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Holi 2025: राजस्थान की इस जगह से हुई होली के त्योहार की शुरुआत, राधा-कृष्ण ने खेली थी होली; 365 दिन चलता है त्योहार

बृज में होली का पर्व भक्ति, प्रेम और रंगों का अनूठा संगम है. राजस्थान के डीग जिले के गुलाल कुंड से इसकी शुरुआत मानी जाती है. जहां भगवान कृष्ण और राधा ने अपनी सखियों संग होली खेली थी. यहां 365 दिन होली मनाई जाती है. 

Holi 2025: राजस्थान की इस जगह से हुई होली के त्योहार की शुरुआत, राधा-कृष्ण ने खेली थी होली; 365 दिन चलता है त्योहार
राजस्थान की इस जगह से हुई होली की शुरुआत.

HOLI 2025: देशभर में होली का पर्व बड़ी धूम-धाम से मनाया जा रहा है. वहीं बात बृज की करें तो यहां होली के पर्व पर अलग ही रंग नजर आ रहा है. कहा जाता है कि बृज में होली के दिन भक्ति, प्रेम और रंग का अनूठा संगम देखने को मिलता है. होली पर्व की शुरुआत राजस्थान के डीग जिले में बॉर्डर से सटे गांव गांठौली के 'गुलाल कुंड' से हुई थी. ये कुंड राधा-कृष्ण की होली लीला का साक्षात प्रमाण भी कहा जाता है. स्थानीय लोगों का दावा है कि भगवान कृष्ण और राधा ने अपनी सखियों संग होली इसी कुंड में खेली थी. 

मान्यतानुसार भगवान कृष्ण के पन्ना और राधा रानी की चूंदरी में सखा और सखियों ने गांठ बांधी थी. इसी मान्यता के चलते यहां 365 दिन होली खेली जाती है. इस स्थल को देखने के लिए बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं. साथ ही भगवान कृष्ण और राधाजी से गुलाल की होली खेलते हैं.

गुलाल कुंड.

गुलाल कुंड.

'गुलाल कुंड' नाम के पीछे भी है खास वजह

पौराणिक मान्यता है कि भगवान कृष्ण और राधा रानी ने 10 मन केसर का गुलाल बनाया था, जिसके चलते डीग में मौजूद इस कुंड का नाम 'गुलाल कुंड' पड़ा. भगवान कृष्ण ने राधाजी और अपनी सखियों के साथ 100 मन गुलाल और 10 मन केसर से होली खेली थी. गुलाल कुंड की होली लीला का महत्व इस कदर है कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र आदि से बृज पहुंचने वाले लोग यहां भी पहुंचते हैं.

365 दिन यहां खेली जाती है होली

इस मंदिर महंत कृष्ण मुरारी ने बताया कि सारस्वत कल्प में होली की शुरुआत यहीं से शुरू हुई है. राधा रानी ने बरसाना में होली नहीं खेली है. बरसाना में होली वहां की महिलाएं खेलती हैं, बेटियां नहीं. राधा रानी ने कृष्ण भगवान से कहा कि मैं बरसाने में आपके साथ होली नहीं खेल सकती, क्योंकि यहां मेरे मां-बाप और अन्य परिजन हैं. उन्होंने कहा कि उनके लिए अलग से कुंड बनाया जाए, जहां वह 12 माह यानी 365 दिन होली खेल सकें क्योंकि वह बरसाने में होली नहीं खेल सकती.

होली खेलेने पहुंचे लोग.

होली खेलेने पहुंचे लोग.

इस जगह के दर्शन करके हुए धन्य

गुजरात निवासी भावना बहन ने बताया कि यहां अलौकिक आनंद है. जहां भी देखो वहां आनंद ही आनंद है. यहां जिसे भी देखो वह अपने रंग में मग्न है. प्रभु की ऐसी कृपा होती है कि हमें पता ही नहीं चलता हम किस रंग में रंगे जा रहे हैं. गुलाल कुंड में भगवान ने नित्य होली खेली थी. यहां के दर्शन भी सौभाग्य से होते है.

वहीं गुजरात निवासी धर्मेश ने बताया कि वह विगत 5 वर्षों से लगातार यहां आ रहे हैं. होली तो सभी जगह होती है, लेकिन बृज की होली का कोई तोड़ नहीं. जहां भगवान कृष्ण ने राधा जी के साथ होली खेली हो उस स्थान के दर्शन करके हम धन्य हो गए.

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