End of the Era of Greeting Cards: न्यू ईयर सेलिब्रेशन में ग्रीटिंग कार्ड्स कभी भावनाओं के उदगार का माध्यम था, लेकिन समय बदला और उसकी जगह सोशल मीडिया और मैसेजिंग एप ने ले ली हैं. भावनाओं को शब्दों में उड़ेलने के लिए ग्रीटिंग कॉर्ड्स प्रेमी-प्रेमिकाओं का माध्यम नहीं था, बल्कि ग्रीटिंग कॉर्ड्स भाई-बहनों के भावनाओं को भी एकदूसरे तक पहुंचाते थे.
बदलते दौर में अब ग्रीटिंग कार्ड का अस्तित्व नहीं रहा, क्योंकि तकनीक ने चीजों को ही नहीं, बल्कि भावनाओं को भी दरकिनार कर दिया है, बदले हुए दौर में भावनाएं भेजना और उनकी प्रतिक्रिया का इंतजार करना खत्म हो गया है. भावनाओं को जाहिर करने और उसके प्रतिउत्तर में लगा वक्त नए रिश्तों का आयाम देती थीं, जिसका एक बेहतर माध्यम ग्रीटिंग कॉर्ड्स था.
ग्रीटिंग कार्ड्स का जमाना गया, उसकी जगह सोशल मीडिया ने ली है. सोशल मीडिया ने सूचनाओं के संचार में गति जरूर प्रदान की है, लेकिन रिश्तों की गहराई को कम करने बड़ी भूमिका निभाई है. फटाफट मैगी पका करती है, रिश्तों के पकने में वक्त लगता है, लेकिन ये वक्त का शरमाया है कि अब तकनीकी युग में तेज भागते हुए भी किसी के पास वक्त नहीं है.
वर्तमान में अपने प्रियजनों, परिचितों और प्रेयसी को शुभकामाएं भेजने के लिए इंटरनेट यूजर्स के पास अनगिनत माध्यम हैं, लेकिन उनमें भावनाएं मिसिंग होती हैं, लेकिन किसी दौर में भावनाओं को शेयर करने का माध्यम रहा ग्रीटिंग कॉर्ड्स वर्तमान में जहन से ही नहीं, दुकानों से भी गायब है.
सूचना क्रांति के दौर मोबाइल में सबकुछ बदल दिया है, इसने मोबाइल फोन को ही नहीं, इंसान को भी एडवांस बना दिया है. व्हाट्सएप और सोशल मीडिया पर फ़ोटो, वीडियो व टेक्स्ट मैसेज से बधाई देना आसान हो गया है. इसने मैसेज शेयरिंग तो आसान किया है, लेकिन रिश्तों के पैनेपन को दुश्कर बना दिया है.
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