Rajasthan News: भारत सैन्य ताकत के क्षेत्र में दिन मजबूत होते जा रहा है. अब दुश्मन के हर दाव पर उसे सह और मात देने के लिए भारत की सेना तैयार है. जैसलमेर की पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में डीआरडीओ ने वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (VSHORADS) मिसाइल का सफल परीक्षण कर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है. मिसाइल के सफल उड़ान परीक्षण के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ और भारतीय सेना को बधाई भी दी है. रक्षा मंत्रालय ने एक्स पर पोस्ट कर सफल परीक्षण की जानकारी सांझा की है.
चौथी पीढ़ी की वायु रक्षा प्रणाली का सफल परीक्षण
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में चौथी पीढ़ी की बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली (VSHORADS) मिसाइल के 3 सफल उड़ान परीक्षण किए हैं. यह एयर डिफेंस सिस्टम रूस के एस-400 की तरह ही है. इससे दुश्मन के विमान, हेलीकॉप्टर और ड्रोन को भागने या बचने का मौका ही नहीं मिलेगा.
रक्षा मंत्रालय के अनुसार कहीं पर भी ले जाने में सक्षम वायु रक्षा प्रणाली (MANPAD) को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन की प्रयोगशालाओं में भारतीय उद्योग भागीदारों के सहयोग से रिसर्च सेंटर इमारत (RCI) ने स्वदेशी रूप से विकसित किया है.
इस बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली की इस मिसाइल को दोहरी थ्रस्ट सॉलिड मोटर से संचालित किया जाता है.इसका उद्देश्य सीमित दूरी से कम ऊंचाई पर उड़ने वाले हवाई उपकरणों के खतरों को बेअसर करना है.
यह है खासियत
इस हथियार की क्षमता 250 मीटर से 6 किलोमीटर तक है. VSHORADS का वजन 20.5 किलोग्राम, लंबाई करीब 6.7 फीट और व्यास 3.5 इंच है. यह अपने साथ 2 किलोग्राम वजन का हथियार ले जा सकता है. अधिकतम 11,500 फीट तक जा सकता है. अधिकतम गति मैक 1.5 है, यानी 1800 किमी प्रतिघंटा.
उच्च गति वाले मानव रहित हवाई लक्ष्यों के खिलाफ ग्राउंड-बेस्ड मैन पोर्टेबल लॉन्चर से उड़ान परीक्षण के दौरान मिसाइल ने विमान के पास आने और पीछे हटने की नकल की. मिसाइल ने मिशन के सभी उद्देश्यों को पूरा करते हुए लक्ष्यों को मिसाइलों ने अवरुद्ध करके उन्हें नष्ट कर दिया.
रक्षा मंत्री ने दी बधाई
देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सफल परीक्षण में शामिल रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन, भारतीय सेना और रक्षा उद्योग जगत को बधाई दी है. रक्षा मंत्री ने कहा कि -आधुनिक प्रौद्योगिकियों से लैस यह नई मिसाइल प्रणाली हमारे सशस्त्र बलों को तकनीकी रूप से और अधिक सुसज्जित कर देगी. वहीं हवाई खतरे के खिलाफ सशस्त्र बलों को और अधिक तकनीकी बढ़ावा देगी.
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