
Rajasthan: राजस्थान में एक आईएएस अधिकारी को लोग 'पेड़ वाले बाबा' के नाम से जानते हैं. देशभर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वृक्षारोपण मिशन' की चर्चा है, वहीं डॉ. हरसहाय मीणा ने इस अभियान से कई साल पहले ही पर्यावरण संरक्षण की अलख जगा दी थी. बीते पिछले 15 वर्षों में डॉ. हरसहाय मीणा ने न केवल अपने सरकारी कार्यक्षेत्रों में बल्कि अपने पैतृक गांव रसाली और सैकड़ों स्कूलों, खेतों, पंचायत भवनों, मंदिर परिसरों व सड़कों के किनारे 7 लाख से अधिक पौधे रोपे हैं. यह कोई सरकारी स्कीम या CSR प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि एक बेटे द्वारा अपने दिवंगत पिता को समर्पित हरियाली का प्रण है.
हर साल हजारों पौधे रोपने का संकल्प
डॉ. मीणा बताते हैं कि वर्ष 2010 में पिता के निधन के बाद उन्होंने जीवन का मकसद ही बदल लिया. तब से उन्होंने हर साल हजारों पौधे रोपने का संकल्प लिया और धीरे-धीरे गांवों से लेकर स्कूल-कॉलेज तक इसे फैलाया. वह खुद गड्ढा खोदते हैं, पौधा लगाते हैं और बाद में उसकी सिंचाई और सुरक्षा की जिम्मेदारी भी उठाते हैं.
सरकार ने कोई बजट नहीं मांगा
डॉ. मीणा की यह पहल इसलिए भी अलग है, क्योंकि उन्होंने ना तो इसके लिए सरकारी बजट मांगा, और ना ही मीडिया प्रचार की इच्छा जताई. वह मानते हैं कि हर नागरिक को अपनी धरती से प्रेम होना चाहिए, और उसके लिए जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए. मीणा अब तक नीम, पीपल, बड़, आमला, अर्जुन, अमरूद, गुलमोहर, करंज जैसे पर्यावरण हितैषी पौधे लगा चुके हैं. वे स्कूलों में जाकर छात्रों को पर्यावरण शिक्षा भी देते हैं और “हर बालक एक पौधा” जैसे अभियान चलाते हैं.
4 साल में 3 लाख से ज्यादा पौधे लगाए
सिर्फ पिछले चार वर्षों में ही डॉ. मीणा ने अपनी टीम के साथ तीन लाख से ज्यादा पौधे रोपित किए. इस अभियान में उनके गांव के लोग, स्कूल शिक्षक और कई स्वैच्छिक संगठन भी जुड़ चुके हैं. डॉ. हरसहाय मीणा का कहना है कि यह सिर्फ पेड़ लगाने की बात नहीं है. यह उस विश्वास की बात है कि एक व्यक्ति भी अगर ठान ले, तो वह पूरे वातावरण को बदल सकता है.