Health News: सर्दियों की ठंडी हवाओं में अक्सर जुकाम और खांसी ने लोगों को परेशान कर रखा है. शरीर में थकान छा जाती है और रोजमर्रा के काम प्रभावित होते हैं. लेकिन चिंता न करें आयुर्वेद के ये प्राकृतिक काढ़े आपको तुरंत आराम देंगे. ये न सिर्फ शरीर को गर्माहट प्रदान करते हैं बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत बनाते हैं जिससे वायरस से मुकाबला आसान हो जाता है.
आयुर्वेद की नजर में सर्दी-खांसी का कारण
आयुर्वेद बताता है कि सर्दी और जुकाम मुख्यतः कफ दोष के बढ़ने से होता है. इसकी वजह से नाक से पानी बहना गले में खराश और हल्का बुखार जैसी समस्याएं आती हैं. गर्म तीखे और थोड़े रूखे गुणों वाले काढ़े कफ को कम करते हैं. अदरक दालचीनी काली मिर्च तुलसी गिलोय और हल्दी जैसे तत्व इसमें मुख्य भूमिका निभाते हैं. ये संक्रमण से लड़ते हैं और शरीर को स्वस्थ रखते हैं.
पहला काढ़ा: अदरक और तुलसी का जादू
यह काढ़ा शरीर की अकड़न दूर करता है और सूजन कम करता है. तुलसी रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाती है. बनाने का तरीका सरल है: एक इंच अदरक का टुकड़ा और 10-12 तुलसी की पत्तियां दो कप पानी में उबाल लें. स्वाद के लिए शहद मिलाएं. दिन में एक या दो बार पीने से फायदा मिलेगा.
दूसरा काढ़ा: काली मिर्च लौंग और दालचीनी का मिश्रण
यह बेहद गर्म प्रभाव वाला काढ़ा कफ को पिघलाकर बाहर निकालता है. काली मिर्च वायरस की सक्रियता घटाती है लौंग गले के दर्द से छुटकारा दिलाती है और दालचीनी शरीर में गर्मी बनाए रखती है. सर्दियों में यह बहुत कारगर साबित होता है.
तीसरा काढ़ा: गिलोय और अदरक की जोड़ी
गिलोय को आयुर्वेद में अमृत कहा जाता है जो संक्रमण को जल्दी खत्म करता है. अदरक के साथ मिलकर यह और प्रभावी हो जाता है. जुकाम के लक्षणों को कम करने में यह शानदार काम करता है.
चौथा काढ़ा: हल्दी वाला दूध (गोल्डन मिल्क)
हल्दी में एंटीवायरल और सूजन कम करने वाले गुण होते हैं. दूध मिलाकर पीने से शरीर को आराम मिलता है और गले की खराश तुरंत दूर होती है. रात को सोने से पहले पीना सबसे अच्छा है.
पांचवां काढ़ा: मुलेठी और तुलसी का संयोजन
मुलेठी गले की जलन मिटाती है और तुलसी शरीर की रक्षा शक्ति को बढ़ाती है. यह काढ़ा खांसी में विशेष राहत देता है.जरूरी सावधानियांये काढ़े बहुत गर्म प्रभाव वाले हैं इसलिए ज्यादा मात्रा में न लें. ये दवाओं का स्थान नहीं ले सकते लेकिन इम्यूनिटी मजबूत करने और तत्काल राहत देने में सहायक हैं.
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