Chinese Manjha News: शिक्षा की काशी कहे जाने वाले राजस्थान के कोटा शहर में पतंगबाजी का जबरदस्त क्रेज है. यहां की पतंगों में चाइनीज मांझा पतंग की डोर बनकर हवा में तो नजर आता है, लेकिन यह पतंग की डोर आज इंसान और पक्षियों की जिंदगी की डोर काटने पर तुली है. देश भर में चाइनीज मांझे ने ना जाने कितने इंसानों और बेजुबान पक्षियों के गले, नाक, गाल, हाथों पर गहरे घाव किए हैं. जिन बेजुबान पक्षियों और इंसानों की अकाल मौत चाइनीज मांझे में फंसकर हुई है.
वह कभी शायद ही उस इंसान को माफ कर पाए जिनके कारण उनकी मौत हुई. फिर भी अपनी मौज मस्ती के लिए आसमान में पतंग उड़ाने वाले लोग आज भी नासमझ बन कर चाइनीज मांझे का प्रयोग कर रहे हैं. इन हादसों के सबसे बड़े जिम्मेदार वह लोग हैं जो चंद मुनाफे के लिए चोरी छुपे चाइनीज मांझा बाजार में खपा रहे हैं.
NDTV राजस्थान की टीम ने ग्राउंड जीरो पर जाकर समझा कि लोगों को कितना दर्द यह चाइनीज मांझा देता है. साथ ही बेजुबान पक्षियों की तरफ से ह्यूमन हेल्पलाइन के प्रतिनिधि से भी बातचीत कर पक्षियों का दर्द भी समझा.
कोटा में चाइनीज मांझे के कारण हुए ये हादसे
कोटा स्टेशन वाले इलाके की रहने वाली खुशी झा जो अपनी क्लास से घर लौट रही थी, तभी रास्ते में छावनी फ्लाईओवर के यहां उसके गले में आकर चाइनीज मांझा उलझ गया. उसने स्कार्फ पहन रखा था और हेलमेट भी लगा रखा था लेकिन चाइनीज मांझे ने उसके गले, होंठ, गाल पर नाक पर गहरे कट लगाए.
करीब दस टांके इस बच्ची को लगे और कई दिनों तक उसे घर पर ही रहना पड़ा. उसकी पढ़ाई भी प्रभावित हुई और परिवार वालों का तो हाल बेहाल ही रहा. बच्ची के जीवन को लेकर ऐसे न जाने कितने लोग हैं जिन्हें चाइनीज मांझे ने गहरे जख्म दिए हैं.
ऐसी ही दुर्घटना देबू राही के साथ हुई थी. उन्हें भी इस मांझे से काफी नुकसान हुआ था. और अब जबकि मकर संक्रांति का पर्व आ गया है. वह प्रशासन से गुजारिश करते हैं कि वह चाइनीज मांझे की धरपकड़ करें.
चाइनीज मांझे बेचने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें क्योंकि जो दर्द और पीड़ा उन्होंने सहन की है वह किसी और के साथ ना हो. देबू राही ने अपने साथियों के साथ मिलकर जन जागरण हस्ताक्षर अभियान भी शुरू किया है.
बेजुबान पक्षियों की जान बचाने वाले मनोज जैन ने ये बताया
मनोज जैन आदिनाथ, यह बेजुबान पक्षियों की जान बचाने का काम सालों से कर रहे हैं. चाइनीज मांझा रोकथाम को लेकर उनकी सबसे बड़ी समझ है. क्योंकि इन्होंने हजारों पक्षियों को जीवन दान दिया. उन्हें उस जगह से उठाया है जहां पर किसी की निगाह नहीं जाती, क्योंकि कई जगह पर पक्षी चाइनीज मांझे में उलझ कर जिंदगी और मौत से जूझते हुए उन्हें संभाला और वेटरनरी डॉक्टर तक पहुंचाने का काम किया है. उन्होंने आमजन से हाथ जोड़कर विनती कर कहा कि चाईनीज मांझा के बजाय, सूती डोर का प्रयोग करें ताकि इंसान के साथ बेजुबान पक्षियों की जान न जाए. ह्यूमन हेल्पलाइन पूरे शहर में इस दिशा में काम करती है.
जहां भी घायल पक्षी होने की सूचना मिलती है. वहां पर एंबुलेंस जाती है. और मौके पर भी ट्रीटमेंट किया जाता है. जहां डॉक्टरों की टीम इनका इलाज करती है. कई ऑपरेशन भी डॉक्टर ने पक्षियों के किए हैं. देशभर में 14 जनवरी को मकर संक्रांति का महापर्व मनाया जाना है.
नगर निगम कोटा की टीम चाइनीज मांझा बेचने वालों के यहां छापेमारी की कार्रवाई कर रही है. इस सिलसिले में टीम ने कई चाइनीज मांझे के रोल भी पकड़े हैं. फिर उन्हें जलाया गया है और पतंग डोर बेचने वाले विक्रेताओं को समझाइश के साथ उन्हें चेतावनी भी दी जा रही है कि वह अगर चाइनीज मांझा बेचेंगे तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की जाएगी.
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