिन अभी तक आधिकारिक समर्थन की बात स्पष्ट नहीं हो सकी है. बैठक के बाद दोनों ही नेताओं ने एक-दूसरे का मुंह मीठा करवाया. कैलाश चौधरी खुद अपनी गाड़ी चला कर प्रियंका चौधरी को बाड़मेर शहर में स्थित भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय लेकर रवाना हो गए. हालांकि इस मामले में कैलाश चौधरी द्वारा प्रियंका चौधरी को उनके साथ होने की बात कही है. लेकिन प्रियंका चौधरी ने इस मामले को लेकर अभी तक कोई बयान नहीं दिया है.
प्रियंका चौधरी ने कैलाश को दिया समर्थन
लेकिन अब तक की स्थिति को देखकर यही कहा जा सकता है कि दोनों के बीच सुलह हो चुकी है. ऐसे में यह खबर भारतीय जनता पार्टी के लिए राहत की खबर कहीं जा सकती है, क्योंकि प्रियंका चौधरी की नाराजगी के चलते बाड़मेर से जाट समाज का वोट बैंक भाजपा और कैलाश चौधरी से नाराज चल रहा था. बाड़मेर जिले की शिव विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी के लोकसभा चुनाव में निर्दलीय ताल ठोकने के बाद भारतीय जनता पार्टी को बड़ा नुकसान होने की संभावना जताई जा रही है.
मालूम हो कि बाड़मेर विधानसभा सीट से टिकट नहीं मिलने पर बागी चुनाव लड़कर निर्दलीय विधायक चुनी गईं प्रियंका चौधरी कई बार विधायक मंत्री और प्रोटेम स्पीकर रहे दिग्गज गंगाराम चौधरी की पोती है. विधानसभा चुनाव 2013 में भाजपा की टिकट पर बाड़मेर विधानसभा से चुनाव लड़ी प्रियंका चौधरी को भीतरघात के चलते हार का सामना करना था.
बागी प्रियंका चौधरी ने निर्दलीय लड़कर जीता था चुनाव
विधानसभा चुनाव 2023 में भी प्रियंका चौधरी को बाड़मेर विधानसभा से भाजपा की टिकट का प्रबल दावेदार माना जा रहा था, लेकिन पूर्व राज्यपाल सतपाल मलिक से पारिवारिक रिश्तों के चलते प्रियंका चौधरी का टिकट काट दिया गया, जिसके चलते प्रियंका चौधरी ने भाजपा से बगावत करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ी और जीत गईं.
बाड़मेर में होगा त्रिकोणीय मुकाबला
शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरने के साथ ही बाड़मेर की लड़ाई त्रिकोणीय हो गई है. भाजपा ने यहां से सीटिंग एमपी कैलाश चौधरी को टिकट दिया है. जबकि कांग्रेस ने आरएलपी के पूर्व नेता और हनुमान बेनीवाल के करीबी उम्मेदाराम को अपने पाले में लाकर चुनावी मैदान में उतारा है. उम्मेदाराम की बेदाग छवि के नेता हैं. अब रविंद्र भाटी के चुनावी मैदान में लाने से यहां का मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है.
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