Bikaner Power Crisis: राजस्थान के कई जिलों में जारी बारिश के बीच बिजली संकट से लोगों की परेशानी और बढ़ गई है. लेकिन बीकानेर में बिना बारिश के ही लोगों के घर की बत्ती गुल है. बीकानेर में करीब आधे शहर में बिजली गुल है. इससे लोगों की परेशानी काफी बढ़ गई है. कारोबारियों के काम ठप पड़ गए हैं. घर में लोग भी ब्रेसबी से बिजली का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन कई लोग यह नहीं समझ पा रहे है कि बीकानेर में आखिर बिजली क्यों गुल हुई?
बिजली दफ्तर में आ रहे लोगों के फोन
दरअसल मंगलवार को बीकानेर में आज उस वक़्त शहरवासी हैरतज़दा हो गए जब आधे शहर में पावर कट हो गया. काफ़ी देर इन्तेज़ार करने के बाद भी जब बिजली की सप्लाई चालू नहीं हुई तो विद्युत विभाग के फ़ोन बजने लगे. उसके बाद मालूम हुआ कि बिजली सप्लाई में कोई बड़ा फ़ॉल्ट आ गया है, जिसके कारण विद्युत आपूर्ति में रुकावट आ गई है.
सागर रोड स्थित 220 केवी के जीएसएस में ब्लास्ट
एनडीटीवी ने जब सागर रोड पर रहने वालों से इसके बारे में मालूमात की तो लोगों ने बताया कि ये पूरा इलाक़ा दहशत में है, क्योंकि सागर रोड स्थित राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम सागर के 220 केवी जीएसएस में ब्लास्ट हुआ है और उसी ब्लास्ट के कारण बिजली की सप्लाई रुक गई है.
बीकानेर के सागर रोड पर स्थित ये जीएसएस बहुत पुराना है और इसकी क्षमता 220 केवी की है. इसके आसपास काफी आबादी बसी हुई है. ऐसे में यहाँ उतना बड़ा संयंत्र होना भी ख़तरे से ख़ाली नहीं है. जब ब्लास्ट हुआ तो पहले लोगों की समझ मे नहीं आया कि माजरा क्या है.
धमाके की आवाज से सहमे लोग
ब्लास्ट के दौरान हुए धमाके की आवाज़ से सागर रोड के निवासी सहम गए. ब्लास्ट के बाद से ही हुए पावर कट के बाद दिन भर बिजली ग़ायब रही और उमस और गर्मी के मौसम में लोगों का सुख-चैन भी बिजली का पावर चले जाने से कट हो गया.
बिजली विभाग के दफ्तर से लोगों को को नहीं मिले जवाब
लोग बिजली विभाग के अधिकारियों को फ़ोन करने लगे तो कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला. यहाँ तक कि चीफ़ इन्जीनियर के ऑफिस का हाल ये था कि बिजली सप्लाई शुरू होने का पूछने पर मुँह तोड़ जवाब मिल रहा था. दिन भर लोग परेशानी में रहे, मगर बिजली विभाग का कोई अधिकारी जवाबदेह नहीं रहा.
काम चालू, कब तक आएगी बिजली?
ब्लास्ट का कारण भी कोई नहीं बता पाए. अपुष्ट ख़बरों के मुताबिक जीएसएस में लगे संयंत्रों का बेतहाशा गर्म होना बताया गया. बहरहाल इस ब्लास्ट ने ये साबित कर दिया कि तारों में बिजली भले ही द्रुत गति से दौड़ती ही, मगर उसे सप्लाई करने वाले विभाग की चाल कछुए से भी धीरे है. अब देखना है कि शहर में बिजली व्यवस्था कब तक दुरुस्त होती है.
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