
आधुनिक युग तकनीकी की बड़ी भूमिका है, यह अपने साथ पॉजिटिव और निगेटिव दोनों लेकर आती है. सूचना प्रोद्योगिकी के युग में इंटरनेट की बढ़ती भूमिका ने साइबर क्राइम बढ़े हैं, जिससे सभी प्रभावित कर रहे हैं. इसी क्रम एक और नया नाम जुड़ा है वर्चुअल गैंगरेप. ब्रिटेन में सामने आई ऐसी ही एक घटना ने सबको चौंका दिया है
घटना रिपोर्ट होने के बाद ब्रिटेन (Britain) पुलिस वर्चुअल रियलिटी गेम (Police Virtual Reality Game) में कथित रेप के पहले मामले की जांच कर रही है. मामले पर NDTV ने कानूनविद और साइबर एक्सपर्ट (Cyber Expert ) एनएस नैपिनाई से बात की.जानिए आप इससे किस तरह से बच सकते है.

साइबर स्पेस में क्या है डिजिटल या वर्चुअल रेप
मेटावर्ड या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म अथवा डिजिटल अवतार में अब्यूजिंग को रेप की संज्ञा दी जाती है, इनमें मॉर्फ, डीप फेक वीडियो इत्यादि शामिल है. हालांकि अभी कानून ऐसे अपराधों पर रेप का सेक्शन नहीं लगता है. आईपीसी की धारा 376 में रेप क्या होता है इसके बारे में स्पष्ट लिखा हुआ है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कानून में ऐसे विक्टिम के लिए कोई भी उपाय नहीं है.
कोड से छेड़छाड़ करन से होते हैं सायबर हमले
सायबर एक्सपर्ट नैपियाई ने बताया कि इस तरह के हमले वर्चुअल स्पेस में तभी हो सकते हैं जब कोड से छेड़छाड़ की जाती है,इसीलिए वैकल्पिक बचाव के बारे में ध्यान रखना चाहिए. कानून में अभी जो सेक्शन हैं उनको अभी इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन यह रेप शब्द में नहीं आएगा.

मॉर्फ फोटो व डीप फेक भी हैं सेक्सुअली अब्यूजिव कंटेंट
डिजिटल वर्ल्ड में मॉर्फ फोटो और डीप फेक कंटेंट को सेक्सुअली अब्यूजिव बताते हुए एक अधिकारी ने बताया कि जब ऐसे मामले आते हैं तो अधिकारी कंफ्यूज हो जाते हैं. वह यही सोचते हैं कि अब हम क्या करेंगे.इन मामलों में क्या सेक्शन डाले जा सकते हैं. उन्होंने कहा, जब किसी का फोटो मॉर्फ करके या फिर डीफ फेक वीडियो में सेक्सुअली अब्यूजिव कंटेंट बनाए जाते हैं, वो वो भी फेक है, लेकिन विक्टिम का चेहरा इस्तेमाल किया जाता है, तो विक्टिम को ऐसा लगता है कि जैसे उसका इस्तेमाल किया गया.

डिजिटल अब्यूज में भी को लगती है साइकोलॉजिल चोट
अधिकारी के मुताबिक जैसा मानसिक आघात रेप के मामले में होता है, ब्रिटेन में वर्चुअल गैंगरेप की शिकार हुई बच्ची ने भी वैसा ही महसूस किया है. उस पर उसी तरह का इमोशनल और साइकोलॉजिकल प्रभाव पड़ा है. ये प्रभाव शारीरिक चोट से ज्यादा है. बच्ची अवतार के फॉर्म में थी, फिर भी आहत हुई है.
वर्चुअल अपराध के खिलाफ कितना कारगर हैं कानून
सायबर एक्सपर्ट के मुताबिक जल्द ही भारतीय न्याय संहिता आएगी, लेकिन जब तक यह नहीं आती तब तक आईपीसी के प्रोवेशन ही लागू होंगे. 509 के भीतर आउटरेजिंग द मॉडेस्टी ऑफ वुमन है. वहीं, 354 के भीतर सेक्सुअल असॉल्ट और 354A में सेक्सुअल हैरेसमेंट का जिक्र है.
वर्चुअल क्राइम को फिलहाल अपराध नहीं माना जाता
सायबर एक्सपर्ट नैपिनाई ने बताया, जब मैं आर्टिकल पर रिसर्च कर रही थी तो यह देखकर हैरान रह गई कि अमेरिका में चार मामलों में बच्चे वर्चुअल अब्यूज के बारे में बात कर रहे थे. इन मामलों को अदालत ने यह कहकर होल्ड कर दिया कि वर्चुअली होने की वजह से इस तरह का क्राइम विक्टिमलैस होता है, वह क्राइम नहीं माना जाता है.

1993 में रिपोर्ट हुई पहली वर्चुअल रेप की वारदात
कानूनविद और सायबर एक्सपर्ट एनएस नैपिनाई ने बताया कि वर्ष 1993 में 2D में एक यूजर ने हैकिंग करके प्लेटफॉर्म का कंट्रोल लेने के बाद एक डिजिटल लेडी अवतार का वर्चुअल रेप किया था. इस पर डिबल नामक एक ऑथर ने 'अ रेप इन साइबर स्पेस' नाम का आर्टिकल लिखा था. उन्होंने कहा, मैने अपनी पहली किताब 2017 में उसके बारे में लिखा था और साल 2022 में साइबर क्राइम स्टोरी पर लिखी मेरी दूसरी किताब में भी इसका जिक्र है.
ब्रिटेन से पहले भी हो चुकी है ऐसी एक घटना
ब्रिटेन में मेटावर्स में वर्चुअल गैंगरेप की घटना से पहले ऐसी एक घटना रिपोर्ट हो चुकी है.जनवरी 2022 में एक हाउस वाइफ ने मेटावर्स में साइन इन किया और महज 60 सेकेंड में उनपर हमला हुआ. उन्होंने भी अपने इंटरव्यू में यही बताया कि जब उनके डिजिटल अवतार के ऊपर हमला हुआ तो उनको ऐसा लग रहा था कि उनके ऊपर असॉल्ट हुआ है.

सेक्सुअसल असॉल्ट डोमेन में वर्चुअल क्राइम डिफाइन नहीं
सायबर एक्सपर्ट का कहना है कि ब्रिटेन में 16 वर्षीय लड़की के साथ हुए वर्चुअल गैंगरेप अगर भारत में होता है, तो पॉक्सो की धाराओं का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.इन्फोर्मेशन ऑफ टेक्नोलॉजी एक्ट के भीतर 67 या 67A देखेंगे तो वह सिर्फ ऑब्सीड कंटेंट या सेक्सुअली एक्सप्लोसिव कंटेंट के बारे में है, ये जो मेटावर्स में हो रहा है, ये भी सेक्सुअली एक्सप्लोसिव कंटेंट होता है, जिसके जरिए भी हम लोग कानून के अंतर समाधान ढूंढ सकते हैं.
भारतीय न्याय संहिता में फिलहाल नहीं है वर्चुअल रेप का सेक्शन
सायबर एक्सपर्ट ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता में भी वर्चुअल रेप को लेकर सेक्शन शामिल होने चाहिए. फिजिकल रेप की तरह ही वर्चुअल रेप के लिए अलग से सेक्शन बनाना चाहिए. ये देखना चाहिए कि 1993 के बाद क्या-क्या हुआ है. जब 2022 में भी ऐसी घटनाएं हुई हैं.
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