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चौरासी विधानसभा उपचुनाव: बागी नेता ने BAP की बढ़ाई मुश्किलें, राजकुमार रोत को लेकर कह दी ये बड़ी बात

राजस्थान के डूंगरपुर जिले की चौरासी विधानसभा में उपचुनाव के बीच, भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) के पूर्व कार्यकर्ता बदामीलाल ने पार्टी के बड़े नेताओं, खासकर सांसद राजकुमार रोत पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जबकि बीएपी के जिला अध्यक्ष ने उनका प्रभाव न होने की बात की है.

चौरासी विधानसभा उपचुनाव: बागी नेता ने BAP की बढ़ाई मुश्किलें, राजकुमार रोत को लेकर कह दी ये बड़ी बात
निर्दलीय उम्मीदवार बदामीलाल और बीएपी दिग्गज नेता राजकुमार रोत.

Rajasthan Assembly By-election: राजस्थान में इस समय विधानसभा उपचुनाव का माहौल बना हुआ है. जिसमें डूंगरपुर जिले की चौरासी विधानसभा में पार्टियों के कैंडिडेट के साथ ही निर्दलीय कैंडिडेट भी कड़ी टक्कर दे रहे हैं. चौरासी में आदिवासी परिवार से जुड़े और भारत आदिवासी पार्टी में काम कर चुके बदामीलाल बागी होकर चुनाव लड़ रहे है. इस बीच बदामीलाल ने भारत आदिवासी पार्टी के सांसद राजकुमार रोत ओर अन्य नेताओं पर जमकर निशाना साधा. जिसके बाद बीएपी के जिला अध्यक्ष राजकुमार का कहना है की बागी बदामीलाल से कोई फर्क नहीं पड़ेगा.

पार्टी ने नहीं दिया उपचुनाव में टिकिट

बदामीलाल कहते है कि उपचुनाव में उन्होंने भी बीएपी से दावेदारी की थी. वे 2014- 2015 से आदिवासी परिवार और पार्टी से जुड़े हुए है और पार्टी के लिए पुराने समय से काम कर रहे हैं. लोकतंत्र में चुनाव लड़ने का सभी को अधिकार हैं, लेकिन पार्टी के नेताओं ने ये कहकर उनका टिकिट काट दिया कि एक व्यक्ति एक चुनाव का नियम है. जबकि उनकी पत्नी प्रधान है, वे किसी पद पर नहीं है. उनका टिकिट भले काट दिया. लेकिन पार्टी के ही बड़े नेता खुद ये नियम तोड़ रहे है. 

पार्टी के बड़े नेता खुद तोड़ रहे नियम

बदामीलाल ने आगे कहा कि खुद राजकुमार रोत पहले विधायक बने. इसके बाद फिर चुनाव लड़े और फिर विधायक बने. इसके बाद अब सांसद का चुनाव लड़कर जीते. जब बड़े नेता को 3 बार टिकिट मिल सकता है तो ये नियम कहा रहा. नियम तो खुद बड़े नेताओं ने तोड़ दिया है.

बीएपी से टक्कर और बगावत को लेकर बदामीलाल ने कहा कि पार्टी के कार्यों से कई पुराने कार्यकर्ता नाराज है. उन्हें पार्टी से किनारा कर दिया है. वे सभी उनके साथ है और पूरा समर्थन मिल रहा.

मुद्दों से भटकी बीएपी

मुद्दों को लेकर बदामीलाल कहते है कि पहले बीएपी आदिवासियों के आरक्षण को लेकर आई थी. लेकिन बाद में वे मुद्दे गायब हो गए. शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी के मुद्दे तो सभी पार्टियों के है. उनके पास नया क्या है, पहले कहते थे केवल आदिवासियों के हक अधिकार चाहिए. लेकिन अब 36  कौम की बात करते हैं. पार्टी में एससी और जनरल सभी आ गए हैं. फिर ये पार्टी आदिवासियों की कैसे रही. ये केवल अपने स्वार्थ के लिए आदिवासियों के नाम पर लोगों को भ्रमित कर रहे हैं. 

नहीं पड़ेगा कोई फर्क

इधर भारत आदिवासी पार्टी के जिला अध्यक्ष अनुतोष रोत से पूछा गया तो उन्होंने कहा की बागी बदामीलाल से पार्टी को कोई नुकसान नहीं होगा. बादामी ज्यादा से ज्यादा 1000 से 1500 वोट काट सकते हैं.

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