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SMS Hospital Fire: 'मुझे मेरी मां वापस दो!', बचाते समय झुलसे बेटे ने रोते हुए SMS अग्निकांड की सुनाई दर्दभरी दास्‍तां

Rचीख-पुकार और अपनों की तलाश में भटक रहे परिजनों के बीच, नरेंद्र अपना दर्द बयान करते हुए फूट-फूटकर रो पड़े. उनकी मां खुशमा को 1 अक्टूबर को एक दुर्घटना के बाद अस्पताल में भर्ती किया गया था.

SMS Hospital news

SMS Hospital Tragedy:  राजस्थान की राजधानी जयपुर के सबसे प्रतिष्ठित सरकारी अस्पताल, सवाई मान सिंह (SMS) में हुए अग्निकांड के बाद का मंजर रूह कंपा देने वाला था. जहां यह अस्पताल लोगों को जीवनदान देता था, वहीं एक रात में इसने कई परिवारों को कभी न भरने वाले घाव दे दिए. आग बुझ गई है, लेकिन परिजनों की चीख-पुकार और अपनों को खोने का दर्द अस्पताल की हवा में अब भी गूंज रहा है.

मां को बचाने की असफल कोशिश

अस्पताल की सीढ़ियों पर बैठा शेरु बार-बार बस एक ही रट लगाए है कि मेरी मां मुझे वापस दो!. उसके काले और झुलसे हुए हाथ उस भयानक मंजर की गवाही को बयां कर रहे हैं, जब उसने अपनी मां, रुक्मणी देवी को बचाने के लिए मौत के मुंह में दाखिल हुआ था.

धुएं से भरे आईसीयू वार्ड में मां को बचाने के लिए घुसा था शेरु

शेरु ने बताया कि वार्ड में हल्की चिंगारियां और धुआं देखते ही उसने अटेंडेंट्स को बताया था, लेकिन उनकी बात को नजरअंदाज कर दिया गया. जब आग तेजी से फैली, तो वह बिना कुछ सोचे-समझे धुएं से भरे आईसीयू वार्ड में दाखिल हो गया. वार्ड में इतना घना धुआं था कि उसे अपनी मां दिख भी नहीं रही थीं. उसकी कोशिशें नाकाम रहीं. कुछ देर बाद उसे सूचना मिली कि उसकी मां की झुलसने से मौत हो गई है. आज वह अस्पताल परिसर में बैठा हुआ बस एक ही बार दोहरा रहा है 'मुझे मेरी मांं वापस चाहिए' .

व्हीलचेयर पर मौसी को उतारा, पर देर हो चुकी थी

शेरु की तरह ही इस अग्निकांड में कई दर्दनाक मंजर देखने को मिले. आगरा से अपनी मौसी का इलाज कराने आए रमाकांत ने भी अपनी मौसी सर्वेश को इस हादसे में खो दिया. न्यूरोलॉजी आईसीयू में भर्ती मौसी को बचाने के लिए रमाकांत ने बहुत कोशिश की. 

रमाकांत ने बताया कि आग लगने के समय मौसी बिस्तर पर थीं. उसने तुरंत उन्हें चादर ओढ़ाकर आग से बाहर निकाला, फिर व्हीलचेयर पर लिटाकर सीढ़ियों के सहारे किसी तरह नीचे उतारा. लेकिन, जब तक वह सुरक्षित जगह पहुंचा सका, तब तक बहुत देर हो चुकी थी.

'आज मां को डिस्चार्ज होना था'

चीख-पुकार और अपनों की तलाश में भटक रहे परिजनों के बीच, नरेंद्र अपना दर्द बयान करते हुए फूट-फूटकर रो पड़े. उनकी मां खुशमा को 1 अक्टूबर को एक दुर्घटना के बाद अस्पताल में भर्ती किया गया था.

नरेंद्र ने रोते हुए बताया कि हम तो आज मां को लेने आए थे! डॉक्टर उन्हें डिस्चार्ज करने वाले थे. पर इस अग्निकांड ने उन्हें हमेशा के लिए हमसे छीन लिया."

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