Rajasthan News: जयपुर के एसएमएस अस्पताल में 34 वर्षीय पूजा सैनी का सफल हार्ट ट्रांसप्लांट कर लिया गया. ग्रीन कॉरिडोर बनाकर हार्ट को जोधपुर से फ्लाइट से जयपुर लाया गया. इस तरह का यह पहला मामला है. जोधपुर से हार्ट लाने और अस्पताल में मरीज के ऑपरेशन को प्रक्रिया 4 घंटे से कम में पूरी की गई. जोधपुर एम्स व एसएमएस अस्पताल के डॉक्टरों ने समन्वय से इस पूरे मिशन में सफलता पाई. पूजा सैनी पिछले दो साल से हार्ट डोनर का इंतजार कर रही थीं.
पूजा को डॉक्टरों ने दी थी हार्ट ट्रांसप्लांट की सलाह
जोधपुर में सड़क दुर्घटना में घायल हुई अनिता के ब्रेन डेड होने के बाद परिजनों उसके ऑर्गन डोनेट करने का फैसला किया. इससे पूजा को नया जीवन मिला है. सीटीवीएस सर्जन डॉक्टर राजकुमार यादव व उनकी पूरी टीम से इस ट्रांसप्लांट को सफल बनाया. बता दें कि बाड़मेर निवासी पूजा सैनी को 2022 में ही चिकित्सकों ने हार्ट ट्रांसप्लांट की सलाह दी थी. उसके बाद से ही डोनर की तलाश की जा रही थी.
जोधपुर में जब अनिता सड़क दुर्घटना में ब्रेन डेड हुई तो उनके परिजनों को एम्स के चिकित्सकों ने ऑर्गन डोनेट करने के लिए प्रेरित किया. अनीता के परिजन डोनेट करने को तैयार हुए. इसके बाद 27 जुलाई को रात 8 बजे एसएमएस अस्पताल प्रशासन ने पूजा के परिजनों को इसकी जानकारी दी और तुरंत जयपुर पहुंचने को कहा. पूजा परिजनों के साथ अहले सुबह एसएमएस अस्पताल पहुंची, जहां उसे गहन चिकित्सीय निगरानी में रखा गया.
तय समय से 20 मिनट पहले ही पहुंचा हार्ट
एसएमएस अस्पताल के डॉक्टरों की एक टीम जोधपुर पहुंची और वहां से हार्ट लेकर जयपुर के लिए इंडिगो की फ्लाइट से रवाना हुई. इंडिगो की फ्लाइट तय समय से 20 मिनट पहले पहुंची. इस दौरान पुलिस प्रशासन ने ग्रीन कॉरिडोर बनाकर एयरपोर्ट से अस्पताल तक ऑर्गन पहुंचने का रास्ता साफ किया. डॉक्टर बताते हैं कि 4 से 6 घंटे के अंदर ऑर्गन को दूसरे शरीर में फिट करना होता है और जोधपुर से यहां लाकर सर्जरी शुरू करने में 4 घंटे से भी कम वक्त लगा.
पूजा के परिजनों ने एसएमएस अस्पताल प्रशासन का आभार जताया. उनके देवर अनिल बताते हैं कि परिवार पिछले दो तीन सालों से पूजा के इलाज के लिए परेशान था. एसएमएस अस्पताल ने बताया था कि उनका हार्ट सिर्फ 20 प्रतिशत काम करता था. पहले हमें विश्वास नहीं हुआ तो हम दिल्ली एम्स भी गए, लेकिन उन्होंने भी यही बात कही. अब एसएमएस अस्पताल में सफल ट्रांसप्लांट हुआ है तो हम डॉक्टरों के प्रति आभार प्रकट करते हैं. एसएमएस कॉलेज के प्राचार्य दीपक महेश्वरी ने बताया कि इस पूरे मिशन में 150 से अधिक लोगों ने अपनी भूमिका निभाई. डॉ राजकुमार यादव, डॉ संजीव देवेगौड़ा, डॉ मनीष अग्रवाल, कोर्डिनेटर रामरतन की अहम भूमिका रही.
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