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आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में हो रहा था बाल विवाह, सामाजिक कार्यकर्ता की मदद से रुकी 2 नाबालिगों की शादी

उदयुपर के खाखड ग्राम पंचायत से दो लड़कियों का बाल विवाह होने जा रहा था, जिनकी उम्र 15 वर्ष और 17 वर्ष क्रमशः थी. इन दोनों बेटियों के बाल विवाह की सूचना प्राप्त होते ही मौके पर गायत्री सेवा संस्थान की टीम, स्थानीय पटवारी रीना कुमारी एवं स्थानीय पुलिस थाने की टीम ने पहुंच कर विवाह को रुकवाया.

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आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में हो रहा था बाल विवाह, सामाजिक कार्यकर्ता की मदद से रुकी 2 नाबालिगों की शादी
उदयपुर :

जिला प्रशासन और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सहयोग से सोमवार को सामाजिक संस्था गायत्री सेवा संस्थान ने उदयपुर जिले में हो रहे दो नाबालिग लड़कियों का बाल विवाह रूकवाया. संयुक्त रूप से संचालित “बाल विवाह मुक्त उदयपुर” इस वर्ष नवम्बर 2023 तक कुल 24 बाल विवाह को रुकवा चुकी है.

बाल विवाह की रोकथाम के लिए संस्था की हेल्पलाइन नंबर पर कॉल कर कोई भी जिले में हो रहे बाल विवाह की सूचना साझा कर इसमें सहभागी बन सकता है. इसी अभियान के तहत सोमवार प्रशासन को दो नाबालिग लड़कियों का विवाह रुकवाने में सफलता मिली.

दरअसल, देवउठनी ग्यारस के साथ ही विवाह के शुभ मुहूर्त चालू हो जाते है. इसके साथ ही बड़ी संख्या में विवाह आयोजन होते है. इसी दौरान बाल विवाह भी होते है. ऐसे में स्वयं सेवी संस्थान के कार्यकर्ता सहित संबंधित पुलिस थाने द्वारा बाल विवाह को रोकने के लिए क्षेत्र की ट्रेकिंग की जा रही है.

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रिपोर्ट के मुताबिक सोमवार को बाल विवाह होने की सूचना उदयपुर के झाडोल पुलिस थाना के अंतर्गत आने वाले खाखड ग्राम पंचायत में मिली. इस ग्राम पंचायत में 2 बालिकाओं के बाल विवाह की बात सामने आई थी. इन दोनों बाल विवाह को जिला प्रशासन और निजी सेवा संस्थान की मदद से रुकवाया गया है.

''बाल विवाह की सूचना प्राप्त होने पर कोई भी संस्था के हेल्पलाइन नंबर 9784399288 पर सूचित कर इस नेक कार्य में सहभागी बन सकता है. बाल विवाह मुक्त समाज का सपना आमजन के सहयोग व जनजागृति से ही साकार हो सकता है''

जिले की निजी संस्था गायात्री सेवा संस्थान के समन्वयक नितिन पालीवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि सोमवार को खाखड ग्राम पंचायत में जिन दो लड़कियों का बाल विवाह होने जा रहा था, उनकी उम्र 15 वर्ष और 17 वर्ष थी. दोनों बेटियों के बाल विवाह की सूचना प्राप्त होते ही मौके पर गायत्री सेवा संस्थान की टीम, स्थानीय पटवारी रीना कुमारी एवं स्थानीय पुलिस थाने की टीम ने पहुंच कर बाल विवाह को रुकवाया.

साथ ही जिला विधिक प्राधिकरण के सचिव कुलदीप शर्मा और राजस्थान बाल आयोग के पूर्व सदस्य डॉ. शैलेंद्र पण्ड्या के मार्गदर्शन में कार्रवाई करवाते हुए परिवार को पाबंद किया गया. साथ ही, उन्हें बाल विवाह कानून के बारे में जानकारी दी गई और इस कानूनी अपराध के बारे में जागरूक किया गया.

अभियान संयोजक और राजस्थान बाल आयोग और राजस्थान सरकार के पूर्व सदस्य डॉ. शैलेंद्र पण्ड्या ने आमजन से अपील की है कि बाल विवाह करवाने के साथ बाल विवाह में किसी भी तरह सहयोगी होना भी बाल विवाह निषेध अधिनियम अन्तर्गत अपराध है.

ये भी पढ़ें-"बाल विवाह पर पूरी तरह रोक लगे", राजस्थान के नए कानून का सामाजिक संगठनों ने किया विरोध

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