
Jagdeep Dhankhar resignation: पिछले कुछ समय से पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफ़े की लगातार चर्चा हो रही है. उन्होंने पिछले महीने 21 जुलाई को अपने इस्तीफे़ की घोषणा कर सबको हैरान कर दिया था. उन्होंने इसमें अपने इस्तीफ़े की वजह अपना स्वास्थ्य बताई थी. लेकिन इसके बावजूद पिछले एक महीने से अधिक समय से उनके इस्तीफ़े की वजह को लेकर लगातार अटकलें लगाई जा रही हैं. विपक्ष दावा कर रहा है कि धनखड़ से इस्तीफ़ा दबाव डालकर लिया गया. अब जगदीप धनखड़ के इस्तीफ़े पर गृहमंत्री अमित शाह ने खुलकर टिप्पणी की है.
क्या जगदीप धनखड़ ने दबाव में दिया इस्तीफ़ा?
अमित शाह ने सोमवार 25 अगस्त को समाचार एजेंसी एएनआई को एक इंटरव्यू दिया. इसमें उनसे जगदीप धनखड़ के इस्तीफ़े के बारे में भी सवाल पूछे गए और सीधा सवाल किया गया कि क्या आप लोगों ने उनपर इस्तीफ़ा देने के लिए दबाव डाला था. इसके जवाब में अमित शाह ने कहा कि जगदीप धनखड़ के इस्तीफ़े की वजह उनके त्यागपत्र में ही स्पष्ट है. अमित शाह ने कहा,"उन्होंने अपने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए त्यागपत्र दिया है और उन्होंने प्रधानमंत्री, मंत्री और सभी सदस्यों का उनके कार्यकाल के लिए हृदय से धन्यवाद दिया है."
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'स्वास्थ्य समस्या के कारण उनका इस्तीफा' - जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर गृह मंत्री अमित शाह का बयान#AmitShah pic.twitter.com/x5hJUEPIxH
— NDTV India (@ndtvindia) August 25, 2025
क्या जगदीप धनखड़ को नज़रबंद रखा गया है?
अमित शाह ने विपक्ष के इस आरोप का भी जवाब दिया कि जगदीप धनखड़ को नज़रबंद कर दिया गया है. साथ ही ऐसी भी अटकलें चल रही थीं कि शायद धनखड़ विद्रोह करने की कोशिश कर रहे थे. अमित शाह ने इन आरोपों का खंडन किया और कहा,"ऐसी कोई बात नहीं है. बात का बतंगड़ नहीं बनाना चाहिए. उन्होंने संवैधानिक पद पर रहते हुए अच्छा काम किया. उन्होंने निजी स्वास्थ्य की वजह से इस्तीफ़ा दिया. इसे ज़्यादा खींचकर कुछ ढूंढने का प्रयास नहीं करना चाहिए."
क्या सीपी राधाकृष्ण को उम्मीदवार बनाने के पीछे दक्षिण को साधने की रणनीति है?
अमित शाह ने साथ ही अगले उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए सी पी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाए जाने के फैसले को लेकर भी स्थिति स्पष्ट की क्योंकि ऐसी चर्चा है कि शायद बीजेपी ने तमिलनाडु में अपनी पकड़ मज़बूत करने के उद्देश्य से यह क़दम उठाया है. लेकिन अमित शाह ने कहा कि भारत में पहले भी ऐसी परंपरा रही है कि राष्ट्रपति पूर्व का है तो उपराष्ट्रपति दक्षिण का होता था इसलिए यह एक स्वाभाविक बात है.
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