
पश्चिमी राजस्थान में मंगलवार को हृदय के जन्मजात रोग 'एट्रियोवेंट्रिकुलर कैनाल डिफेक्ट' की पहली बार दुर्लभ सर्जरी हुई है. यह सर्जरी शहर के डॉ. संपूर्णानंद मेडिकल कॉलेज के अधीन मथुरादास माथुर अस्पताल के कार्डियोथोरेसिक विभाग में की गई. सर्जरी के बाद 12 वर्षीय रोगी को दर्द से राहत मिली है और अब वह पूर्ण रूप से स्वस्थ है. सीटीवीएस विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सुभाष बलारा ने बताया कि जैतारण निवासी 12 वर्षीय बच्चा जन्म के बाद से सांस फूलने और अनायास नीले पड़ने की तकलीफ से जूझ रहा था. यह बीमारी पिछले दो सालों में बढ़ गई थी.
उन्होंने बताया कि रोगी ने अपने क्षेत्र में इलाज लिया. बावजूद इसके स्वास्थ्य में कोई फर्क नहीं पड़ा. मेडिकल कॉलेज के मथुरादास माथुर अस्पताल के उत्कर्ष सीटीवीएस वार्ड में भर्ती रोगी की प्राथमिक जांच और ईकोकार्डियोग्राफी में बच्चे के हृदय में जन्मजात रोग 'एट्रियोवेंट्रिकुलर कैनाल डिफेक्ट' की पुष्टि हुई. रोगी की सर्जरी द्वारा हृदय का रिकंस्ट्रक्शन करने का निर्णय लिया गया. इस ऑपरेशन को बाईपास मशीन पर किया गया.
पैदा हो सकती है हार्ट फेल की स्थिति
हृदय से जुड़े इस जन्मजात रोग में लापरवाही बरतने पर हार्ट फेल होने तक की स्थिति पैदा हो सकती है. 12 वर्षीय रोगी की जटिल सर्जरी के बाद बच्चे को सिटी आईसीयू में रखा गया. नॉर्मल होने पर मरीज को वेंटिलेटर से हटाया गया. डॉ. अभिनव सिंह ने बताया कि कंप्लीट एट्रियोवेंट्रिकुलर कैनाल डिफेक्ट (एंडोकार्डियल क्वेश्चन डिफेक्ट) दुर्लभ बीमारी है. इस बीमारी में हृदय के चारों चैंबर्स विकसित नहीं होते हैं और हृदय के अंदर दाहिने और बाएं हिस्से को विभाजित करने वाली दीवार एट्रीयम और वेंट्रिकुलर लेवल पर एब्सेंट होती है. साथ ही दाहिने तरफ का ट्राईकस्टर्ड और बाएं तरफ का माईट्रल वॉल्व नहीं बना होता है, जिसके कारण पूरा ह्रदय एक बड़े चेंबर जैसा काम करता है. 1000 लोगों में इस तरह के 0.20 मामले ही सामने आते हैं. इस बीमारी को मुख्य रूप से 4 भागों में बांटा गया है. यह बीमारी अमूमन हृदय के अन्य जन्मजात रोगों और क्रोमोसोम एब्नॉर्मेलिटीज के साथ होती है जैसे कि टौफ, डाउन सिंड्रोम और धमनियों की बीमारी.
सर्जरी में डबल पेच तकनीक का हुआ उपयोग
इस केस में डबल पैच तकनीक से हृदय के चैंबर्स की दीवारों और वॉल्वों का रिकंस्ट्रक्टशन किया गया. इस प्रक्रिया में हार्ट की झिल्ली पेरिकार्डियम को इस्तेमाल किया गया. हृदय के दाहिने हिस्से के आउटफ्लो ट्रैक में रुकावट पैदा कर रहे मस्कुलर बैंड को भी काटा गया और फेफड़ों की तरफ जाने वाली धमनियों को पेरिकार्डियम द्वारा बढ़ाया गया. यह थ्रीडाइमेंशनल रिपेयर होता है, जिसमें ह्रदय की नवनिर्मित दीवारों और वॉल्वों का परिमाप हार्ट के चैंबर्स के आयाम के आधार पर होना चाहिए क्योंकि इनमें सिकुड़न जानलेवा हो सकती है. ऑपरेशन के बाद अब बच्चा स्वस्थ है और उसका इलाज सीटीवीएस वार्ड में हो रहा है. ऑपरेशन के पश्चात की सभी जांचें और अन्य सभी पैरामीटर्स नॉर्मल हैं.
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