
Court Order On Gyanvapi: वाराणसी की जिला अदालत द्वारा ज्ञानवापी परिसर में स्थित व्यास जी के तहखाने में हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार मिलने के बाद आज पूजा शुरू हो गई है. जिला न्यायाधीश अदालत ने तहखाने में पूजा पाठ करने का अधिकार व्यास जी के नाती शैलेन्द्र पाठक को दिया है. हालांकि मुस्लिम पक्ष अदालत के फैसले से खुश नहीं है और उसने अदालत में चुनौती देने का फैसला किया है.
रिपोर्ट के मुताबिक हिंदुओं के पक्ष में फैसला सुनाते हुए जिला न्यायाधीश ने अपने आदेश में जिलाधिकारी को निर्देशित करते हुए कहा है कि वादी शैलेन्द्र व्यास और काशी विश्वनाथ ट्रस्ट द्वारा तय किए गए पुजारी से व्यास जी के तहखाने में स्थित मूर्तियों की पूजा और राग-भोग कराए जाने की व्यवस्था सात दिन के भीतर कराएं.

हिंदू पक्ष के वकील ने बताया कि पूजा कराने का कार्य काशी विश्वनाथ ट्रस्ट करेगा. ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने के समक्ष विराजमान नंदी महाराज के सामने लगी बैरीकेडिंग को हटाकर रास्ता खोला जाएगा. उन्होंने बताया कि वर्ष 1993 में तत्कालीन सपा सरकार के दौरान बैरिकेडिंग कर पूजा-पाठ बंद करा दिया गया था.
आदेश में कहा गया है कि जिला मजिस्ट्रेट वाराणसी / रिसीवर को निर्देश दिया जाता है कि वह सेटेलमेंट प्लॉट नं. 9130 थाना-चौक, जिला वाराणसी में स्थित भवन के दक्षिण की तरफ स्थित तहखाने, जो कि वादग्रस्त सम्पत्ति है, वादी व काशी विश्वनाथ ट्रस्ट बोर्ड के द्वारा नाम निर्दिष्ट पुजारी से पूजा, राग-भोग, तहखाने में स्थित मूर्तियों का कराए और इस उद्देश्य के लिये सात दिन के भीतर लोहे की बाड़ आदि में उचित प्रबंध करें.
विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष आलोक कुमार ने अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि आज काशी की एक अदालत ने हर हिंदू के दिल को खुशी से भरने वाला एक बहुत ही महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. इस फैसले पर हिंदू समाज को बधाई देते हुए उन्होंने कहा, 'हमें उम्मीद है कि इसके बाद ज्ञानवापी मामले पर भी अदालत का फैसला जल्द आएगा. हमें विश्वास है कि सुबूतों और तथ्यों के आधार पर फैसला हिंदुओं के पक्ष में आएगा.
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने अदालत के आदेश का स्वागत करते हुए सोशल साइट 'एक्स' पर लिखा, 'शिव भक्तों को न्याय मिला. 1993 से श्रद्धालुओं को इंतज़ार था, हर हर महादेव. जय बाबा विश्वनाथ जय माता श्रृंगार गौरी.
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