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SMS Hospital Fire: आग से नहीं हुई मौत, जो मारे गए वो पहले से ही थे सीरियस - बोले, SMS के सुपरिंटेंडेंट

Jaipur Hospital Fire: जबकि मृतक के परिजनों का कहना है कि हॉस्पिटल में भर्ती मरीज आग में झुलस गए थे. डॉक्टरों ने भी इस बात को माना कि आग लगने के बाद मरीजों को शिफ्ट करना पड़ा और वह उन्हें बचा नहीं पाए.

SMS Hospital Fire: आग से नहीं हुई मौत, जो मारे गए वो पहले से ही थे सीरियस - बोले, SMS के सुपरिंटेंडेंट
SMS अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सुशील कुमार भाटी

Jaipur SMS Hospital Fire Accident: जयपुर के एसएमएस अस्पताल में आग त्रासदी पर अधीक्षक डॉ. सुशील कुमार भाटी ने हैरान कर देने वाला बयान दिया है. उन्होंने कहा कि किसी भी मरीज की आग की वजह से मौत नहीं हुई है. भाटी के मुताबिक, "कल रात करीब 11:30 बजे शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लग गई. जैसे ही धुआं फैला, वहां के स्टाफ ने तुरंत सभी को सूचित किया, क्योंकि यह न्यूरोसर्जरी आईसीयू था, जिसमें 11 मरीज थे और उन्हें तुरंत दूसरे वार्ड और आईसीयू में शिफ्ट किया गया. 15-20 मिनट के अंदर ही फायर ब्रिगेड की टीम भी वहां पहुंच गई. 6 मरीजों की मौत हो गई है. यह एक दुखद घटना है."

आग की वजह से मरीज घायल नहीं हुआ- अधीक्षक

हॉस्पिटल अधीक्षक ने कहा कि आग से किसी की मौत नहीं हुई है, आग के चलते कोई अलग से घायल नहीं हुआ. धुएं की वजह से मरीजों को शिफ्ट किया गया, तब उनकी स्थिति गंभीर थी, आग की वजह से मौत नहीं हुई. क्रिटिकल मरीजों को शिफ्ट किया गया और कुछ जो गैस निकली, उसकी वजह से मौत हुई.

मृतक का बेटा बोला- मेरी मां झुलस गई

जबकि आग के चलते कई मरीजों को परेशानी हुई. शेरु ने बताया कि वार्ड में इतना घना धुआं था कि उसे अपनी मां दिख भी नहीं रही थीं. उसकी कोशिशें नाकाम रहीं. कुछ देर बाद उसे सूचना मिली कि उसकी मां की झुलसने से मौत हो गई है. वार्ड में हल्की चिंगारियां और धुआं देखते ही उसने अटेंडेंट्स को बताया था, लेकिन उनकी बात को नजरअंदाज कर दिया गया. जब आग तेजी से फैली, तो वह बिना कुछ सोचे-समझे धुएं से भरे आईसीयू वार्ड में दाखिल हो गया.

इमरजेंसी यूनिट प्रभारी ने कही ये बात

इमरजेंसी यूनिट के प्रभारी डॉ. जगदीश मोदी ने बताया, "आग लगने के कारण पूरे ICU में अंधेरा हो गया. डॉक्टर, नर्स और वार्ड बॉय ने सभी मरीज को ICU से बाहर निकाला. सभी जगह विशेष निगरानी चल रही हैं, ये बहुत ही दुखद घटना है." ट्रोमा सेंटर प्रभारी डॉ. अनुराग धाकड़ ने बताया कि मरीजों को उन्हें निचली मंज़िल के आईसीयू में शिफ्ट करने की कोशिश की, लेकिन हम उन्हें बचा नहीं पाए.

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