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जैसलमेर रियासत को भारत में विलय करने में अहम भूमिका निभाने वाले महाराजा हुकुम सिंह का 97 साल की उम्र में निधन

हुकमसिंह का निधन हर किसी के लिए हार्ड एक युग का अंत हो. उनका जन्म 14 फरवरी 1927 को हुआ. इनका ननिहाल बूंदी के राजघराने में था. वहीं डूंगरपुर राजघराने में इनका ससुराल था. हुकमसिंह आगारा विश्वविद्यालय से संस्कृत में स्नातक की उपाधि प्राप्त थे.

जैसलमेर रियासत को भारत में विलय करने में अहम भूमिका निभाने वाले महाराजा हुकुम सिंह का 97 साल की उम्र में निधन
महाराजा हुकुम सिंह का 97 साल की उम्र में निधन

Jaisalmer News: जैसलमेर के राजपरिवार के सदस्य महाराज हुकमसिंह का रविवार को 97 साल की आयु में निधन हो गया. उन्होंने मंदिर पैलेस स्थित अपने आवास में अंतिम सांसे ली. निधन की खबर से पूरे जैसलमेर जिले में शोक की लहर दौड़ गई. जैसलमेर के सोनार दुर्ग का भगवे व पीले रंग का रियासत कालीन ध्वज झुक गया. आज सोमवार को महाराज हुकमसिंह की बैकुंठी ( अंतिम यात्रा) मोक्ष धाम की और उनके आवास मंदिर पैलेस गांधी चौक से संभवत 12:30 बजे रवाना होकर बड़ाबाग की ओर प्रस्थान करेगी.

पूर्व महारावल जवाहर सिंह के घर जन्मे थे हुकमसिंह

जैसलमेर के महारावल जवाहरसिंह के शासक बनने से पहले एटा के ठा. मानसिंह के गोद गये थे. उस समय उनका विवाह 1906 ई. में लूणार में हुआ था. 1907 ई. में महाराजकुमार गिरधरसिंह का जन्म हुआ. 1914 ई. में जवाहरसिंह जैसलमेर के राजसिंहासन पर विराजे. जिसके बाद उनके दो अन्य विवाह हुए. लेकिन राजगद्दी पर विराजने के 12 साल बाद तक भी उनके कोई संतान नहीं हुई, जिससे वे चिंतित थे. अंत में महारावल ख्याला मठ पधारे महंत श्री शेम्भूनाथ से पुत्र रत्न की इच्छा जाहिर की. महंत ने आशीर्वाद दिया कि नाथ सिंद्धो के हुकम से पुत्ररत्न प्राप्त होगा. उसका नाम हुकमसिंह रखना.नाथसिद्ध योगी शम्भूनाथ जी के वचन फलीभूत हुए. उसके बाद 1927 ई. में हुकमसिंह का जन्म हुआ. यही कारण है कि आज भी भाटी राजवंशज ख्याला मठ के नाथगुरूओं के प्रति अगाध श्रद्धा व विश्वास है.

हुकम सिंह के साथ ही हुआ एक युग का अंत

हुकमसिंह का निधन हर किसी के लिए हार्ड एक युग का अंत हो. उनका जन्म 14 फरवरी 1927 को हुआ. इनका ननिहाल बूंदी के राजघराने में था. वहीं डूंगरपुर राजघराने में इनका ससुराल था. हुकमसिंह आगारा विश्वविद्यालय से संस्कृत में स्नातक की उपाधि प्राप्त थे. हुकम सिंह जैसलमेर के पहले जिला प्रमुख रहे. साथ ही हुकमसिंह 1957 और 1962 में दो बार लगातार विधायकी का चुनाव लड़ा व जीते भी. 

जैसलमेर रियासत के भारत विलय में रही भूमिका 

जैसलमेर के भारत विलय में भी महाराज हुकमसिंह ने महत्वपूर्ण योगदान दिया. जैसलमेर का विलय जब भारत गणराज्य में रहा था उस समय हुकमसिंह मात्र 22 साल के थे. इस दौरान अपने बडे भाई महारावल गिरधरसिंह के साथ जैसलमेर की भौगोलिक एवं राजनैतिक विशेषता को देखते हुए भारत के विलय में अपनी सहमति एवं पूर्ण सहयोग जताया था. उस समय सरदार पटेल के साथ चली वार्ताओं में  सिंह अपने बड़े भाई महारावल गिरधरसिंह के साथ रहते थे.

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