Rajasthan News: अजमेर दरगाह ख्वाजा साहेब परिसर में नाज़िम द्वारा जारी अतिक्रमण हटाने के नोटिस को दिल्ली हाईकोर्ट ने स्थगित कर दिया है. दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले नोटिस देना और सुनवाई का अधिकार देना आवश्यक है. 22 नवंबर 2025 को जारी नोटिस में दरगाह परिसर में रखी अलमारियों, बॉक्स, रैक, दुकानों और अन्य सामान को अवैध अतिक्रमण बताते हुए 27 नवंबर तक हटाने का आदेश दिया गया था. चेतावनी दी गई थी कि निर्धारित समय में सामान नहीं हटाने पर प्रशासनिक सहायता लेकर बिना किसी पूर्व सूचना के संरचनाएं हटाई जाएंगी. इस पर अदालत ने सख्त रुख अपनाया और नोटिस की वैधता पर सवाल खड़े किए.
नाज़िम को नोटिस जारी करने का अधिकार नहीं
याचिकाकर्ता सैयद मेहराज मियां की ओर से दलील दी गई कि नाज़िम को इतने महत्वपूर्ण प्रशासनिक आदेश जारी करने का अधिकार नहीं है. उन्होंने कोर्ट में कहा कि दरगाह ख्वाजा साहेब अधिनियम 1955 के अनुसार सभी प्रशासनिक अधिकार दरगाह कमेटी के पास होते हैं, लेकिन फिलहाल समिति का गठन ही नहीं हुआ है. उन्होंने यह भी बताया कि नोटिस जारी करते समय किसी भी व्यक्ति को अपनी बात रखने का अवसर नहीं मिला, जिससे प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन हुआ है. अदालत ने इन तर्कों को गंभीरता से लेते हुए माना कि नाज़िम की ओर से की गई कार्रवाई कानून के अनुरूप नहीं थी और प्रभावित पक्षों को बिना नोटिस के अतिक्रमणकारी घोषित नहीं किया जा सकता.
दरगाह कमेटी के गठन की प्रक्रिया तेज करने का निर्देश
अदालत ने अपने आदेश में दो प्रमुख निर्देश दिए. पहला, केंद्र सरकार को तुरंत दरगाह कमेटी के गठन की प्रक्रिया तेज करने को कहा गया, ताकि अधिनियम की धारा 4 और 5 के अनुरूप प्रशासनिक ढांचा पुनः स्थापित हो सके. दूसरा, 22 नवंबर के नोटिस पर अब किसी भी व्यक्ति के खिलाफ तत्काल कार्रवाई नहीं की जाएगी. अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिया कि आगे कोई कदम उठाने से पूर्व संबंधित व्यक्तियों को कारण बताओ नोटिस दिया जाएगा, फिर सुनवाई की जाएगी और उसके बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा. मामले की अगली सुनवाई 23 फरवरी 2026 को निर्धारित की गई है, जिसमें केंद्र की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी.
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