Jain Monks Ceremony: जैन धर्म में सांसारिक जीवन का त्याग कर दीक्षा ग्रहण करते हुए संन्यासी जीवन स्वीकार करने के कई उदाहरण अलग-अलग समय पर देश के अलग-अलग कोनों से आते रहे हैं. अब ऐसा ही एक उदाहरण राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले से सामने आया है. जहां एक महिला अपनी 11 साल की बेटी के साथ संन्यासी बनने जा रही है. खास बात यह है कि महिला खुद सरकारी टीचर हैं. उनकी सैलरी एक लाख रुपए महीना है. लेकिन इसके बाद भी उन्होंने सांसारिक जीवन का त्याग कर संन्यास पंथ पर चलने का फैसला लिया है.
दरअसल प्रतापगढ़ के स्वर्ण नगरी कहे जाने वाले छोटीसादड़ी में भक्ति की शक्ति का एक अनूठा उदाहरण सामने आया है. जहां छोटीसादड़ी में कम उम्र में ही माँ और बेटी ने सांसारिक सुख को त्याग कर संन्यास का फैसला लेकर दीक्षा ग्रहण करने जा रही है. छोटीसादड़ी में 21 अप्रैल को आयोजित होने वाले दीक्षा समारोह मे एक साधवी की तरह घर से विदा लेंगी.
सरकारी नौकरी छोड़ माँ-बेटी लेगी दीक्षा
माँ और बेटी भगवान की भक्ति में ऐसा मन लगा की मां और बेटी ने सांसारिक जीवन का मोह का त्याग कर भागवती दीक्षा ग्रहण करेगी. प्रीति सांसारिक मोह माया छोड़ कर दोनों मुमुक्षुओं ने संयम के पथ पर चलने का फैसला ले लिया. अब दोनों 21 अप्रैल को दीक्षा ग्रहण करेगी. सकल जैन श्रीसंघ के संतो के सानिध्य में यह दीक्षा होंगी. दीक्षा ग्रहण करने वालों में छोटीसादड़ी के रहने वाली 40 साल की प्रीति, प्रीति की बेटी सारा दीक्षा लेगी. दीक्षा लेने वाली सबसे कम उम्र की सारा अपनी माँ प्रीति के साथ दीक्षा ग्रहण करेंगी.
प्रीति के फैसले पर पहले परिजनों ने रोका, बाद में माने
महज 11 वर्षीय सारा ने सांसारिक सुखों और मोह को त्याग भक्ति के पथ पर बढ़ते हुए हुए दीक्षा लेंगी. प्रीति ने जब पहली बार अपने विचार परिवार के साथ साझा किया तो परिवार वालों ने उम्र का हवाला देकर उसे दीक्षा लेने से रोकने की कोशिश की, लेकिन प्रीति ने कठिन रास्तों की परवाह किए बिना संयम पथ पर आगे बढ़ने का निश्चिय किया. प्रीति बेन करीब एक लाख मासिक वेतन प्राप्त करने वाली सरकारी शिक्षिका थी. ऐसे मे सरकारी शिक्षिका पद को त्याग कर दिया और अब दीक्षा ग्रहण करेगी.
21 अप्रैल को दीक्षा समारोह
छोटी सादड़ी में विराजित आचार्य आचार्य कुलबोधी सुरीश्वर महाराज साहब ने अपने व्याख्यान माला में बताया कि हमारे दिशाहीन जीवन को सही दिशा देने का एक मात्र मार्ग दीक्षा है. दीक्षा संसार से विरक्त होकर संयम पथ पर चलने का... सारे कर्मों को खपाकर मोक्ष मार्ग की तरफ बढ़ने का एक मात्र साधन है.
दीक्षार्थी बहने जैन धर्म के अनंत कोटी ज्ञान को अपने में समाहित कर समाज को एक नई दिशा प्रदान करेगी. दीक्षार्थी बहने संयम के पथ पर चलकर लोभ, मोह, माया का त्याग कर 21 अप्रैल 2024 रविवार, चैत्र सुदी तेरस को स्वर्ण नगरी छोटी सादड़ी में विराजित प.पू. आचार्य कुलबोधी सूरीश्वर म.सा. की निश्रा में संयम ग्रहण करेगी. दीक्षा के पश्चात 21 अप्रैल को ही अपने गुरु सौम्या रत्ना श्री जी, एवं पुनीतरसा श्रीजी के साथ नगर से एक साध्वी की तरह प्रस्थान करेगी.
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