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This Article is From Jul 25, 2023

रेगिस्तानी वातावरण को समझने में 'क्राउडसोर्ड बर्ड डेटा' महत्वपूर्ण साधन:  IIT जोधपुर 

IIT Jodhpur Study: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) जोधपुर ने क्राउडसोर्ड बर्ड डेटा से थार रेगिस्तान का अध्ययन किया है. इस डेटा के उपयोग से पक्षी प्रजातियों की जानकारी, कृषि प्रभावों, भूगोल और जैवविविधता के बीच संबंधों के बारे में मूल्यवान जानकारी हासिल किया जा सकता है.

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रेगिस्तानी वातावरण को समझने में 'क्राउडसोर्ड बर्ड डेटा' महत्वपूर्ण साधन:  IIT जोधपुर 
रेगिस्तानी वातावरण को समझने में 'क्राउडसोर्ड बर्ड डेटा' महत्वपूर्ण साधन:  IIT जोधपुर 
नई दिल्ली:

IIT Jodhpur Study: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) जोधपुर ने क्राउडसोर्ड बर्ड डेटा से थार रेगिस्तान का अध्ययन किया है. अध्ययन में थार रेगिस्तानी वातावरण के चार क्षेत्रों को समझने में क्राउडसोर्ड (ऑनलाइन) बर्ड डेटा एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में सामने आया है. यह रेगिस्तानी वातावरण के क्षेत्रों को समझने, कृषि खेतों के मानवीय प्रभावों का मूल्यांकन करने और भौगोलिक क्षेत्रों और जैव विविधता के बीच जटिल संबंधों को पता लगाने में एक महत्वपूर्ण साधन है. इस डेटा के उपयोग से पक्षी प्रजातियों की जानकारी, कृषि प्रभावों, भूगोल और जैवविविधता के बीच संबंधों के बारे में मूल्यवान जानकारी हासिल किया जा सकता है. इस शोध में ईबर्ड के ओपन सोर्स क्राउडसोर्ड डेटा का उपयोग किया गया है. 

थार रेगिस्तान

थार रेगिस्तान अपनी अनोखी जैव विविधता और नाजुक वातावरण तंत्र के लिए जाना जाता है. हालांकि विभिन्न मानवजनित गतिविधियों और व्यापक डेटा की कमी के कारण इस क्षेत्र की वातावरण विशेषताओं और इसके विभिन्न जैविक समुदायों के वितरण की समझ सीमित है. किसी भी क्षेत्र के वातावरण का मूल्यांकन करने के लिए पारंपरिक तरीकों में अक्सर महत्वपूर्ण संसाधनों, समय और विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है जिससे पर्याप्त डेटा एकत्र करना और चुनौतीपूर्ण हो जाता है. इस तरह के शोध की कमी को ध्यान में रखते हुए जोधपुर सिटी नॉलेज इनोवेशन फाउंडेशन से जुड़ी परिस्थिति विज्ञानशास्त्री डॉ. मानसी मुखर्जी आईआईटी जोधपुर के कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. अंगशुमन पॉल व बायोसाइंस और बायोइंजीनियरिंग विभाग की प्रमुख प्रोफेसर डॉ मिताली मुखर्जी ने थार रेगिस्तान में चार पारिस्थितिक क्षेत्रों को परिभाषित करने के लिए क्राउडसोर्ड वर्ड डेटा को उपयोग करने का सुझाव दिया है. शोध के महत्व के बारे में बात करते हुए आईआईटी जोधपुर के बायोसाइंस और बायोइंजीनियरिंग विभाग की प्रोफेसर और हेड डॉ. मिताली मुकर्जी का कहना है कि थार एक प्राकृतिक लैबोरेटरी के रूप में कार्य करता है जो यहां के घटकों एवं प्रजातियों के पनपने, उनकी परस्परता और समूचे वातावरण तंत्र के संरक्षण के लिए नवाचारी डिज़ाइंस की सुविधा प्रदान करता है.

शोध के परिणाम  

इस शोध में खेती योग्य क्षेत्र को तीन दूरस्थ भौगोलिक क्षेत्रों में विभाजित पाया गया है. खेती विकसित क्षेत्र में सबसे कम विविधता और प्रजाति संरचना में सबसे अधिक परिवर्तन देखा गया है जिससे इस क्षेत्र की अद्वितीय जैव विविधता के संरक्षण के लिए इस क्षेत्र में पुनर्स्थापना के प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया गया है. यह अध्ययन पारिस्थितिकीय क्षेत्रों को समझने, कृषि-खेतों के प्रभाव का मूल्यांकन करने और भौगोलिक क्षेत्रों और जैव विविधता के मध्य एक पारिस्थितिकीय प्रणाली में संबंध की जांच करने में सहयोग प्रदान करता है.

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