
Rajasthan News: डूंगरपुर जिले की बलवाड़ा ग्राम पंचायत में सरपंच द्वारा सार्वजनिक शौचालय के नाम पर घोटाले का मामला सामने आया है. वर्ष 2019-2020 में ग्राम पंचायत को सार्वजनिक शौचालय की स्वीकृति मिली थी. नियमानुसार इसका निर्माण पंचायत की कोरम बैठक में प्रस्ताव पारित होने के बाद होना चाहिए था, लेकिन सरपंच नानुराम बरंडा ने न तो कोरम में कोई प्रस्ताव लिया और न ही पंचायत क्षेत्र में कोई सार्वजनिक शौचालय बनवाया. इसके विपरीत उन्होंने सीधे अपने घर के आंगन में ही शौचालय का निर्माण करवा दिया.
3 लाख रुपए है शौचालय बनने की लागत
जिसकी लागत करीब 3 लाख रुपए बताई जा रही है. इस कथित सार्वजनिक शौचालय में किसी प्रकार का संकेतक बोर्ड तक नहीं लगाया गया है, जिससे यह स्पष्ट हो कि यह सार्वजनिक है. इतना ही नहीं, सरपंच के घर के आसपास कोई अन्य आवास नहीं है, जबकि नियमानुसार सार्वजनिक शौचालय ऐसी जगह पर बनना चाहिए जहां कम से कम 10 घर हों और भूमि सरकारी हो. इसके बावजूद ग्राम विकास अधिकारी ने भी मिलीभगत करते हुए इस निर्माण का भुगतान कर दिया.
सार्वजनिक सुविधा के रूप में स्वीकृत हुआ था शौचालय
जमीन और निर्माण को लेकर भी अनियमितता साफ नजर आती है. जियो टैगिंग में केवल सरपंच का घर ही दर्शाया गया है, जिससे स्पष्ट होता है कि यह निर्माण पंचायत की किसी सार्वजनिक जरूरत के लिए नहीं किया गया. वर्तमान में इस शौचालय का उपयोग सिर्फ सरपंच और उसका परिवार कर रहा है, जबकि यह एक सार्वजनिक सुविधा के रूप में स्वीकृत हुआ था. इस तरह सरकारी धन का दुरुपयोग करते हुए निजी लाभ उठाया गया है.
सरपंच ने क्या कहा ?
इस पूरे प्रकरण पर सरपंच नानुराम बरंडा का कहना है कि बलवाड़ा गांव में बिखरी हुई बस्ती है और केवल मुस्लिम समुदाय की एक मुख्य बस्ती है, जहां लोगों ने शौचालय बनवाने से मना कर दिया था. इसलिए उन्होंने अपनी पत्नी के नाम की जमीन पंचायत को दान देकर वहां शौचालय बनवाया है. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही जमीन दान दी गई हो, घर के आंगन में शौचालय बनवाना नियमानुसार गलत है. पंचायत समिति के विकास अधिकारी ने मामले की जांच के बाद उचित कार्रवाई की बात कही है.
यह भी पढ़ें - पाक के लिए जासूसी के आरोप में गिरफ्तार ज्योति आई थी बाड़मेर, बॉर्डर के पास बनाए थे वीडियो