सीकर सहित पूरे शेखावाटी अंचल में कड़ाके की ठंड का असर अब केवल आमजन पर ही नहीं, बल्कि देवी-देवताओं की सेवा और श्रृंगार पर भी साफ नजर आने लगा है. सर्दी से अपने आराध्य देव को बचाने के लिए भक्त और मंदिर पुजारी भगवान को गर्म कपड़े पहना रहे हैं. गर्म तासीर वाले भोग अर्पित कर रहे हैं. सीकर शहर के प्राचीन श्री कल्याण धाम और प्राचीन राधा दामोदर मंदिर सहित कई ठाकुर जी के मंदिरों में भगवान की मूर्तियों को स्वेटर पहनाया. शॉल और रजाई ओढ़ाई.
भगवान के लिए लगाया हीटर
ठंड से बचाव के लिए हीटर की भी व्यवस्था की गई है. सर्दी के मौसम में भगवान को गुड़, तिल के लड्डू, बाजरे की खिचड़ी, गजक, रेवड़ी और केसर युक्त गर्म दूध का भोग लगाया जा रहा है. साथ ही प्रदूषण से बचाने के लिए भगवान को मास्क ला रहे हैं. भिवाड़ी का एयर क्वालिटी इंडेक्स स्तर 294, अलवर का 231, चूरू 284, दौसा 233, श्रीगंगानगर 271 पहुंच गया है. कोटा में 180, सीकर 196, टोंक 186, उदयपुर 157, आबू में 158, अजमेर में 143 रिकार्ड हुआ है.
भगवान को गर्म भोग लगाया
श्रद्धालुओं की मान्यता है कि जैसे इंसानों को सर्दी लगती है, वैसे ही भगवान की मूर्तियों को भी सर्दी का अहसास होता है. इसी भाव के साथ भक्त सर्दी के मौसम में भगवान के भोग और श्रृंगार में विशेष ध्यान रखते हैं. यह परंपरा भक्त और भगवान के बीच गहरे भावनात्मक जुड़ाव और सेवा भाव को भी दर्शाती है.
ऊनी वस्त्र भगवान को पहनाए
सीकर शहर के प्राचीन राधा दामोदर मंदिर के पुजारी नंदकिशोर शर्मा ने बताया कि अंचल में ठंड बढ़ने के कारण भगवान की प्रतिमाओं को भी सर्दी से बचाने के लिए ऊनी वस्त्र पहनाए गए हैं और गजक, रेवड़ी व केसर युक्त गर्म दूध का भोग लगाया जा रहा है.
शॉल और रजाई ओढ़ाया
प्राचीन श्री कल्याण जी मंदिर के पुजारी बनवारी लाल ने बताया कि कड़ाके की ठंड शुरू होते ही भगवान को दूध और गर्म चीजों का भोग लगाया जाता है. भगवान की प्रतिमाओं को भी इंसानों की तरह सर्दी से बचाने के लिए ऊनी कपड़े, शॉल, रजाई और हीटर की व्यवस्था की जाती है.
यह भी पढ़ें: भरतपुर में सुरक्षबलों पर पथराव, वाहन में तोड़फोड़; जवान से SLR छीनने की कोशिश